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"आतंकवाद नहीं चलेगा“

२८ फ़रवरी २०१३

इस सप्ताह की फेसबुक प्रतियोगिता में हमने आपसे मांगी हैं चार पक्तियों की एक कविता, विषय है "आतंकवाद नहीं चलेगा". पेश है कुछ पाठकों द्वारा भेजी कविताएं.....

https://p.dw.com/p/17mth
epa02594552 Indian policemen stand guard outside the high court, where Mohammed Ajmal Amir Kasab's appeal is being held, in Mumbai, India, 21 February 2011. The High Court in Mumbai on 21 February 2011 upheld a death sentence for the lone surviving gunman of the November 2008 terrorist attacks in the city, news reports said. Ajmal Kasab, linked to the Pakistan-based Islamist militant group Lashkar-e-Taiba, was sentenced to death by a special court on May 6 on charges including mass murder and terrorism. Justices Ranjana Desai and R V More, while confirming the death penalty, also dismissed an appeal filed by Kasab against his conviction by the trial court, the NDTV network reported. Kasab, 23, was one of the 10 gunmen who targeted several sites in Mumbai in a three-day siege, killing 166 people including 26 foreign nationals. Under Indian law, a death sentence has to be confirmed by a High Court, then by the Supreme Court and finally approved by the president. EPA/DIVYAKANT SOLANKI pixel
तस्वीर: picture-alliance/dpa

हमें खुशी है कि आप इस प्रतियोगिता में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. हमें बहुत से पाठकों ने अपने शब्दों में अपनी भावनाएं लिख भेजी हैं. इनमें से कुछ हम आपसे सांझा कर रहे हैं. आपको जो कविता पसंद हो, उसे फेसबुक पर लाइक करना ना भूलें. जिस कविता को सबसे ज्यादा लाइक मिलेंगे, उसे मिलेगा इनाम. आपकी कविता हमारे संपादकों को पसंद आना भी जरूरी है.

1.

आंखों से अब अश्कों का सैलाब नहीं चलेगा,
बहुत हो चुका नफरत का तेजाब नहीं चलेगा,
प्यार चलेगा साथ हमारे मोहब्बत की सौगात चलेगी,
सुनलो अब ऐ अमन के दुश्मन आतंकवाद नहीं चलेगा नहीं चलेगा.....अलीजा खान, अलीगढ़

2.

किस मकसद से तू लहू बहा रहा है, क्यो इंसानियत का वजूद मिटा रहा है,
कब तक तू अंगारों की होली मनाएगा, गौर से देख जरा इन लाशों के चेहरों को इनमें तेरे अपनों का ही अक्स नजर आएगा,
पूरा नहीं होने देंगे तेरे नापाक इरादों को, एकदिन तू कहीं मरा पड़ा होगा, तेरी लाश को कफन भी नसीब नही होगा.....आचार्य पंकज एम त्रिपाठी, जौनपुर, उत्तर प्रदेश

3.

इन उजालों के साथ उदासियां तो हैं,
सूरज के हिस्से में उबासियां तो हैं,
दर्द का गम ना कर कम तो होगा ही,
फूल के फफोलों पे तितलियां तो हैं.....मनीश सोलंकी, जोधपुर, राजस्थान

4.

अब गुंडों का राज मिटा दो, यानि आतंकवाद मिटा दो,
बीच जो हैं दीवारे नफरत, उसको मिलकर यार गिरा दो.....फैजन अहमद अंसारी, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश

5.
मौत का सौदागर करे आतंक से प्यार, हिंसा का पुजारी करे मजलूमों पे प्रहार,
कोई हो मजहब तुझे क्या दरकार, तू तो बस करता जा मानव-संहार,
आहत हूं तुमसे किया ममता का अपमान, किसी मां की कोख से न जन्मे ऐसी संतान,
हर भूले राही से करूं मैं फरियाद, घर लौट जा तू, करे मां तुझको याद.....अमिताभ रंजन झा, मधुबनी, बिहार

6.

न पंजाब में चला, न कश्मीर में चला, अब न कहीं और चलेगा,
थक कर चूर हो चला है, अब आतंकवाद नहीं चलेगा.....अतुल अरोड़ा, मुंबई, महाराष्ट्र

7.

मजहब के नाम पर नहीं चलेगा, नहीं चलेगा,
बहुत हुआ,अब आतंकवाद नहीं चलेगा,
आंखों में आंसू, सूना आंचल नहीं चलेगा,
हम हैं दृढ, अब आतंकवाद नहीं चलेगा.....अनिल कुमार द्विवेदी,सैदापुर अमेठी,उत्तर प्रदेश

8.

जब सहन करने की सीमा लांघ लेगी पीड़ ये,
अनगिनत हथियार सी बन जाएगी तब भीड़ ये,
आम ये आवाम अपनी खासियत बतलाएगा,
मुल्क में दहशत का आलम अब सहा ना जाएगा.....मयंक थापलियाल

9.

भेदभाव भी नहीं चलेगा,
महिलाओं का अपमान नहीं चलेगा,
विश्व में शान्ति और प्यार चलेगा,
पर आंतकवाद नहीं चलेगा नहीं चलेगा.....दीपक कुमार, नई दिल्ली

10.

उनकी चलायी हर गोली एक ऐसा निशान छोड़ती है,
वो मजहबों ही नहीं बहुत से दिलों को तोड़ती है,
कह दो उनसे अब वो भी सब छोड़ के अच्छे इंसान बन जाएं,
वो ये न भूलें उनकी गोली के बाद जो रोती है, वो उनकी अपनी मां जैसी ही कोई होती है.....सचिन सेठी, करनाल, हरियाणा

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः ईशा भाटिया