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अपराध

इक्वाडोर में बलात्कारी के बच्चे पर बहस

८ मार्च २०१९

2008 से 2018 के बीच इक्वाडोर में 14 साल से कम उम्र की बच्चियों ने 20,000 बच्चों को जन्म दिया. ज्यादातर मामले बलात्कार से जुड़े थे. देश के 81 साल पुराने कानून के चलते गर्भपात की इजाजत नहीं मिली.

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El Salvador Freilassung von Maria del Transito Orellana, Cinthia Marcela Rodriguez und Alba Lorena Rodriguez
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Recinos

गैब्रिएला (बदला हुआ नाम) 27 साल की हैं, इक्वाडोर में मनोविज्ञान की विद्यार्थी हैं. फिलहाल नियमित तौर पर वह एंटी डिप्रेशन और नींद की गोलियां खा रही हैं. एक दिन अपने एक दोस्त के घर पर रुकते समय भी उन्होंने ये गोलियां खाईं थीं जिससे वो चैन की नींद सो सकें. लेकिन उनके दोस्त, जो पहले उनका प्रेमी भी था और जिसको उन्होंने भरोसे लायक समझा, ने इसका फायदा उठाने का सोची. गैब्रिएला को नहीं पता कि कब उनका बलात्कार हुआ क्योंकि उस समय वो होश में ही नहीं थी.

तीन महीने बाद जब उन्हें पता चला कि वो गर्भवती हैं तब उन्हें अहसास हुआ कि उनके साथ क्या हुआ. गैब्रिएला का कहना है कि वह इसे स्वीकार नहीं करेंगी. क्योंकि उन्हें लगता है कि वो किसी भयावह स्थिति का सामना नहीं करना चाहती.

जब उनके एक डॉक्टर दोस्त ने उनके गर्भवती होने की पुष्टि की और पूछा कि वो क्या चाहती हैं. तो उन्होंने कहा वो गर्भपात करवाना चाहती हैं.

सिर्फ दो परिस्थितियों के अलावा इक्वाडोर में गर्भपात गैर कानूनी है. पहला, अगर गर्भवती महिला की जान को खतरा हो और दूसरा, अगर गर्भ किसी मानसिक रूप से अक्षम महिला के बलात्कार की वजह से ठहरा हो.

गैबरेला जानती थीं कि अगर वो गर्भपात करवाती हैं तो वो बलात्कार करने वाले के खिलाफ मुकदमा नहीं कर सकती हैं. क्योंकि पुलिस को जांच में गर्भपात का पता चलेगा और उनको जेल भी भेजा जा सकता है लेकिन फिर भी वो ऐसा करना चाहती थीं. उनका कहना है कि उसने मेरे शरीर का इस्तेमाल कर फेंक दिया लेकिन में बाकी जिंदगी उसके दिए जख्मों के साथ नहीं जीना चाहती.

(यहां होते हैं सबसे ज्यादा बलात्कार)

जनवरी में इक्वाडोर की संसद में एक बिल पर बहस शुरू हुई. इसका उद्धेश्य बलात्कार, जबरन यौन संबध बनाने से धारण हुए गर्भधारण जैसे मामलों में गर्भपात को कानूनी अमलीजामा पहनाना है. अगर ये बिल पास हुआ तो इक्वाडोर भी उन लैटिन अमेरिकी देशों की कतार में शामिल हो जाएगा जो बलात्कार के मामले में गर्भपात की अनुमति देते हैं. जैसे अर्जेंटीना, बोलिविया, ब्राजील, चिली, कोलंबिया, पनामा और मेक्सिको. कुछ देशों जैसे होंडुरास, निकारागुआ और साल्वाडोर में यह पूरी तरह प्रतिबंधित है.

इक्वाडोर के वर्तमान गर्भपात नियम 1938 से चले आ रहे हैं. 2013 में संसद में बहस हुई की रेप के मामले में गर्भपात की अनुमति होनी चाहिए या नहीं तब संसद ने इसके खिलाफ वोट किया. तत्कालीन राष्ट्रपति रफाएल कोरिया ने इस बदलाव का विरोध किया था और इस बिल के पास होने की स्थिति में इस्तीफे की धमकी तक दी थी.

डेमोक्रैटिक लेफ्ट पार्टी की सांसद विल्मा एंड्रेड का कहना है कि अगर ये बिल पास होता है तो ये महिलाओं के हक में एक बड़ा कदम होगा. इन बदलावों का प्रभावशाली रोमन कैथलिक चर्च और सदन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेताओं ने विरोध किया. इनका जोर गर्भपात की जगह रेप करने वाले को कड़ी सजा देने पर था.

फरवरी में चर्चा करते हुए दक्षिणपंथी पार्टी सीआरईओ के नेता पेड्रो क्यूरिचुंबी ने कहा था कि अगर गर्भपात को कानूनी बना दिया तो इससे बलात्कार एक खेल के जैसा हो जाएगा. ये पुरुषों को महिलाओं पर और अत्याचार करने की छूट देगा.

लेकिन इस बिल का समर्थन करने वालों का कहना है कि छोटी उम्र में प्रेग्नेंसी रोकने के लिए ये जरूरी है. पिछले तीन सालों में देश में 14,000 रेप के मामले सामने आए हैं. इनमें से 718 दस साल से कम उम्र की बच्चियां थीं. 2008 से 2018 के बीच 14 साल से कम की करीब 20,000 लड़कियों ने बच्चों को जन्म दिया. एंड्रेड ने कहा कि यहां हम चाइल्ड प्रेग्नेंसी की बात कर रहे हैं. ये सामान्य नहीं है कि बच्चियां गर्भवती हो रही हैं. कई बार ये उनके पिता या दूसरे परिजनों द्वारा किया जाता है जो रिपोर्ट तक नहीं होता.

वेरोनिका वेरा पिछले पांच साल से महिला अधिकार समूह लास कॉमरेड्स के साथ काम कर रही हैं जो जल्दी गर्भपात करवाने का निश्चय करने वाली महिलाओं की मदद करता है. यह समूह गर्भपात की दवाई मिसोप्रस्टोल दिलवाने में मदद करता है. साथ ही अगर इसका कोई साइड इफेक्ट होता है तो इन महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में भी मदद करता है.

वेरा कहती हैं कि वो कभी ऐसे किसी केस को नहीं जानती हैं जिसमें बलात्कार करने वाला कोई पारिवारिक करीबी न रहा हो. महिला अधिकार समूहों का कहना है कि गर्भपात न करवा पाने की वजह से कामकाजी महिलाओं को सबसे ज्यादा समस्या होती है. वेरा कहती हैं कि अमीर महिलाओं को भी यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है लेकिन उनके पास पैसा होता है. ऐसे में वो 1,500 से 3,000 डॉलर चुका कर सुरक्षित तरीके से गर्भपात करवा सकती हैं. उनके पास विदेश जाकर गर्भपात करवाने का विकल्प भी होता है. लेकिन गरीब महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है. ऐसे में उन्हें कम सुरक्षित तरीकों से गर्भपात करवाना होता है जिससे परेशानियां होती हैं. इसके चलते कभी-कभी मौत तक हो जाती है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में हुई कुल मौतों में से 15.6 प्रतिशत असुरक्षित गर्भपात की वजह से हुईं. ये महिलाओं की मौत का संख्या के हिसाब से पाचवां बड़ा कारण था. दरअसल गर्भपात की वजह से परेशानियां होने पर महिलाएं इस डर से अस्पताल नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कहीं डॉक्टर उनकी शिकायत पुलिस से न कर दें.

एक एनजीओ में वकील के तौर पर काम करने वालीं सुर्कुना के मुताबिक 2013 से 2018 के बीच 300 महिलाओं पर गर्भपात करवाने की वजह से केस चला. गर्भपात बिल पर वोटिंग होने से पहले इस पर दो बार चर्चा होगी. इसके बाद इस पर राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो दस्तखत करेंगे. मोरेनो के पास वीटो पावर भी है. यह पूरी प्रक्रिया जून तक पूरी हो जाने की उम्मीद है.

गैबरेला कहती हैं कि उन्हें अपने बलात्कार का न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है. अब वो ऐसी लड़कियों के लिए काम करना चाहती हैं जिनके साथ ऐसा हुआ है. वो चाहती हैं कि ऐसी लड़कियां अपनी कहानी और लोगों के साथ साझा करें. क्योंकि ऐसी हजारों अनकही कहानियां हैं.

गैब्रिएला कहती हैं कि वो जिन्हें अपनी कहानी सुनाती हैं वो कहते हैं कि वो बहादुर हैं लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि वो बहादुर नहीं महज एक सर्वाइवर (त्रासदी से जिंदा बचने वाली) हैं.

(देखिए लड़कियां क्या क्या झेल रही हैं)

आरकेएस/ओएसजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)