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कोबाल्ट-60 की चपेट में आए व्यक्ति की मौत

२७ अप्रैल २०१०

दिल्ली में रेडियोएक्टिव विकिरण की चपेट में आए व्यक्ति की मौत हुई. मायापुरी रेडिएशन हादसे का शिकार हुए दूसरे व्यक्ति की हालत भी नाज़ुक. रद्दी का काम करने के दौरान मिला था कोबाल्ट-60.

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रेडियोएक्टिव विकिरण का चिह्नतस्वीर: picture-alliance / dpa / DW-Montage

35 साल के इस व्यक्ति की मौत एम्स में सोमवार रात को हुई. विकिरण से प्रभावित मरीज़ों का इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बताया, "इस व्यक्ति के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और साढ़े नौ बजे इसकी मौत हो गई. इन्हें बाइलैटरल निमोनियो हो गया था और उसके गुर्दों और कलेजे ने काम करना बंद कर दिया था. 24 अप्रैल से उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था."

Flash-Galerie Elektroschrott in Asien
कचरे से ख़तरातस्वीर: AP

विकिरण का शिकार बने एक और व्यक्ति की हालत भी गंभीर बताई जा रही है. पांच और लोगों का इलाज चल रहा है. पिछले दिनों दो व्यक्तियो को इलाज के बाद वापस घर भेज दिया गया है.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रेडियोएक्टिव पदार्थ रद्दी के साथ खरीदा गया था. यह अस्पतालों से निकले कचरे का हिस्सा बताया जा रहा है. कोबाल्ट 60 अपने नीले रंग के लिए जाना जाता है और इसका इस्तेमाल रंगों और गहनों में किया जाता है. कोबाल्ट 60 को कैंसर के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.

कुछ हफ्ते पहले दिल्ली के मायापुरी रद्दी बाज़ार में काम कर रहे आठ व्यक्ति विकिरण से प्रभावित हो गए थे जिसके बाद उन्हें अस्पताल में दाखिल कर लिया गया. रद्दी में ख़तरनाक रेडियोएक्टिव कोबाल्ट 60 पाया गया था.

कोबाल्ट 60 कोबाल्ट धातु का ही एक रूप है जिसे आइसोटोप कहते हैं. यह स्लेटी रंग की चमकीला धातु है और रेडियोएक्टिव होने की वजह से इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज में होता है. अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी ने अपने वेबसाइट में चेतावनी दी है कि कोबाल्ट 60 को रद्दी में ढूंढना मुश्किल होता है क्योंकि यह धातु से बने एक ढांचे से ढका होता है. भाभा परमाणु शोध संस्थान बार्क के एसके मल्होत्रा के मुताबिक रद्दी बेचने वाले कई ठोकेदार अपनी जेब में भी कोबाल्ट60 लेकर घूमते हैं. इससे विकिरण का ख़तरा बढ़ सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एम गोपालकृष्णन

संपादनः ओ सिंह