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जेएनयू पर जारी राजनीतिक संग्राम

१६ फ़रवरी २०१६

अदालत ने जेएनयू मामले की जांच एनआईए से कराने से इनकार किया है. वहीं दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से 455 एकेडेमीशियंस जेएनयू के समर्थन में उतरे हैं. लेकिन सरकार का कहना है कि जेएनयू में लगे नारे बेहद आपत्तिजनक हैं.

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Indien Studentenproteste in Neu Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी के मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए से कराने की याचिका को जल्दबाजी बताते हुए खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ये याचिका 'प्रीमेच्योर' है. हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से ​इनकार करते हुए कहा है कि पहले पुलिस को अपनी जांच पूरी करनी चाहिए.

उधर 23 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में जेएनयू मामले पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि वहां लगाए गए नारे ''बेहद आपत्तिजनक'' हैं. प्रधानमंत्री ने कहा है कि संसद सत्र के दौरान इस मसले पर विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सवालों पर भी चर्चा की जाएगी. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का ट्वीट दिखाता है कि बीजेपी सरकार जेएनयू के मामले पर सख्त रवैया अपना रही है.

इस बीच जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी पर कोलंबिया, येल, हार्वर्ड और कैम्ब्रिज जैसे मशहूर विश्वविद्यालयों समेत दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से जेएनयू के छात्रों को समर्थन मिला है. दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के 455 एकेडमिशियनों ने एक साझा बयान जारी कर कहा है, ''जेएनयू, विश्वविद्यालयों के भीतर आलोचनात्मक सोच, लोकतांत्रिक असहमति, छात्र सक्रियता, और कई राजनीतिक मान्यताओं की बहुलता को गले लगाने वाली सोच के साथ खड़ा है. ये बेहद अहम बात है और मौजूदा सरकारें इस माहौल खत्म कर देना चाहती है. और हम जानते हैं कि ये अकेले भारत की दिक्कत नहीं है.''

उधर पत्रकारों के एक बड़े समूह ने पटियाला हाउस कोर्ट कॉम्प्लेक्स में सोमवार को पत्रकारों के साथ हुई मारपीट के विरोध में दिल्ली के प्रेस क्लब से सुप्रीमकोर्ट तक नारेबाजी करते हुए मार्च किया.

राष्ट्रद्रोह के मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पेशी के दौरान कुछ वकीलों और भाजपा समर्थक लोगों ने रिपोर्टिंग करने गए पत्रकारों समेत जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों के साथ मारपीट की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई की एक याचिका स्वीकार कर ली है. सु​नवाई बुधवार को होगी. ​जेएनयू के छात्र संघ के आह्वान पर कक्षा का बहिष्कार किया जा रहा है. जेएनयू के शिक्षक बहिष्कार का समर्थन कर रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि वे विश्वविद्यालय के लॉन में केवल ‘राष्ट्रवाद' विषय पर कक्षाएं लेंगे.

उधर जेएनयू मामले में कांग्रेस के रवैये को राष्ट्र विरोधी बता रही भाजपा को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जवाब दिया है.

अपनी पार्टी को राष्ट्रविरोधी नारों के खिलाफ बताते हुए उन्होंने कहा है कि जेएनयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह का कोई सबूत नहीं है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को बदनाम करने के लिए भाजपा गलत प्रचार कर रही है. इससे पहले सोमवार को भाजपा अध्यक्ष अमित साह ने एक ब्लॉग लिखा था, जिसमें उन्होंने जेएनयू अध्यक्ष की गिरफ्तारी के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन में शामिल होने के लिए राहुल गांधी की आलोचना की थी और उन पर राष्ट्रविरोधियों का समर्थन करने के आरोप लगाए थे.

आरजे/एमजे (पीटीआई)