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नेतान्याहू का पांचवीं बार पीएम बनना तय

१० अप्रैल २०१९

बेन्यामिन नेतान्याहू रिकॉर्ड पांचवीं बार इस्राएल के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों के बावजूद नेतान्याहू चुनावी मुद्दों को दक्षिणपंथी धारा में ले जाने में सफल हुए.

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Benjamin Netanjahu mit Ehefrau Sara
तस्वीर: Reuters/A. Awad

बेन्यामिन नेतान्याहू को चुनौती देने वाले इस्राएली सेना के पूर्व प्रमुख बेनी गांत्स को सिर्फ 35 सीटों से संतोष करना पड़ेगा. 120 सदस्यों वाली संसद में नेतान्याहू की लिकुड पार्टी और उसके सहयोगी दलों को 65 सीटें मिलने जा रही हैं. इसके साथ ही साफ हो चला है कि नेतान्याहू ही सरकार बनाने में सफल होंगे. गांत्स की मध्य-वामपंथी पार्टी ब्लू एंड व्हाइट की स्पष्ट हार ने दक्षिणपंथी राजनीति के उभार के स्पष्ट संकेत भी दिए हैं.

हालांकि आधारिक तौर पर नतीजे शुक्रवार को घोषित किए जाएंगे. लेकिन अनाधिकारिक नतीजों से नई संसद की तस्वीर साफ हो चुकी है. जीत के माहौल के बीच नेतान्याहू ने अपने समर्थकों से कहा, "इस्राएल देश ने पांचवीं बार, वो भी और ज्यादा विश्वास के साथ मुझ पर भरोसा किया, मैं इसका आभारी हूं. मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि यह एक दक्षिणपंथी सरकार होगी, लेकिन मैं इस्राएल के सभी नागरिकों, दक्षिण या वाम, यहूदी और गैर यहूदियों का प्रधानमंत्री हूं."

चुनावों से साफ हो चुका है कि इस्राएली राजनीति में दक्षिपंथ किस हद तक मजबूत हो चुका है. चुनावों से ठीक पहले नेतान्याहू गंभीर कानूनी विवादों में उलझे हुए थे. उनके और उनके परिजनों पर मुकदमे चल रहे हैं. लेकिन मतदाताओं ने इन मुद्दों को नजरअंदाज कर दक्षिणपंथी धड़े को जिताया. माना जा रहा है कि इस्राएल के इतिहास में अब सबसे कड़े तेवरों वाली दक्षिणपंथी सरकार बनने जा रही है.

Israel Wahlen Kahol Lavan Jubel Gantz
बेनी गांत्सतस्वीर: Reuters/A. Cohen

देश को बांटने वाले चुनाव

नेतान्याहू ने अपने संदेश में भले ही समाज के हर तबके के लिए संजीदगी भरी बात कही हो लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने धर्म और भय की राजनीति की. दक्षिणपंथी वोटरों के बीच वह बार बार कहते रहे कि गांत्स "अरब पार्टियों की साजिश" का नतीजा हैं. इस्राएली प्रधानमंत्री ने वामपंथियों को देश और यहूदियों के लिए खतरा बताया. मीडिया और न्यायपालिका पर भी नेतान्याहू के जुबानी हमले जारी रहे.

येरुशलम और गोलान पहाड़ियों पर इस्राएल के दावे को स्वीकारने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की भी नेतान्याहू ने चुनावों में तारीफ की. ट्रंप के साथ अपनी दोस्ती को उन्होंने मुद्दा बनाया. प्रचार के आखिरी दिन उन्होंने विवादित पश्चिमी तट को अलग करने का वादा भी किया. इस वादे से उन्होंने दक्षिणपंथियों वोटरों को खूब रिझाया लेकिन यह कदम मध्य पूर्व की शांति प्रक्रिया को और ज्यादा उलझा देगा. 

अरब नेताओं ने नेतान्याहू पर आरोप लगाया कि वह इस्राएल में रह रहे अरब समुदाय की खराब छवि पेश कर रहे हैं. इस्राएल की आबादी में अरबी मूल के लोगों को संख्या करीब 20 फीसदी है. लेकिन अरबी समुदाय ने वोटिंग में कम हिस्सा लिया. इस्राएली संसद में अरब बहुल हदाश-ताल पार्टी को सिर्फ छह सीटें मिली हैं.

अपने खिलाफ भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों को नेतान्याहू साजिश करार देते हैं. सजा से बचने के लिए नेतान्याहू गठबंधन की मदद ले सकते हैं और विशेषाधिकार वाला कोई रास्ता निकाल कर दंड से बचने की कोशिश भी सकते हैं.

Israel Wahlkampf in Bnei Brak
बायीं तरफ वामपंथी और उदारवादी धड़ा और दाहिनी ओर दक्षिणपंथी गठबंधनतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/O. Balilty

चौंकाने वाले परिणाम

आठ अप्रैल को हुए मतदान ने लोगों ने कई मोर्चों पर हैरान किया है. स्थापना के बाद इस्राएल पर 30 साल तक शासन करने वाली लेबर पार्टी सिर्फ छह सीटों पर सिमट गई है. धर्मनिरपेक्ष और दो राष्ट्रों वाले समाधान की पक्षधर मेरेत्ज पार्टी भी सिर्फ चार सीटें जीत सकी है. वहीं अति रुढ़वादियों पार्टियों को ठीक ठाक सीटें मिली हैं.

आधिकारिक नतीजों की घोषणा 12 अप्रैल को होगी. बहुमत वाले नेता को राष्ट्रपति सरकार गठन करने का न्योता देंगे. इसके बाद 28 दिन के भीतर प्रधानमंत्री को बहुमत साबित करना होगा. 28 दिन में अगर ऐसा नहीं हो सका तो और अगले दो हफ्ते का वक्त दिया जाएगा.

(क्या है इस्राएल)

ओएसजे/एके (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)