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फिजी के ग्रेट सी रीफ पर खतरा

३ अप्रैल २०१५

मछलियों के जरूरत से ज्यादा शिकार ने कई समुद्री इलाकों को गड़बड़ा दिया है. फिजी में ग्रेट सी रीफ में स्थानीय मछुआरों ने पूरे इकोसिस्टम को ही चरमरा दिया है. जाहिर है इकोसिस्टम मरा तो मछुआरे भी नहीं बचेंगे.

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Australien Meeresschutzgebiet Great Barrier Reef Seeschlange und Taucher
तस्वीर: imago/OceanPhoto

फिजी का ग्रेट सी रीफ दुनिया का तीसरी सबसे बड़ा बैरियर रीफ है. समुद्री जीवविज्ञानी यान हेनिंग श्टेफेन रीफ को बचाने के लिए नए टिकाऊ विकल्प खोज रहे हैं. वे मौजूदा हालात के बारे में बताते हैं, "हैरान करने वाली बात है कि मछलियों की इतनी प्रजातियों के बावजूद यहां जो मछलियां हमने देखीं वो सब छोटी या औसत हैं. आर्थिक रूप से अहम प्रजातियां मुश्किल से ही प्रजनन की उम्र तक पहुंच पा रही हैं. इसका मतलब है कि उनका बहुत ही जल्दी शिकार हो रहा है, ये साफ तौर पर चेतावनी का संकेत है." श्टेफेन का कहना है कि अगर ऐसा जारी रहता है, तो ग्रेट सी रीफ अगले 10 से 15 साल में इस रूप में नजर नहीं आएगा.

डिमांड का मतलब सप्लाई

फिजी की राजधानी सुवा के मछली बाजार में जरूरत से ज्यादा शिकार के सबूत देखे जा सकते हैं. ज्यादातर मछलियों को बड़े औद्योगिक जहाजों ने नहीं पकड़ा, बल्कि तटों पर रहने वाले सैकड़ों मछुआरों ने उनका शिकार किया. मछली बाजार में हर तरह की मछलियां मिलती हैं, यहां तक की खतरे में पड़ी और प्रतिबंधित मछलियां भी. यहां से मछलियां निर्यात भी होती हैं. डिमांड का मतलब सप्लाई है. और इस सब का मतलब है, रीफ की तबाही. कुछ समय बाद शायद ही मछुआरों को यहां मछलियां मिलें. मछलियां नहीं होंगी तो कोरल भी मर जाएंगे और संवेदनशील इकोसिस्टम टूट जाएगा.

सैलानियों से खतरा

कई इलाकों में पहले मछली मारने पर प्रतिबंध था. लेकिन नियंत्रण और राजनीतिक सहयोग के बिना कोशिशें नाकाम हो गईं. श्टेफेन बताते हैं, "सारा दबाव मछुआरों ने खुद ही बनाया, ये बाहरी मछुआरों की वजह से नहीं हुआ. गांव में बढ़ते आर्थिक दबाव के कारण युवा मछुआरों ने गंभीरता नहीं समझी और इन इलाकों का ख्याल नहीं रखा." देश में युवा परिवारों के लिए रोजगार बहुत कम है. लोगों को पर्यटन से उम्मीद है. लेकिन डाइविंग इंस्ट्रक्टर सालोटे सिना के मुताबिक रीफ को बचाना और टूरिज्म को बढ़ाना, एक साथ नहीं हो सकता, "मेरे विचार से ज्यादा सैलानी रीफ को नुकसान पहुंचाएंगे, क्योंकि कुछ इलाकों के बारे में उन्हें पता ही नहीं चलेगा कि उनके नीचे क्या है, कई लोग कोरल को कुचल देंगे."

जटिल इकोसिस्टम

मूंगे की चट्टानें बहुत ही जटिल इकोसिस्टम हैं जिसमें बहुत ही उच्च जैव विविधता होती है. इसकी प्रजातियां आपस में निर्भर रहती हैं. अगर दो अहम प्रजातियां भी गायब हो जाएं तो इसका मतलब होगा कि रीफ मूंगे की जगह काई से भर जाएगी. ग्रेट सी रीफ को बचाने के लिए यान हेनिंग श्टेफेन को अब मछुआरों के सहयोग की जरूरत है. तभी ये खूबसूरत माहौल बचाया जा सकेगा. लेकिन उन्हें यह डर भी है कि सबके राजी होने में कहीं बहुत देर ना हो जाए.

आईबी/ओएसजे