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कई महिलाओं के साथ संबंध, क्या वाकई है विकासक्रम की देन...

१५ जनवरी २०१५

कुछ वैज्ञानिक प्रयोगों से लेकर लोकप्रिय धारावाहिकों तक समाज में पुरूषों के बारे में ऐसी धारणा बनी है कि वे यौन संबंधों के बारे में महिलाओं से कम संजीदा होते हैं. कुछ मानवविज्ञानियों ने इसे मनगढ़ंत पाया है.

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Symbolbild Intimitäten am Arbeitsplatz
तस्वीर: Jeanette Dietl/Fotolia

यह भी एक प्रचलित धारणा है कि मानव के विकासक्रम में ही पुरुष ऐसे विकसित हुए हैं कि वे कई पार्टनरों के साथ यौन संबंध बनाने से नहीं बल्कि कमिटमेंट से दूर भागते हैं. हाल ही में प्रकाशित हुए एक अमेरिकी अध्ययन में मानवविज्ञानियों ने पाया कि प्रचलित धारणाओं के उलट विकास क्रम में पुरुषों के दिमाग में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनी जिसके कारण वह अपने जीवनकाल में कई लोगों से संबंध बनाए. उन्होंने पाया कि असल में संबंधों और पार्टनरों की संख्या एक बेहद लचीला मामला है जो कि माहौल और खासकर मौजूदा लिंग अनुपात जैसे कारकों पर निर्भर करता है.

ऊटा यूनिवर्सिटी के रायन शाख्ट इसे ऐसे समझाते हैं कि जहां औरतें कम हैं वहां पुरुष लंबे समर्पित रिश्तों में रहना पसंद करते हैं. शाख्ट ने रॉयल सोसायटी ओपन साइंस में प्रकाशित इस स्टडी का नेतृत्व किया है. स्टडी में ये भी पाया गया कि आम धारणाओं के उलट, असल में महिलाएं भी वन-नाइट स्टैंड जैसे क्षणिक शारीरिक संबंधों वाले रिश्तों में उतनी ही दिलचस्पी रख सकती हैं.

काफी लंबे समय से माना जाता रहा है कि मानव विकास के क्रम में ही पुरुष ऐसे बनते गए कि वे यौन संबंधों में स्वार्थी और गैरजिम्मेदार रवैया रखने लगे. अब तक यह तर्क दिया जाता रहा है कि एक पुरुष जितनी ज्यादा महिलाओं के साथ यौन संबंध बनाता है, किसी एक महिला और उसके साथ हुए अपने बच्चों के साथ जितना कम बंधता है, उसकी कहीं ज्यादा संतानें होंगी. विकास के क्रम में इसी तरह किसी पुरुष के जीन ज्यादा फैलने की बात समझाई जाती है. कई प्रयोगों में भी पाया गया है कि कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र रिश्तों में बंधने के बजाए ज्यादा से ज्यादा लड़कियों के साथ कुछ समय के लिए यौन संबंध बनाना पसंद करेंगे.

शाख्ट और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की मोनिक बोर्गरहोफ मूल्डर ने इस धारणा को परखने के लिए माकुशी कहे जाने वाले, गयाना के अमेरिंडियन लोगों का अध्ययन किया. उन्होंने ऐसे आठ समुदायों का परीक्षण किया जिसमें वयस्क पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 1.43 से लेकर 0.93 तक था. इन समूहों में उन्होंने पाया कि जिन समूहों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से जितनी ज्यादा थी, वहां पुरुषों ने प्रचलित धारणाओं के विपरीत व्यवहार दिखाया. शाख्ट इसका कारण ये बताते हैं कि असल में जब कोई पुरुष किसी एक महिला के साथ समर्पित संबंध में होता है तो उसके यौन संबंधों के मौके कहीं ज्यादा होते हैं. इसके उलट अगर कोई पुरुष नए नए पार्टनरों को आकर्षित करने की कोशिशों में ही लगा रहे तो इसमें ज्यादा समय लग जाता है. शाख्ट कहते हैं ऐसे में, "एक औरत को ढूंढ कर उसके साथ ही बने रहना सर्वोत्तम नीति है."

इसके अलावा, ज्यादा से ज्यादा संतानोत्पत्ति से भी ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आपकी जितनी संतानें हों वे भी बड़े हों और खुद माता पिता बनें. इसके लिए भी जरूरी है कि पुरुष अपने बच्चों के साथ रहे और उन्हें सुरक्षित माहौल दे.

आरआर/एमजे(रॉयटर्स)