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विवाद

वेनेजुएला में रूसी सेना किस इरादे से पहुंची है?

२७ मार्च २०१९

सीरिया के बाद अब रूस की सेना वेनेजुएला की जमीन पर है. रूस, वेनेजुएला के कम्युनिस्ट राष्ट्रपति निकोला मादुरो की सत्ता बचाना चाहता है. वहीं अमेरिका समेत पश्चिमी देश विपक्षी नेता और स्वघोषित राष्ट्रपति का समर्थन कर रहे हैं.

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Venezuela Sukhoi SU-30 während Manöver
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Gutierrez

रूस ने वेनेजुएला में अपनी सेना तैनात कर दी है. अपने भरोसेमंद साथी मादुरो की मदद के लिए मॉस्को ने मार्च 2019 में अपनी सेना वेनेजुएला भेज दी. अमेरिका समर्थित वेनेजुएला का विपक्ष रूस के इस कदम की आलोचना कर रहा है. इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा, "वेनेजुएला की सीमा में रूसी विशेषज्ञों की मौजूदगी, रूस और वेनेजुएला सरकार के बीच मई 2001 में सैन्य और तकनीकी सहयोग के समझौते के तहत है."

स्वघोषित राष्ट्रपति खुआन गुआइदो का समर्थन कर रहे विपक्ष ने रूस और वेनेजुएला सरकार के इन कदमों की आलोचना की है. आलोचकों का कहना है कि मादुरो ने विपक्ष की अगुवाई में हुई नेशनल असेंबली को दरकिनार करते हुए देश में विदेश सैन्य मिशन को अनुमति दी है. मादुरो पर संसद के विशेषाधिकार का उल्लंघन कर रूसी सेना को इजाजत देने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं. खुआन गुआइदो ने कहा, "ऐसा लगता है जैसे मादुरो सरकार को अपनी ही सेना पर भरोसा नहीं है, क्योंकि वह बाहरी सेना का आयात कर रही है, और एक बार फिर संविधान का उल्लंघन कर रही है."

वेनेजुएला में दूसरी बार राष्ट्रव्यापी ब्लैकआउट किया गया है. आसमान छूती महंगाई से परेशान जनता सत्ता के संघर्ष में पिस रही है. गुआइदो ने खराब होते हालात का जिक्र करते हुए कहा, "मादुरो की सरकार (रूसी) विमानों के जरिए जेनरेटर नहीं लाई है, वे इंजीनियर नहीं लाए हैं. वे राष्ट्र की जमीन पर विदेशी सेना लेकर आए हैं."

Venezuela Caracas Flughafen russisches Flugzeug
35 टन सैन्य साजो सामान लेकर वेनेजुएला पहुंचे रूसी विमानतस्वीर: Reuters/C. Jasso

गुआइदो को समर्थन देता अमेरिका

जनवरी 2019 में खुआन गुआइदो ने खुद को वेनेजुएला का राष्ट्रपति घोषित किया. वॉशिंगटन ने फौरन तेल समृद्ध देश के युवा नेता गुआइदों के दावे को मान्यता दी. अमेरिका के बाद जर्मनी व अन्य पश्चिमी देशों ने भी गुआइदो को स्वीकार कर लिया. लेकिन मादुरो के पीछे रूस, चीन और तुर्की जैसे देश खड़े हैं. रूस और चीन पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि वेनेजुएला में बाहरी देश सैन्य दखल की न सोचें.

अब रूस की सेना के वेनेजुएला पहुंचने के बाद अमेरिका ने एक बार फिर गुआइदो का समर्थन किया है. गुआइदो की पत्नी फाबियाना रोसेल्स बुधवार को अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस से मिलने वाली हैं. इस मुलाकात से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा, "अमेरिका अंतरिम राष्ट्रपति गुआइदो के नेतृत्व का समर्थन करने के लिए तत्पर है. वह आजादी के चैंपियन हैं. अमेरिका वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतंत्र की बहाली का समर्थन करता है."

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप यह भी कह चुके हैं कि अमेरिका मादुरो की सत्ता से निपटने के लिए सैन्य विकल्पों से भी परहेज नहीं करेगा. लेकिन वेनेजुएला के विपक्ष के साथ खड़े दक्षिण अमेरिका के सबसे बड़े देश ब्राजील ने सैन्य कार्रवाई पर आपत्ति जताई है. ब्राजील के विदेश मंत्री फर्नांडो अजेवेडो ए सिल्वा ने उम्मीद जताई है कि वेनेजुएला के राजनीतिक संकट का शांतिपूर्ण हल निकल सकता है.

(क्यों घुटनों पर गिरा वेनेजुएला)

ओएसजे/एए (एएफपी, रॉयटर्स)