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हल्के फुल्के कागजी लैंप

१ जून २०१३

चाहे महंगे बड़े बड़े और भारी कांच के झूमर हों या फिर कागज के मंहगे और हल्के लैंप. लोग घर सजाने के लिए क्या नहीं करते. इन दिनों यूरोप में कागजी लैंप का फैशन है.

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तस्वीर: Loupiotte Leuchten Berlin/Cathrine Grigull

बर्लिन के रियो ग्रांदे रेस्तरां में लगे 15 लैंप कैथरीन ग्रीगुल के बनाए हुए हैं. 17 साल से वह बर्लिन के अपने स्टुडियो में कागज के सादे लेकिन मनमोहक लैंप बना रही हैं.

कौन सा कागज है

सामान्य तौर पर इन लैंप को बनाने के लिए हाथ से बनाए पेपर का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सबसे मशहूर नाम वाशी कागज का है. यह वैसे तो सामान्य कागज की ही तरह होता है, लेकिन इसे बनाने में कम रासायनों का इस्तेमाल किया जाता है और इसे बनाने की प्रक्रिया लंबी होती है. यह सामान्य लकड़ी से बने कागज की तुलना में मजबूत होता है. वाशी कागज बनाने के लिए ठंडा बहता हुआ पानी बहुत जरूरी है. ठंड में पनपने वाला बैक्टीरिया इसका क्षरण होने से बचाता है. ठंड के कारण लकड़ी के फाइबर सिकुड़ जाते हैं. इस कारण इसमें सिलवटें पड़ जाती हैं. पारंपरिक रूप से जापान के किसान ठंड में यह काम करते हैं. कोजो या पेपर मालबरी के फाइबर का भी इस्तेमाल इस कागज को बनाने में किया जाता है.

कैसे बनता है लैंप

कैथरीन ग्रीगुल हाथ से बने कागज से काम करती हैं. हिमालयी इलाके का यह कागज अपनी विशिष्ट संरचना की वजह से लैंप शेड बनाने में बहुत उपयुक्त है. इस पर गोंद की परत चढ़ाई जाती है. इससे चिपकाने में तो मदद मिलती ही है, साथ ही कागज भी मजबूत होता है. भीगे कागज को फ्रेम पर खींचकर चढ़ाने में मेहनत लगती है, क्योंकि कागज आसानी से फट सकता है. इस खास गोंद की रेसिपी रहस्य है. कैथरीन ग्रीगुल बताती हैं कि इसे उन्होंने खुद लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार किया है, "इसमें खास बात यह है कि इसकी संरचना एक जैसी है और इसके रोल 30 मीटर लंबे होते हैं. इससे मैं बड़े से बड़ा लैंपशेड बना सकती हूं."

Loupiotte Leuchten Berlin
तस्वीर: Loupiotte Leuchten Berlin

पेपर से बनाए गए इन लैंपों को उन्होंने बॉलहाउस, रेनोवल, फ्रावाशी जैसे नाम दिए हैं. लैंप का कागज 400 वॉट तक की गर्मी सह सकता है और पीला नहीं होता. हर लैंप हाथ के बनाए कागज से बनाया जाता है और इसके लिए ग्राहक 5000 रुपए से लेकर तीन लाख रुपए तक देते हैं.

कौन हैं कैथरीन

48 साल की कैथरीन ग्रीगुल पहले अभिनेत्री थीं और स्टंट भी करती थीं. फिर एक बार उन्होंने एक रेस्तरां के लिए लैंपशेड बनाया. उसके बाद तो उनके पास एक के बाद एक लैंप के ऑर्डर आने लगे. वह ढांचे डिजाइन करती हैं और इसके लिए लोहे का ढांचा उनके जीवन साथी योखन लीडट्के बनाते हैं. कैथरीन के मुताबिक लैंप भारी भरकम लगे बिना भी बहुत ज्यादा रोशनी वाले हो सकते हैं और सुंदर भी दिख सकते हैं, "अगर आप इसमें डिमर लगा दें तो रोशनी से अलग माहौल बन जाता है. रोशनी से आप अपने हिसाब से अपनी शाम का माहौल तय कर सकते हैं."

हर ग्रीगुल लैंप हाथ से बना होता है. वह एक साल में ज्यादा से ज्यादा 30 लैंपशेड बनाती हैं. ग्रीगुल का ध्यान लैंप की संख्या से ज्यादा अपनी कला पर है.

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः ईशा भाटिया