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अंतरराष्ट्रीय वारंट के बावजूद बशीर का चाड दौरा

२२ जुलाई २०१०

युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट के साथ खोजे जा रहे सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत की परवाह किए बगैर पड़ोसी देश चाड का दौरा किया.

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तस्वीर: AP

चाड अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय आईसीसी का सदस्य है और उसके फ़ैसलों को मानता है, लेकिन एनजमेना हवाई अड्डे पर बशीर को गिरफ़्तार करने के बदले वहां चाड के राष्ट्रपति इद्रीस डेबी ने उनका व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया. बशीर ने पत्रकारों से कहा कि अपने दौरे के साथ वे मतभेदों के बाद एक नया अध्याय शुरू करने की सूडान और चाड की संयुक्त इच्छा का प्रदर्शन करना चाहते हैं.

विद्रोहियों के बीच पांच साल के युद्ध के बाद सूडान और चाड ने इस साल जनवरी में एक सीमा संधि पर हस्ताक्षर किए. तब से उनके संबंधों में बेहतरी आई है और सामान्य हो गए हैं.

बाद में चाड के गृह मंत्रालय ने कहा कि चाड किसी भी हालत में सूडानी राष्ट्रपति को गिरफ़्तार नहीं करेगा. गृह मंत्री अहमत महमत बशीर ने कहा, "चाड एक संप्रभु और स्वतंत्र देश है, हम अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के आदेशों पर निर्भर नहीं हैं."  सूडान के सरकारी हल्कों ने भी भरोसा जताया कि चाड बशीर को अंतरराष्ट्रीय अदालत को नहीं सौंपेगा. आईसीसी का सदस्य होने के नाते ऐसा करना उसका कर्तव्य है.

मानवाधिकार संगठनों ने राष्ट्रपति बशीर के विदेशी दौरे और उन्हें गिरफ़्तार नहीं किए जाने पर आक्रोश का इजहार किया है और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत आईसीसी के बेबस होने की आलोचना की है. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच ने चाड से अपना कर्तव्य पूरा करने और बशीर को गिरफ़्तार करने की अपील की है. संगठन की एक प्रवक्ता ने कहा है कि चाड के इस बात के लिए बदनाम होने का ख़तरा है कि उसने पहले आईसीसी सदस्य के रूप में एक युद्धअपराधी को पनाह दी.

द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत ने बशीर पर संकट क्षेत्र दारफ़ुर में  नरसंहार, बलात्कार, उत्पीड़न और हत्या का आरोप लगाया है. मार्च 2009 में बशीर के ख़िलाफ़ वारंट जारी किया था. दारफ़ुर में विद्रोहियों और सरकारी सैनिकों के बीच लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 3 लाख लोग मारे गए हैं और 27 लाख बेघर हो गए हैं.

अदालत की एक प्रवक्ता ने चाड से बशीर को तुरंत गिरफ़्तार करने की मांग की है. उधर अफ़्रीकी संघ ने अपने सदस्य देशों से अदालत का बहिष्कार करने को कहा है, क्योंकि अब तक वह सिर्फ़ अफ़्रीकी नागरिकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रहा है और अफ़्रीका के साथ भेदभाव कर रहा है. 

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एन रंजन