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अंतिम गोल्ड चीन को, शानदार खेलों की विदाई

२८ नवम्बर २०१०

चीन ने महिला वॉलीबॉल में दक्षिण कोरिया को 3-2 से हरा कर ग्वांगजो एशियाड का अंतिम स्वर्ण पदक जीता और चीन में 15 दिन चले एशियाई खेलों का शानदार सफर पूरा हुआ. पदक तालिका में चीन सबसे ऊपर रहा तो भारत को छठा स्थान मिला.

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तस्वीर: AP

वॉलीबॉल में सुनहरी कामयाबी के बाद चीन के स्वर्ण पदकों की संख्या 199 तक जा पहुंची जबकि उसके सभी पदकों को गिना जाए तो वे 401 बैठते हैं. चीन में हुए अब तक के सबसे शानदार एशियाई खेलों में उसके प्रतिद्वंद्वी जापान का प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा. वह सिर्फ 48 स्वर्ण पदकों के साथ 216 पदक ही जीत पाया. वहीं पदक तालिका में दूसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया रहा जिसने 76 स्वर्ण पदकों के साथ 232 पदक अपने नाम किए. भारत ने दोहा के पिछले एशियाई खेलों के मुकाबले अपना प्रदर्शन सुधारा है. उसे 14 स्वर्ण, 17 रजत और 33 कांस्य पदकों के साथ कुल 64 पदक मिले.

चीन के खेल उपमंत्री तुआन शिची का कहना है, "हमारी सफलता की वजह हमारे राष्ट्र की प्रगति है जिससे चीन की अर्थव्यवस्था और व्यापक राष्ट्रीय शक्ति को मजबूती मिल रही है. बड़े पैमाने पर पदक जीतना लंदन ओलंपिक के लिए हमारी तैयारी को भी दिखाता है."

बने कई रिकॉर्ड

एशियाई खेलों में पारंपरिक रूप से दबदबा तो तीन देशों का ही रहा लेकिन कुल 45 में से 36 देशों और क्षेत्रों के खिलाड़ी पदक मंच पर दिखाई दिए. कइयों को शानदार कामयाबी भी मिली. मकाऊ ने चिया रुई के जरिए पुरूषों की वुश प्रतिस्पर्धा में पहला स्वर्ण पदक जीता तो बांग्लादेश ने टी20 क्रिकेट टूर्नामेंट में अफगानिस्तान को हरा कर पहली बार एशियाई खेलों में सुनहरी कामयाबी का स्वाद चखा. ओमान और नेपाल सिर्फ एक कांस्य पदक के साथ पदक तालिका पर मौजूद हैं तो तिमोर-तेस्ते, मालदीव, तुर्कमेनिस्तान, ब्रुनेई और कंबोडिया जैसे देशों को बिना किसी पदक ही ग्वांगजो से लौटना पड़ेगा.

इन खेलों में तीन विश्व रिकॉर्ड (दो भारोत्तोलन में और एक तीरंदाजी में) बने. साथ ही 103 एशियाई रिकॉर्ड भी दर्ज दिए गए. लगभग 12,600 डोपिंग टेस्ट हुए जिनमें सिर्फ दो उज्बेक पहलवान जाखोनगीर मुमिनोव और उज्बेक जूड़ो खिलाड़ी शोकिर मुमिनोव नाकाम हुए.

शिकवे शिकायत और तारीफ

चीन में हुए एशियाई खेलों पर दक्षिण कोरिया पर उत्तरी कोरिया की गोलाबारी की छाया भी रही. साथ ही ताइवान के ताइक्वांडो खिलाड़ियों को अयोग्य करार दिए जाने पर राजयनिक विवाद भी देखने को मिला. स्टेडियमों में दर्शकों की कमी देखी गई तो खेल स्थलों के बीच बहुत ज्यादा दूरी होने पर भी कई लोगों को शिकायत थी. लेकिन एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) के अध्यक्ष शेख अहमद अल फहद अल सबा ने दिल खोल कर चीन में हुए खेलों की तारीफ की. वह कहते हैं, "ग्वांगजो को पेइचिंग (ओलंपिक) से मुकाबला करना पडा और मुझे लगता है कि वे इसमें सफल रहे हैं. कुछ ओलंपिक समितियों और ओसीए के साथियों का मानना है कि इंतजाम पेइचिंग जैसे बल्कि उससे बेहतर ही थे. ग्वांगजो के खेल बेहद सफल रहे."

आयोजन समिति के उप महासचिव शु रुउशेंग भी खेलों से बेहद खुश हैं और कहा कि अरबों डॉलर की लागत और सात साल की तैयारियों से जो नतीजा निकला है, वह संतुष्ट करने वाला है. कामयाबी की नई कहानी लिखने वाले एशियाई खेल शनिवार को मशहूर कोरियाई पॉप सिंगर रेन की परफॉर्मेंस के साथ खत्म हो गए, इस वादे के साथ कि 2014 में दक्षिण कोरिया इंचोन शहर में फिर मिलेंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

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