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अकेले पड़े दिग्विजय बयान से पलटे

१२ दिसम्बर २०१०

हेमंत करकरे की मौत को लेकर दिए बयान से कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पलट गए हैं. पहले उन्होंने कहा था कि करकरे को हिंदू कट्टरपंथियों ने मारा. यह कहने के बाद वह अकेले पड़ गए और फिर टूट ही गए.

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तस्वीर: UNI

26/11 हमले के दौरान मारे गए मुंबई एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे को लेकर दिग्विजय सिंह चारों ओर से घिरे. सबसे पहले हेमंत करकरे की पत्नी ने दिग्विजय सिंह पर अपने पति की शहादत का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया. कविता करकरे ने कहा, ''ऐसे बयान लोगों को गुमराह करेंगे और इससे पाकिस्तान को फायदा होगा.''

इसके बाद बीजेपी और शिवसेना ने उन पर हमला बोला. बीजेपी ने कहा कि दिग्विजय के बयान पर प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी को सफाई देनी चाहिए. शाम होते होते उनकी खुद की पार्टी कांग्रेस ने भी अपने महासचिव के बयान से किनारा कर लिया. पार्टी ने इसे अपने महासचिव की निजी राय बताया. शाम को कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रभारी जनार्दन द्विवेदी ने कहा, ''य़ह दोनों की आपसी बातचीत है. बेहतर होगा कि इस बारे में दिग्विजय सिंह ही प्रतिक्रिया दें.''

रात में दिग्विजय सिंह भी अपनी बात से पलट गए. उन्होंने कहा, ''मैं ऐसा कभी कहा ही नहीं कि हेमंत करकरे की मौत में हिंदू कट्टरपंथियों का हाथ है. अब तक मिले सबूतों के मुताबिक करकरे पाकिस्तानी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए थे.''

ऐसी रिपोर्टें हैं कि छह दिसंबर को दिग्विजय सिंह ''आरएसएस की साजिश- 26/11?'' नाम की एक किताब के विमोचन समारोह में गए. वहां उन्होंने कहा कि आतंकी हमले में शहीद होने से कुछ ही घंटे पहले करकरे ने उन्हें फोन पर बताया था कि चूंकि वह मालेगांव विस्फोट मामले की जांच कर रहे हैं, इसलिए उन्हें हिंदूवादी संगठनों से धमकी मिली है.

रिपोर्ट: एजेसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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