क्यों निशाने पर आए इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर
११ जुलाई २०१९सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक यह कार्रवाई मुंबई के एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'लॉयर्स कलेक्टिव' और उसके अध्यक्ष आनंद ग्रोवर के खिलाफ 13 जून को विदेशी सहायता नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन, आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के मामले दर्ज होने के लगभग एक महीने बाद की है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद सीबीआई ने दिल्ली और मुंबई में गुरुवार तड़के लगभग पांच बजे छापामारी शुरू की.
सीबीआई की ओर से दर्ज एफआरआई में इंदिरा जयसिंह का नाम शामिल नहीं है. सीबीआई के अनुसार, दर्ज मामले में एनजीओ के अज्ञात पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं, निजी व्यक्तियों और सरकारी कर्मचारियों को भी नामजद किया गया है. सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि जयसिंह के दिल्ली में निजामुद्दीन पूर्व स्थित आवास पर छापा मारा गया.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, एनजीओ को सामाजिक कार्यों के संचालन के लिए पंजीकृत कराया गया था. साल 2006-07 से 2014-15 तक एनजीओ को 32.39 करोड़ रुपये मिले. शिकायत में कहा गया है कि एफसीआरए के उल्लंघन का खुलासा 2010 में हुआ. सीबीआई के मामले के अनुसार, जयसिंह को लॉयर्स कलेक्टिव की तरफ से विदेश जाने के लिए 96.60 लाख रुपये मिले थे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीबीआई की इस छापेमारी की निंदा करते हुए इसे बदले की कार्रवाई बताया है. उन्होंने इसे कानून और संवैधानिक मूल्यों को कायम रखने के लिए लड़ने वाले दिग्गजों पर निशाना करार दिया है. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, "मैं प्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ताओं इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर पर सीबीआई की छापेमारी की कड़ी निंदा करता हूं. कानून अपना काम करता है लेकिन कानून और संवैधानिक मूल्यों को कायम रखने में अपना जीवन लगाने वाले दिग्गजों को निशाना बनाना स्पष्ट रूप से बदले की कार्रवाई है."
आरपी/एए (आईएएनएस)
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