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समाज

अनाथ बच्ची को नयी जिंदगी देने वाली ट्रांसजेंडर 'मां'

१२ अप्रैल २०१७

गौरी सावंत नाम की भारत की एक ट्रांसजेंडर 'मां' और बेटी का वीडियो इंटरनेट पर धूम मचा रहा है. विक्स कंपनी ने अपने विज्ञापन में सामाजिक कार्यकर्ता सावंत के जीवन की असली कहानी दिखायी है.

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Indien Videostill Vicks - Generations of Care #TouchOfCare
तस्वीर: YouTube/Vicks - Generations of Care

प्रॉक्टर एंड गैंबल कंपनी ने अपने विक्स ब्रांड के विज्ञापन के लिए गौरी सावंत के जीवन की असली कहानी को चुना. सावंत एक ट्रांसजेंडर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. सावंत के एक अनाथ बच्ची को गोद लेकर उसे एक बेहतर जिंदगी देने के कदम को इस वीडियो में बखूबी दिखाया गया है. 

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एक बच्ची बड़े ही प्यारे, नटखट अंदाज में जब अपनी मां के बारे में बातें करती है, तो वो किसी भी आम मां-बेटी के रिश्ते का कहानी लगती है. लेकिन जब वो अपनी मां को दिखाकर उनका परिचय कराती है, तो बात समझ में आती है. उसकी मां ने उसे जन्म नहीं दिया था लेकिन अनाथालय से लाकर नया जीवन जरूर दिया.

गौरी अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर डॉक्टर बनाना चाहती हैं. लेकिन बेटी वकालत पढ़ना चाहती है ताकि संविधान में सभी इंसानों को दिए गए बराबरी के अधिकार अपनी मां जैसे ट्रांसजेंडर लोगों को दिलाने की लड़ाई लड़ सके.

भारत में करीब 30 लाख ट्रासजेंडर लोग हैं, जो समाज में अपनी पहचान और अस्तित्व को मनवाने के लिए संघर्ष करते आए हैं. सन 2014 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार "तीसरे जेंडर" को मान्यता दी. इस कदम से इस समुदाय के लाखों लोगों को एक आम भारतीय की तरह कानूनी अधिकार, सुरक्षा और रोजगार मिलने का रास्ता खुला. हालांकि कोर्ट के आदेश के बावजूद, कई सामाजिक और कानूनी भेदभाव बरकरार हैं.

ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स बिल) 2016 में ट्रांसजेंडर लोगों को साफ साफ परिभाषित किया गया और शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाएं देने के मामले में हर तरह के भेदभाव पर रोक लगायी गयी है. इसके अलावा उन्हें किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना देने, भीख मांगने पर मजबूर करने या किसी भी सार्वजनिक जगह पर जाने से रोकने वाले को दो साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा, दक्षिण भारतीय राज्य केरल में छह ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट सहज इंटरनेशनल स्कूल चला रहे हैं. इसका लक्ष्य ऐसे ट्रांसजेंडर वयस्कों को गुणवत्ता वाली शिक्षा मुहैया कराना है, जिन्हें पहले कभी मजबूरी में स्कूल छोड़ना पड़ा था. इसके अलावा वहां रोजगारपरक ट्रेनिंग दिए जाने की भी योजना है. जिससे वे भी कामकाज कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.

  

एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_