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अपनी स्वायत्तता बचाने के लिए सड़कों पर हांगकांग के लोग

९ जुलाई २०१९

प्रत्यर्पण-विरोधी आंदोलन ने हांगकांग के सभी वर्गों व्यवसायी, कानूनी निकायों, धार्मिक नेताओं, एक्टिविस्टों और पत्रकारों को एकजुट किया हैं. दबाव बनाने के लिए बैंकों से सामूहिक रूप से पैसे निकालने का आह्वान किया गया.

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Hongkong Proteste
तस्वीर: Reuters/T. Siu

हांगकांग के बीजिंग समर्थक नेता कैरी लाम ने मंगलवार को कहा कि अभूतपूर्व राजनीतिक अशांति फैलाने वाला चीन प्रत्यर्पण बिल "समाप्त हो चुका है." लेकिन प्रदर्शनकारियों ने तत्काल उनके बयान को खारिज कर दिया और बड़े स्तर पर रैली करने की धमकी दी. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हांगकांग हाल के इतिहास में एक बड़े संकट में फंस गया है. एक महीने से पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच मारपीट और छिटपुट हिंसक घटनाएं हो रही हैं, प्रदर्शन हो रहे हैं.

यह चिंगारी तब भड़की जब एक कानून का मसौदा तैयार किया गया, जिसमें मु्कदमे का सामना करने के लिए चीन भेजे जाने का प्रावधान है. लेकिन इसका असर ये हुआ कि लोकतांत्रिक सुधारों के आह्वान और अर्द्ध-स्वायत्त क्षेत्र में स्वतंत्रता को रोकने के लिए एक व्यापक आंदोलन शुरू हो गया. पूरे शहर में उथल-पुथल मची हुई है. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाई है. संसद में प्रदर्शनकारियों ने तोड़ फोड़ किया है. हांगकांग को 1997 में चीन को वापस सौंपे जाने के बाद बीजिंग प्राधिकरण अब तक की सबसे गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है.

मंगलवार को शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैरी लाम ने बिल पेश करने के अपने प्रशासन के प्रयास को "पूरी तरह नाकाम" बताया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार संसद में इसे फिर से लाने की कोशिश नहीं करेगी. लाम ने कहा, "ऐसी कोई योजना नहीं है. बिल पूरी तरह समाप्त हो चुका है." लेकिन उन्होंने विधायी एजेंडे से बिल को पूरी तरह वापस लेने की मांग से इनकार कर दिया. इसी बिल की वजह से लोग सड़कों पर उतरे. 

Hongkong PK Carrie Lam
कैरी लामतस्वीर: Getty Images/AFP/A. Wallace

2014 में विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप में जेल भेजे गए एक्टिविस्ट जाशिवा वोंग हाल ही में छूटे हैं. उन्होंने बिल को लेकर लाम के बयान को 'एक और हास्यास्पद झूठ' करार दिया. वोंग ने कहा कि बिल अभी भी अगले साल जुलाई तक 'विधायी कार्यक्रम' में मौजूद है. बिल के विरोध में रैलियों का आयोजन करने वाले नागरिक मानवाधिकार मोर्चा ने कहा कि वह आने वाले दिनों में नए विरोध प्रदर्शनों की घोषणा करेगा.

इस्तीफा मांगे जाने के बाद लाम हाल के हफ्तों में सार्वजनिक कार्यक्रमों में कम ही नजर आई हैं. लेकिन मंगलवार को वह फिर से सक्रिय हुईं और छात्र प्रदर्शनकारियों से मिलने के लिए सहमत हुईं. उन्होंने कहा कि वह शहर की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों को देख तथा समझ रही हैं. उन्होंने कहा, "मैं इस नतीजे पर पहुंची हूं कि हांगकांग समाज में कुछ बुनियादी और गहरी समस्याएं हैं." विश्लेषक डिक्सन सिंग ने कहा कि उनके बयान से आंदोलन दबने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, "सरकार पर भरोसा इस तरह से टूट गया है कि अगर (प्रमुख) मांगों को नहीं माना जाता है तो हांगकांग की जनता सरकार की विश्वसनीयता पर संदेह करेगी."

विरोध प्रदर्शनों के लिए पुलिस की कार्रवाई के बाद लाम के ऊपर एक जांच आयोग के प्रमुख के रूप में एक स्वतंत्र न्यायाधीश नियुक्त करने का दबाव है. लेकिन उन्होंने इन मांगों को खारिज कर दिया और कहा कि मौजूदा पुलिस शिकायत निकाय ही जांच करेगी. प्रत्यर्पण-विरोधी आंदोलन ने हांगकांग के सभी वर्गों व्यवसायी, कानूनी निकायों, धार्मिक नेताओं, एक्टिविस्टों और पत्रकारों को एकजुट किया हैं. चैट फोरम और एन्क्रिप्टेड मैसेंजर ऐप के माध्यम से बैंक ऑफ चाइना से धन की सामूहिक निकासी के लिए का आह्वान किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक दबाव बनाया जा सके. वहीं दूसरी ओर बीजिंग ने लाम को अपना पूरा समर्थन दिया है.

Hongkong Protest gegen Auslieferungsgesetz
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/V. Yuen

वहीं लंदन में चीन के राजदूत ने कहा कि प्रत्यर्पण बिल की कमियों को दूर करने की आवश्यकता थी. इससे इस बात की आशंका बढ़ गई है कि बीजिंग अभी भी कानून पारित कराना चाहता है. यह विरोध उन लोगों के बीच की एक लंबी लड़ाई का हिस्सा है, जहां एक ओर वो लोग हैं जो हांगकांग को चीन के साथ देखना चाहते हैं तो दूसरी ओर  शहर की अनूठी स्वतंत्रता और संस्कृति को संरक्षित करने की इच्छा रखने वाले हैं.

1997 में ब्रिटेन के साथ हुए समझौते के अनुसार चीन ने हांगकांग को अपनी स्वतंत्र न्यायपालिका और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकारों की अनुमति देने का वादा किया था.  लेकिन कई लोग कहते हैं कि 50 साल की डील पर पहले से ही पाबंदी लगी हुई है. वे असंतुष्ट बुकसेलरों की चीन की हिरासत में गायब होने, प्रमुख राजनेताओं की अयोग्य ठहराए जाने और लोकतंत्र को लेकर प्रदर्शन करने वाले नेताओं के जेल में रहने का हवाला देते हैं.

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आरआर/एनआर(एएफपी)

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