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समाज

अपराधियों के निशाने पर बुजुर्ग क्यों?

प्रभाकर मणि तिवारी
२८ अक्टूबर २०१९

भारत में बुजुर्गों के खिलाफ अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ रही है. नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में मुंबई पहले स्थान पर है.

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USA Texas Greenville Tote nach Schüssen bei Party
तस्वीर: picture-alliance/AP/The Dallas Morning News/R. Michalesko

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में विश्व के सबसे सुरक्षित शहरों में शामिल रहे कोलकाता में ऐसे मामलों में 38 फीसदी वृद्धि हुई है. यूनाइटेड नेशंस पोपुलेशन फंड (यूएनपीएफ) ने बीते साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2050 तक भारत में बुजुर्गों की तादाद बढ़ कर तीन गुनी हो जाएगा. इन आंकड़ों की रोशनी में देखने पर समस्या की गंभीरता का पता चलता है.

महानगरों में अकेले रहने वाले बुजुर्ग दंपतियों के खिलाफ लगातार बढ़ते अपराधों ने राज्य सरकारों और पुलिस प्रशासन को भी चिंता में डाल दिया है. बुजुर्गों की देख-रेख और सुरक्षा के तमाम उपायों के बावजूद ऐसी घटनाएं कम होने के बजाय लगातार बढ़ती ही जा रही हैं.

कोलकाता पुलिस ने अकेले रहने वाले बुजुर्ग दंपतियों की सुरक्षा के लिए कुछ साल पहले एक नई पहल की थी. इसके तहत संबंधित थानों में ऐसे दंपतियों का आंकड़ा जुटाया जाता है और अक्सर ऐसे लोगों से फोन पर उनकी खैरियत पूछी जाती है. इस काम में गैर-सरकारी संगठनों की भी सहायता ली जाती है. बावजूद इसके बुजुर्ग दंपतियों के साथ मारपीट, चोरी और दूसरी आपराधिक घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है.

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एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के मामले में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पहले स्थान पर है. कोलकाता में ऐसे मामलों में वर्ष 2016 के मुकाबले वर्ष 2017 में 38 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है. लेकिन यह इस सूची में दसवें स्थान पर है. मुंबई (1115 मामले) के बाद दिल्ली 736 मामलों के साथ दूसरे और अहमदाबाद 534 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर है.

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "एनसीआरबी की रिपोर्ट में वर्ष 2017 के आंकड़े शामिल हैं. लेकिन इस साल अब तक महानगर में छह बुजुर्गों की हत्या हो चुकी है. ऐसे में, ऐसे मामलों में वृद्धि का अंदेशा है." उस अधिकारी का कहना है कि वर्ष 2015 से ही कोलकाता में बुजुर्गों के प्रति अपराध की घटनाओं में लगातार तेजी आई है. एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 के दौरान कोलकाता में बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के जो 36 मामले दर्ज किए गए थे उनमें से 25 गंभीर किस्म के थे. उनमें सात हत्याएं भी शामिल थीं.

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एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 में बुजुर्गों के खिलाफ हुए अपराधों के किसी भी मामले में अब तक आरोपपत्र दायर नहीं किया जा सका है. लेकिन कोलकाता पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इन आंकड़ों से सहमत नहीं हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, "हमने 80 फीसदी मामलों को हल कर लिया है. हत्या के ज्यादातर मामलों में भी अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है.”

पुलिस का कहना है कि बीती जुलाई में कोलकाता के दक्षिणी इलाके में एक बुजुर्ग दंपति की हत्या के बाद ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इस मामले में 71 साल की महिला की हत्या करने से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया था. कोलकाता पुलिस के अधिकारी इसके तहत नियमित अंतराल पर बुजुर्गों के घरों का दौरा कर रहे हैं. इसके अलावा उनको संबंधित थानों की ओर से आयोजित सामुदायिक बैठकों में भी बुलाया जाता है. ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने बुजुर्गों के लिए क्या करें और क्या न करें की एक सूची भी तैयार की है.

एनसीआरबी रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल अपराधों के मामलों में देश की राजधानी दिल्ली 2.10 लाख मामलों के साथ पहले स्थान पर है जबकि आईटी केंद्र के तौर पर मशहूर बंगलुरू दूसरे पर. राज्यवार देखें तो 3.10 लाख मामलो के साथ उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है जबकि 2.90 लाख मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे पर.

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वजह और उपाय

आखिर बुजुर्गों के खिलाफ बढ़ते अपराधों की वजह क्या है? सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि एकल परिवारों के वजह से रोजी-रोटी के सिलसिले में बच्चों के दूसरे शहरों या देशों में रहने की वजह से ऐसे बुजुर्ग अकेले रह जाते हैं. अपराधियों के लिए वे लोग सबसे आसान शिकार होते हैं.

हाल के महीनों में कोलकाता में ऐसे जितने भी अपराध हुए हैं उनमें से लगभग सभी मामलों में बुजुर्ग दंपति अकेले ही रहते थे. खासकर महानगर के पूर्वी छोर पर बसे साल्टलेक में बनी अत्याधुनिक रिहाइशी इमारतों में तो लगभग 35 फीसदी आबादी ऐसे बुजुर्गों की है जिनके बच्चे ग्रीन कार्ड या स्थायीन नागरिकता लेकर अमेरिका, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया या फिर यूरोप के किसी देश में बस गए हैं. ज्यादातर मामलों में घर के नौकर या ड्राइवर अपराधियों से मिले होते हैं.

एक गैर-सरकारी संगठन के संयोजक मनोरंजन धर कहते हैं, "अकेले रहने वाले बुजुर्गों को निशाना बनाना अपराधियों के लिए काफी आसान होता है. ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस को और सक्रिय होना पड़ेगा. लेकिन साथ ही मोहल्ले के लोगों के बीच आपसी मेल-जोल बढ़ा कर भी ऐसे मामलों पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है.” वह कहते हैं कि पड़ोसियों से खास संपर्क नहीं होने की वजह से कई मामलों में तो हत्या के कई बाद इसका पता चलता है.

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