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समाज

अपराध की दुनिया में भी पीछे नहीं हैं महिलाएं

समीरात्मज मिश्र
५ मार्च २०२१

अपराध की दुनिया में भले ही सालों से पुरुषों का वर्चस्व रहा हो लेकिन पीछे महिलाएं भी नहीं हैं. या यों कहें कि भारत में इस क्षेत्र में भी महिलाएं उसी तरह सक्रिय हैं जैसे अन्य क्षेत्रों में.

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सांकेतिक चित्रतस्वीर: Mohamed Dahir/AFP/Getty Images

गोरखपुर की गैंगस्टर गीता तिवारी समेत ऐसे कई नाम हैं जो जेल में रह कर और जेल के बाहर से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं और छूटने पर फिर उसी दुनिया में चले जा रहे हैं. गीता तिवारी को इलाके की पहली महिला गैंगस्टर बताया जा रहा है लेकिन अपराध की दुनिया में महिलाओं की सक्रियता की कहानी यहीं से नहीं शुरू होती है बल्कि पहले से ही जारी है. सबसे पहले बात गोरखपुर जिले की पहली महिला गैंगस्टर और हिस्ट्रीशीटर गीता तिवारी की जो जमानत से छूटने के बाद फिर जेल भेजी गईं और जेल में भी उनका बर्ताव कुछ ऐसा रहा कि उन्हें दूसरी जेल में भेज दिया गया.

अपराध की दुनिया में कई साल से सक्रिय गीता तिवारी फिलहाल देवरिया जेल में बंद हैं. पिछले साल एक बर्थडे पार्टी में हुई गोलीबारी के मामले में उन्हें गोरखपुर जेल भेजा गया था. गोरखपुर के जिला जेल की महिला बैरक में मारपीट करने के आरोप के बाद जेल प्रशासन ने उन्हें दूसरी जेल में शिफ्ट कर देवरिया जेल भेज दिया गया था. गीता तिवारी पर गोरखपुर में आधा दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हैं. साल 2019 में गोरखपुर के कोतवाली, गोरखनाथ और तिवारीपुर थाने में उन पर कई मुकदमे दर्ज किए गए थे और फिर गैंगस्टर के तहत हुई कार्रवाई में उन्हें जेल भेज दिया गया था. कोर्ट से जमानत मिल गई लेकिन उसके बाद उनके खिलाफ एनबीडब्ल्यू यानी गैर जमानती वारंट जारी हुआ था. इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा था.

सामान्य जिंदगी की उम्मीद में कलेक्टर ने कराई शादी

गोरखपुर के तिवारीपुर थाना क्षेत्र के सूर्या विहार कॉलोनी की रहने वाली गीता तिवारी पर हत्या के प्रयास, लूट और गैंगस्टर सहित कई मामले दर्ज हैं. गोरखपुर के स्थानीय पत्रकार गौरव त्रिपाठी बताते हैं, "शादी से पहले गीता संवासिनी गृह यानी शेल्टर होम में रहती थीं. गोरखपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक समाजसेवी शिवकुमार तिवारी से उनकी शादी कराई थी. शिवकुमार खुद को तो समाजसेवी कहते थे लेकिन बाद में वो मादक पदार्थों यानी ड्रग्स की तस्करी में पकड़े गए थे. उनके मरने के बाद गीता तिवारी भी अवैध ड्रग के उसी कारोबार में शामिल हो गईं और अपराध की दुनिया में आगे बढ़ती गईं.”

गौरव त्रिपाठी बताते हैं कि शिवकुमार तिवारी के जिंदा रहते भी वो इस दुनिया से जुड़ ही गई थीं लेकिन तब तक इसके बारे में किसी को पता नहीं था. धीरे-धीरे चोरी के मामलों में जेल गईं, घर पर अपराधियों का आना-जाना शुरू हुआ, कई और आपराधिक मामले उनके खिलाफ दर्ज हुए और बाद में गैंगस्टर कानून की धारा लगाकर जेल भेज दिया. हालांकि शुरुआती दौर में न तो गीता तिवारी और न ही उनके पति शिवकुमार तिवारी इस धंधे से जुड़े थे.

पुलिस ने की बेरहमी से महिला की पिटाई

अपराध से पहले जी रहे थे सामान्य जिंदगी

गीता तिवारी को करीब से जानने वाले गोरखपुर निवासी दिलीप विश्वकर्मा बताते हैं कि शिवकुमार से शादी के बाद गीता आर्केस्ट्रा का संचालन करने लगी थीं. उनके मुताबिक, "शिवकुमार भी पत्नी गीता के साथ कोतवाली इलाके में किराए के मकान में रहते थे. करीब दस साल पहले गीता के घर पर छापा पड़ा तो पांच अपराधी पकड़े गए. इस मामले में पहली बार गीता जेल गई थीं.”अपराध की दुनिया में यूपी में कुछ अन्य महिलाओं का भी बोलबाला है और अक्सर उनके कारनामे चर्चा में आते रहते हैं. पिछले दिनों बरेली में भी गैंगस्टर एक्ट में नामजद एक महिला राबिया अख्तर की जमानत अर्जी स्पेशल कोर्ट ने खारिज की तो उनके कारनामे भी चर्चा में आ गए.

स्पेशल कोर्ट ने जमानत रद्द करते हुए कहा कि अभियुक्त अपने ही बनाए गैंग की सरगना है और यदि उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो वह गवाहों को तोड़ने का काम करेगी. जज का कहना था कि ऐसी स्थिति में उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखाने या गवाही देने को कोई तैयार नहीं होगा और यह अपराध को और बढ़ाने का काम करेंगी. राबिया अख्तर पर मारपीट और मादक पदार्थों की तस्करी के पांच मुकदमे दर्ज हैं. आरोप हैं कि राबिया सट्टा रैकेट भी चलाती हैं.

गोरखपुर जिले में ही एक और महिला रिंकी गोस्वामी की भी हिस्ट्रीशीट पुलिस ने खोली है जो कथित तौर पर पशु तस्करों का गिरोह चलाती हैं. रिंकी गोस्वामी के खिलाफ साल 2017 से ही हत्या की कोशिश, साजिश रचने, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कई केस दर्ज हैं. यही नहीं, साल 2017 में ही रिंकी ने कौड़ीराम थाने में तैनात एक दारोगा पर जानलेवा हमला किया था. इस मामले में भी उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था.

अपराध की दुनिया में दाखिल होने के कारण

यूपी में डीजीपी रहे रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी डॉक्टर वीएन राय कहते हैं, "महिलाओं के अपराध की दुनिया में आने की बात नई नहीं है. इसकी वजहें कुछ भी हो सकती हैं लेकिन एक बात यह भी है कि संगठित अपराध से जुड़े लोग महिलाओं को भी इस जरायम पेशे से जोड़ने में दिलचस्पी रखते हैं क्योंकि इससे काफी फायदे होते हैं. महिलाओं पर किसी को भी जल्दी शक नहीं होता है और कई बार इसका फायदा इन आपराधिक गिरोहों को मिलता भी है लेकिन आखिरकार अपराधी बच नहीं पाता है. फिर चाहे वो पुरुष हो या महिला.”

हालांकि समाजशास्त्री यह भी मानते हैं कि कई बार सामाजिक आर्थिक परिस्थितियां भी महिलाओं को इस दिशा में धकेल देती हैं लेकिन ये परिस्थितियां महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों पर भी लागू होती हैं. दिल्ली के एक कॉलेज में समाजशास्त्र पढ़ाने वाले सर्वेश कुमार कहते हैं, "फूलन देवी का आपराधिक इतिहास इसका एक जीता-जागता उदाहरण है. महिलाएं कई बार जब खुद को असहाय महसूस करती हैं तो यही असहायता उन्हें ताकत देता है जो बदले की भावना के रूप में दिखता है. कई बार पैसों का अभाव और इन अभावों के दौरान सामाजिक उलाहने भी महिलाओं को अपराध की दुनिया में धकेलने का काम करते हैं.”

अपराध की दुनिया में महिलाओं की उपस्थिति के मायने में कोई भी राज्य अछूता नहीं है. हालांकि इस मामले में सबसे ऊपर महाराष्ट्र है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 90 हजार से ज्यादा महिलाओं को विभिन्न अपराधों के मामलों में गिरफ्तार किया गया है जबकि दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश और तीसरे पर मध्य प्रदेश का नंबर आता है.

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