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अफगानिस्तान ने चखा जीत का मजा

१२ सितम्बर २०१३

बुधवार की रात अफगानिस्तान में फिर बहुत शोर हुआ लेकिन इस बार गोलियों की आवाज में खुशी के नारे, नाचते कदमों की थाप और जश्न की खुशबू मिली थी. फुटबॉल में अंतरराष्ट्रीय खिताब कराहते अफगानिस्तान में जान भर गया है.

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तस्वीर: DW/H. Sirat

अफगानिस्तान की सड़कों ने कई दशकों के बाद झूमते इठलाते, शोर मचाते, नारे लगाते कदमों की थाप सुनी और महसूस किया कि खुशी क्या होती है. देश ने दशकों बाद जश्न मनाने का मौका देखा है.

अफगानिस्तान की राष्ट्रीय टीम ने भारत को 0 के मुकाबले 2 गोल से हरा कर साउथ एशियन फुटबॉल फेडरेशन चैम्पियनशिप जीत ली. नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुए इस मैच ने अफगानिस्तान को फुटबॉल का पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब दिलाया है और ऐसे में हर तरफ खुशी है. सड़कों पर झूम झूम कर नारे लगाते लोगों की भीड़ में कार और मोटरसाइकिल सवार भी शामिल हो गए. हॉर्न बजाते, अफगानिस्तान का झंडा लहराते लोगों से पूरी रात अफगानिस्तान की सड़कें गुलजार रहीं. राजधानी काबुल के घरों, रेस्तराओं और दुकानों में मैच देख रहे लोग जीत के बाद सड़कों पर निकले और खूब नाचे.

कंधे पर अफगान झंडा लपेटे अहमद बशीर ने कहा, "अब मैं जानता हूं कि गर्व कैसा महसूस होता है. यह मेरी जिंदगी का सबसे खुशी वाला पल है. मुझे नहीं पता कि अगर हम वर्ल्ड कप जीत गए तो क्या करेंगे." सख्त रुढ़िवादी मुस्लिम देश में सड़कों पर निकले लोगों में पुरुष ही थे, लेकिन कुछ परिवार भी कारों में बैठ बाहर जश्न मनाने निकले और "अफगानिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाते रहे.

राष्ट्रपति हामिद करजई ने भी अफगानिस्तान की फुटबॉल टीम की जीत को अपने सीने से लगाया है. राष्ट्रपति की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "हमारे युवाओं ने साबित कर दिया है कि हममें आगे बढ़ने और जीतने की क्षमता है." करजई के दफ्तर ने ट्विटर पर उनकी एक तस्वीर भी जारी की है जिसमें वो अपने पैलेस में मैच देखते नजर आ रहे हैं.

तीन दशकों से जंग और तबाही में लिपटे अफगानिस्तान के लिए खुशी का यह पल बहुत मायने रखता है. पूर्व सोवियत संघ के कब्जे से शुरू हुआ अफगानिस्तान के संकट का दौर, गृह युद्ध से होता हुआ तालिबान के शासन और फिर अमेरिकी हमले के साथ गहराता गया. तालिबान के दौर में संगीत, टेलीविजन, महिलाओं की शिक्षा और यहां तक कि लोगों के खुशी मनाने के लिए जमा होने तक पर पाबंदी लग गई थी. तालिबान के शासन में खेल पर भी रोक थी और राष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम को सार्वजनिक रूप से मौत की सजा देने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा था.

बुधवार की रात मैच जैसे ही खत्म हुआ अफगानिस्तान में दीवाने दर्शक एके-47 से हवा में गोलियां चला कर अपनी खुशी का इजहार करने लगे. इसकी वजह से थोड़ी अफरातफरी भी मच गई. लोगों को लगा कि तालिबान ने हमला कर दिया. तुरंत ही कुछ दूतावासों में चेतावनी देने वाले सायरन बजने लगे. पर जल्दी ही मामले को संभाल लिया गया. अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसी ने भी बयान जारी कर राष्ट्रीय टीम को बधाई दी है. हालांकि अधिकारी इस हंसी खुशी में हवा में गोली चलाने वालों को रोकना नहीं भूले. गुरुवार को उन्होंने एक और बयान जारी कर लोगों से गोलियां चलाना बंद करने को कहा.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

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