अफगानिस्तान ने फोटोग्राफर बना दिया
जापान के युवा फोटोग्राफर युजुके सुजुकी की तस्वीरें झकझोर देती हैं. बर्लिन फोटो फेस्टिवल में इस युवा फोटोग्राफर को सम्मानित किया गया है. एक नजर सुजुकी की तस्वीरों पर.
सर्वनाश
युजुके सीरिया के शहर अलेप्पो पहुंचे. वहां उन्होंने "सिटी ऑफ कियोस" नाम की फोटो सीरीज बनाई. यह तस्वीर उन्हीं में से एक है. युजुके के मुताबिक, "जब मैं अलेप्पो पहुंचा तो मैंने महसूस किया कि वहां पानी, गैस, बिजली, दवाएं, स्कूल, नौकरियां और बेबी मिल्क कुछ भी नहीं था."
हड्डियां जमाने वाली सर्दी
जनवरी में कड़ाके की सर्दी के दौरान जब अलेप्पो में लोगों को कंबल बांटे गए तो वहां छीना झपटी जैसी स्थिति हो गई. युजुके के मुताबिक, "एक कंबल पाने के लिए लोग चीख रहे थे. बहुत ही ज्यादा ठंडी सर्दियां काटने के लिए लोगों के पास गैस भी नहीं थी."
दोस्त
फ्री सीरियन आर्मी के इस युवक के जरिये जापानी फोटोग्राफर सीरिया पहुंचे. दोनों जल्द दोस्त बन गए. इस संपर्क के कारण ही युजुके बियाबान पड़े चुके शहरों तक पहुंचे.
लड़ाई के मैदान पर
फोटोग्राफर फ्री सीरियन आर्मी के साथ लड़ाई के मैदान तक पहुंचे. युजुके कहते हैं, "हमने अक्सर चाय पी और चुटकुले भी चलते रहे. कभी कभी तो वे फायर भी करते थे और साथ में चुटकुला भी सुनाते थे." लेकिन जैसे ही लड़ाई तेज हुई, सबका मूड बदल गया. युजुके समेत सबको मौत का डर सताने लगा.
जैसे तैसे पहुंच गए
शरणार्थी संकट को सामने लाने के लिए युजुके ग्रीस के लेसबोस द्वीप भी पहुंचे. युजुके के मुताबिक, "वहां हर दिन शरणार्थियों से ठसाठस भरी 20 से 25 नावें आती थीं."
गमगीन करने वाले दृश्य
लेसबोस में युजुके सुजुकी का सामना कई झकझोर देने वाले लम्हों से हुआ. लोगों का दर्द देख वह विचलित भी हो उठे. कभी कभी उन्हें लगा कि तस्वीर नहीं लेनी चाहिए. लेकिन फिर यह अहसास भी हुआ कि इन लोगों की कहानी किसी को तो कहनी चाहिए.
अफगानिस्तान का प्रोजेक्ट
2006 में मात्र 21 साल की उम्र में युजुके सुजुकी पहली बार अफगानिस्तान गए. उस यात्रा ने उन्हें बदल दिया. गिटारवादक बनने की चाह रखने वाले युजुके ने अफगानिस्तान ट्रिप के बाद फोटोग्राफर बनने का फैसला किया.
हिंसा के बीच आम जिंदगी
अफगानिस्तान पहुंचने से पहले युजुके को शांति और युद्ध के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थीं. अफगानिस्तान यात्रा के दौरान उनके मन में कई सवाल उठे. तभी उन्होंने महसूस किया कि लड़ाई और खूनखराबे के बीच भी आम जिंदगी की सुंदरता बची रहती है. यह तस्वीर उसी का जिक्र करती है.
अवॉर्ड जीतने वाली फोटोग्राफी
युजुके सुजुकी कहते हैं, "मैं युद्ध का मतलब समझना चाहता था. मैं देखना चाहता था, सुनना चाहता था और युद्ध में रह रहे लोगों की जिंदगी महसूस करना चाहता था." बर्लिन फोटो फेस्टिवल बीनियाले में उन्हें यंग एमर्जिंग टैलेंट का अवॉर्ड दिया गया.