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हिंसा के साये में चुनाव अभियान

३ फ़रवरी २०१४

अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बज गया है. देश की जनता नए राष्ट्रपति का चुनाव करने जा रही है लेकिन चुनाव के पहले ही हिंसक घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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Afghanistan Kinder und Soldat
तस्वीर: AFP/Getty Images

अफगानिस्तान की जनता राष्ट्रपति हामिद करजई का उत्तराधिकारी चुनने जा रही है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारों ने रविवार को जगह जगह रैलियां की लेकिन चुनाव अभियान शुरू होने के पहले ही राष्ट्रपति पद के दावेदार के सहयोगियों की हत्या ने चुनाव के दौरान सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है. बंदूकधारियों ने अफगानिस्तान के पूर्व मंत्री अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह के दो सहयोगियों की हेरात में शनिवार को गोली मारकर हत्या कर दी. अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हस्तांतरण के अभियान की उम्मीद को झटका लगा है. 5 अप्रैल को होने वाले चुनाव को देश के साढ़े तीन लाख सुरक्षाकर्मियों के प्रभाव का इम्तिहान माना जा रहा है. विदेशी सेना अफगानिस्तान से जाने वाली है और ऐसे में अफगान सुरक्षाकर्मी कितने सक्षम है, यह इस चुनाव के दौरान पता चल जाएगा. राष्ट्रपति हामिद करजई के बड़े भाई कय्यूम करजई ने परंपरागत सभा लोया जिरगा में अपने चुनाव अभियान की शुरूआत की. करजई ने अपने भाषण में कहा, "हम मौजूदा सरकार की सभी सकारात्मक उपलब्धियों को जारी रखेंगे. हम उन कार्यों पर ध्यान देंगे जिसको इस सरकार ने नहीं किया है." इससे पहले अब्दुल्लाह ने हमले में मारे गए अपने सहयोगियों के परिवार तक अपनी संवेदना पहुंचाई. 2009 के चुनाव में अब्दुल्लाह दूसरे स्थान पर आए थे. उस चुनाव में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के आरोप लगे थे.

किसके साथ मतदाता

अब्दुल्लाह ने अपने चुनाव अभियान में अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा, भ्रष्टाचार के खात्मे और कानून का शासन लागू करने का ऐलान किया है. उनके मुताबिक द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर देश की सुरक्षा के लिए अहम है. द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते के मुताबिक नाटो सेना की वापसी के बाद दस हजार अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में रहेंगे. अब्दुल्लाह के मुताबिक, "अफगानिस्तान एक ऐसी स्थिति में है, जहां अंतरराष्ट्रीय मदद का सिलसिला जारी रहना चाहिए. इंशाअल्लाह, इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद समस्याएं खत्म हो जाएंगी." अब्दुल्लाह के प्रतिद्वंद्वी 64 साल के अशरफ गनी ने मतदाताओं से कहा, "सुधार मेरे साथ, दोस्तुम और दानिश के साथ शुरु होंगे."

Afghanistan Präsidentschaftswahl 03.02.2014
राष्ट्रपति हामिद करजई का उत्तराधिकारी बनने के कई उम्मीदवारतस्वीर: Reuters

मतदाताओं की चिंता

अब्दुल्लाह के एक समर्थक अरेफा अलीजादा कहते हैं, "चुनाव में सुरक्षा को लेकर मेरी चिंता बनी हुई है. खास कर जब मैंने सुना कि चुनाव अभियान में दो लोगों की मौत हो गई. अगर हालात खराब होते हैं तो हम जैसे लोग वोट नहीं डाल पाएंगे." पिछले 12 साल से अफगानिस्तान हिंसा की चपेट में है. ज्यादातर अमेरिकी और नाटो सेना इस साल के अंत तक अफगानिस्तान छोड़ देगी. विदेशी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान की सुरक्षा का जिम्मा अफगान सेना के पास होगा. राष्ट्रपति करजई को पिछले साल द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने थे लेकिन उन्होंने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए. करजई के मुताबिक उनका उत्तराधिकारी इस काम को पूरा करेगा. 2001 में तालिबान के खात्मे के बाद से ही करजई अफगानिस्तान पर शासन कर रहे हैं. करजई को कई बार आतंकियों ने निशाना बनाने की कोशिश की. राजनीतिक विश्लेषक वहीद वफा के मुताबिक अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह और अशरफ गनी के बीच ही असली मुकाबला है. वे करजई के वफादार जालमई रसूल को तीसरे स्थान पर देखते हैं.

एए/एएम (एएफपी,एपी)

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