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अब कानूनी लड़ाई में उलझी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी

प्रभाकर मणि तिवारी
१३ जनवरी २०१७

नोटबंदी के खिलाफ पहले दिन से ही देशव्यापी आंदोलन का बिगुल बजाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तेवर चिटफंड घोटाले में अपने दो सांसदों की गिरफ्तारी के बाद अचानक उग्र हो गए हैं.

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Bangladesch Mamta Bannerjee in Dhaka
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Uz Zaman

अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना कालिदास और सनकी बादशाह मोहम्मद बिन तुगलक से करने वाली ममता ने अब प्रदेश बीजेपी नेतृत्व से निपटने के लिए कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है. उन्होंने नोटबंदी के खिलाफ आंदोलन की वजह से अपने खिलाफ केंद्र की कथित राजनीतिक साजिश का जवाब कानून के जरिए देने की रणनीति बनाई है. इसके तहत बीजेपी नेताओं के खिलाफ थानों में शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं. जवाबी कार्रवाई के तहत बीजेपी ने भी तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मानहानि के मामले दायर किए हैं. केंद्रीय मंत्री और आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो के खिलाफ एफआईआर के बाद तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व अब इस सप्ताह अपने दो नेताओं की हत्या के मामले में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को कटघरे में खड़ा करने की तैयारी में है.

मामले-दर-मामले

तृणमूल कांग्रेस की महासचिव और विधायक महुआ मैत्र की शिकायत पर पुलिस ने केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को पूछताछ के लिए समन भेजा था. उनको 12 जनवरी को थाने में पहुंचने को कहा गया था. लेकिन कोलकाता से बाहर रहने की दलील देकर वह पुलिस के समक्ष पेश नहीं हुए. महुआ ने थाने में उनके खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अभ्रदता के मामले में आपराधिक आचार संहित की धारा 41ए के तहत मामला दर्ज कराते हुए धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान भी कलमबंद कराया है. दरअसल, सांसद सुदीप की गिरफ्तारी के बाद एक टीवी चैनल पर इस मुद्दे पर होने वाली बहस के दौरान बाबुल ने कहा था, "महुआ क्या आपने महुआ (देसी शराब) पी रखी है?" उसके बाद ही महुआ ने उक्त शिकायत दर्ज कराई थी. तृणमूल कांग्रेस की एक अन्य विधायक मिताली साहा ने चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार दूसरे तृणमूल सांसद तापस पाल के खिलाफ बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा की कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत की है. इसके जवाब में बाबुल ने तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं के खिलाफ मानहानि के आरोप में कानूनी नोटिस भेजा है. बाबुल कहते हैं, "एक ओर तो तृणमूल कांग्रेस केंद्र पर बदले की राजनीति का आरोप लगा रही है. लेकिन दूसरी ओर, वह बीजेपी नेताओं के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करा रही है. यह बदले की राजनीति नहीं तो क्या है?"

ममता ने इस सप्ताह प्रधानमंत्री मोदी की तुलना कालिदास और मोहम्मद बिन तुगलक से की थी. उन्होंने प्रधानमंत्री पर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा था कि सीबीआई अब कान्सपिरेसी ब्यूरो आफ इंडिया में बदल गया है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा था कि वह ऐसी साजिश से नहीं डरेंगी. उनका कहना था, "आपलोग (केंद्र व बीजेपी) गायब हो जाएंगे. लेकिन हम बने रहेंगे." उसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और पार्टी के बंगाल मामलों के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता को मानसिक रोगी करार दिया था.

जंग तेज होने का अंदेशा

इस सप्ताह खड़गपुर में एक तृणमूल पार्षद के पति समेत दो लोगों की हत्या के मामले में पार्टी अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनको कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रही है. दिलीप घोष खड़गपुर सदर विधानसभा सीट से जीते थे. पार्टी ने पुलिस से खड़गपुर में बुधवार को हुई फायरिंग में स्थानीय विधायक और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की भूमिका की जांच करने की मांग की है. तृणमूल कांग्रेस महासचिव सुब्रत बख्शी कहते हैं, "इस कांड की तह तक पहुंचने और अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए मामले की समुचित जांच की जानी चाहिए. स्थनीय विधायक की भूमिका की जांच भी जरूरी है." आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की 14 जनवरी को कोलकाता में होने वाली रैली के मुद्दे पर भी इन दोनों दलों में ठन गई है. पुलिस ने गंगासागर मेले की भीड़ का हवाला देते हुए सुरक्षा वजहों से इस रैली की अनुमति देने से इंकार कर दिया है. यह मामला फिलहाल कलकत्ता हाईकोर्ट में है.

वैसे, राजनीतिक हलकों में एक-दूसरे के खिलाफ कानून का दरवाजा खटखटाने के मामले को ममता बनर्जी के उस बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है जो उन्होंने तीन जनवरी को रोजवैली घोटाले में सीबीआई के हाथों तृणमूल सांसद सुदीप बनर्जी की गिरफ्तारी के बाद दिया था. उस दिन ममता ने कहा था, "केंद्र को यह बात याद रखनी चाहिए कि हम भी जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं. वे हमारे नेताओं को गिरफ्तार कर रहे हैं. हम भी यहां गिरफ्तारियां कर सकते हैं." पर्यवेक्षकों का कहना है कि आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच कानूनी जंग और तेज होने का अंदेशा है. इसकी वजह यह है कि चिटफंड घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए सीबीआई की ओर से तृणमूल के कुछ औऱ नेताओं को शीघ्र समन भेजे जाने की चर्चा है.

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