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अब 'कूल' नहीं रहा बर्लिन

१४ मार्च २०१४

अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बर्लिन अब उतना आकर्षक शहर नहीं रहा. जर्मनी के सबसे दिलचस्प शहर में अचानक ऐसा क्या बदल गया. बता रहीं है, बर्लिन की निवासी, डॉयचे वैले की लाविनिया पीटू.

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Totale vom Brandenburger Tor mit Blick in Richtung Westen
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff

कभी रंगीन नाइटलाइफ और क्लबों के लिए मशहूर बर्लिन की लोकप्रियता कम होने की बातें तो तबसे ही होने लगी थीं जब बर्लिन की दीवार गिरी थी. जर्मनी की राजधानी होने के साथ साथ बर्लिन एक ऐसे महानगर के रूप में भी जाना जाता था जहां 'रॉक एंड रोल' संगीत के साथ बीयर बहती थी, और अराजकता की हद तक मस्ती होती थी. ऐसी छवि वाले एक शहर का अचानक उस स्थान से हट जाना बहुत से बर्लिन वासियों और उसके प्रशंसकों के दिल पर छुरी चला गया.

बर्लिन को हुआ क्या

रोलिंग स्टोन पत्रिका ने विश्व का सर्वश्रेष्ठ क्लब चुनने की सोची. पहले पूर्वी जर्मनी का हिस्सा रहे बर्लिन के कई इलाकों में बहुत से अंडरग्राउंड टेक्नो क्लब हैं, जो पुरानी औद्योगिक इमारतों में चलते हैं. इन्हें संगीत के शौकीनों ने मंदिर का दर्जा दे डाला है और उनके लिए टेक्नो क्लबों में जाना एक धार्मिक या आध्यात्मिक अनुभव है. बर्लिन की दीवार ढहने के बाद से ये टेक्नो क्लब दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर खींचते रहे हैं.

रोलिंग स्टोन पत्रिका के बाद, न्यू यॉर्क टाइम्स से लेकर जर्मनी के प्रमुख समाचार पत्र और सोशल मीडिया साइटों पर चर्चा छाई हुई है. न्यू यॉर्क का 25 साल का एक कलाकार बर्लिन और ब्रुकलिन की तुलना करते हुए कहता है कि यह दोनों ही बहुत सृजनात्मक जगहें हैं. जो अब मध्यवर्गीय या उच्च मध्यवर्गीय सोसायटी में तब्दील हो गई हैं. या तो हमने खुद ही कुछ किया है. या फिर हम दुनिया भर की हमारे खिलाफ रची गई साजिश में फंस गए हैं.

यह हो सकता है कि दक्षिण जर्मनी से आकर राजधानी बर्लिन में बसे लोग अपनी पुरानी धारणाओं को साथ लाए हों. या फिर साल भर दुनिया के अलग अलग हिस्सों से आने वाले पर्यटकों ने भी यहां आकर शहर को काफी अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला बना दिया हो और इस तरह बर्लिन की मूल आत्मा खो गई हो.

किसी अंदर वाले की साजिश

ऐसे सैकड़ों सर्वे आए हैं जिनमें बर्लिन हमेशा सबसे ऊपर रहा है. पर्यटकों का पसंदीदा, यूरोप का सबसे हरा भरा महानगर, बेहतरीन क्लब, नई नई खोजों का केन्द्र और कम पैसों में ज्यादा मजे के साधन देने वाला शहर. यह भी हो सकता है कि बर्लिन वासी ही कुछ समय के लिए बर्लिन को थोड़ा कम आकर्षक घोषित करवाना चाहते हों. इससे बाहर के लोगों का आना जाना शायद थोड़ा कम हो जाए ताकि यहां मजे से जीवन जिया जा सके.

शायद इन थ्योरी और अंदाजों में बिल्कुल दम न हो और लोग फिर भी बर्लिन की तरफ आते ही रहें. अगर कोई मुझसे पूछे, तो मैं कहूंगी कि इन बातों का कोई फायदा नहीं. क्योंकि अंदर से हर कोई जानता है कि बर्लिन कभी उबाऊ हो ही नहीं सकता.

रिपोर्टः लाविनिया पीटू/आरआर

संपादनः आभा मोंढे