अब डेनमार्क बसाएगा अपनी सिलिकॉन वैली
१४ जनवरी २०१९अमेरिकी सिलिकॉन वैली की तर्ज पर अब डेनिश राजधानी कोपेनहेगन में बनेगी यूरोप की सिलिकॉन वैली. डेनमार्क सरकार ने 2040 तक नौ कृत्रिम द्वीप बनाने की योजना बनाई है. ये द्वीप कोपेनहेगन के दक्षिणी समुद्र तट पर होंगे और इनका इस्तेमाल नए औद्योगिक क्षेत्र बसाने के लिए होगा.
आंतरिक मामलों के मंत्री साइमन एमिल एमिट्जबोएल-बिल का कहना है, "प्रोजेक्ट का नाम होल्मेने होगा और इससे डेनमार्क को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए आकर्षक बनाने में मदद मिलेगी. इस प्रोजेक्ट से 12,000 नई नौकरियां भी आएंगी. हम अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा व्यापार, निवेश और कुशल कर्मचारियों को आकर्षित कर पाएंगे."
कैसी होगी ये 'सिलिकॉन वैली'
सरकार का कहना है कि प्रोजेक्ट के लिए संसद की मंजूरी अभी बाकी है. उनका मानना है कि इस प्रोजेक्ट से कोपेनहेगन में जमीन की कमी की समस्या दूर हो जाएगी. देखिए इस प्रोजेक्ट के बारे में कुछ खास बातें.
- 31 लाख वर्ग मीटर (33 मिलियन वर्ग फीट) की नई जमीन उपलब्ध होगी,
- 380 नए व्यवसायों के लिए जगह होगी,
- 700,000 वर्ग मीटर की प्राकृतिक जगह होगी,
- 17 किलोमीटर नया समुद्र तट विकसिक होगा,
- 800 करोड़ डॉलर (€7.2 बिलियन) से अधिक की आर्थिक गतिविधि होगी.
सरकार को उम्मीद है कि वे 2022 तक पहले द्वीप को बनाना शुरु कर देंगे. व्यापार मंत्री रासमुस जारलोव ने बताया कि इसके लिए पैसा द्वीप की जमीन बेच कर जमा किया जाएगा. डेनमार्क के नियोक्ता संघ के प्रमुख ब्रायन मिकेलसेन ने योजना का स्वागत किया और डेनमार्क के 'टीवी2 टेलीविजन' को बताया कि द्वीप के बनने से यूरोप के अपने सिलिकॉन वैली की शुरुआत हो सकेगी.
कृत्रिम द्वीप से बना कोपेनहेगन
इस नए प्रोजेक्ट के नौ कृत्रिम द्वीपों में से एक पर 'वेस्ट कन्वर्जन प्लांट' लगेगा, जो कोपेनहेगन से निकले हुए कचरे से बायोगैस बनाएगा. इसके साथ यहां पर गंदे पानी को भी साफ किया जाएगा और पवन चक्कियों से निकलने वाली ऊर्जा को जमा कर काम में लाया जाएगा.
कोपेनहेगन खुद भी दो द्वीपों - जीलैंड और अम्गेर - पर स्थित है. अधिकारियों ने हाल के दशकों में कई बार कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर शहर की सीमा का विस्तार किया है. डेनमार्क के प्रधानमंत्री लार्स लोके रासमुसेन ने अक्टूबर में घोषणा की थी कि कोपेनहेगन के तट पर एक नया कृत्रिम द्वीप बनाया जाएगा जिसका इस्तेमाल आवासीय परियोजनाओं के लिए होगा. इससे बढ़ते समुद्रस्तर के कारण आने वाली बाढ़ से बचने में मदद मिलेगी.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स, डीपीए)