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अमेरिका करे कश्मीर में हस्तक्षेपः हुर्रियत

१७ अक्टूबर २०१०

हुर्रियत कांफ्रेस के उदारवादी धड़े ने कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग की है. अलगाववादी संगठन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की अगले महीने भारत यात्रा को देखते हुए रविवार को एक हस्ताक्षर अभियान की घोषणा की.

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अमेरिकी हस्तक्षेप के सिवा चारा नहींतस्वीर: UNI

श्रीनगर में एक बैठक के बाद हुर्रियत के उदारवादी धड़े के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने कहा, "हुर्रियत की कार्यकारी समिति और महा परिषद ने एकमत से कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की मांग करने का संकल्प किया है क्योंकि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में भारत और पाकिस्तान किसी तरह की प्रगति करने में नाकाम रहे हैं."

उन्होंने बताया कि हुर्रियत कांफ्रेस के सदस्य इस बात पर एकमत हैं कि कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं के मुताबिक इस लंबित मुद्दे के हल के लिए अमेरिका को इसमें शामिल होना चाहिए. मीरवाइज कहते हैं, "राष्ट्रपति ओबामा की भारत यात्रा से पहले अमेरिकी हस्तक्षेप के लिए राज्य भर में कल से हस्ताक्षर अभियान छेड़ेंगे." मीरवाइज के मुताबिक अब तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप जरूरी हो गया है क्योंकि भारत और पाकिस्तान इसे दोतरफा तौर पर हल करने में नाकाम रहे हैं और दोनों देशों के बीच कोई भी युद्ध विश्व की शांति के लिए खतरनाक होगा.

अलगाववादी नेता के मुताबिक अमेरिका ने दुनिया के कई संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं. कश्मीर के लिए कोई ऐसा प्रतिनिधि नियुक्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले हुर्रियत कांफ्रेस ब्रसेल्स, लंदन और अमेरिका में बने विभिन्न कश्मीर सेंटरों की मदद से राजनयिक कोशिशें तेज करेगी.

मीरवाइज ने बताया कि हुर्रियत ने 27 अक्टूबर मुकम्मल हड़ताल बुलाई है और लोगों से काला दिवस मनाने की अपील की गई है. 27 अक्टूबर 1947 को ही भारतीय सेना जम्मू कश्मीर में गई थी. मीरवाइज ने बताया, "हुर्रियत नेता घाटी के जिला मुख्यालयों से संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के दफ्तर तक मार्च करेंगे, ताकि राज्य से भारतीय सेना की वापसी के लिए दबाव डाला जा सके."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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