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अमेरिकी सरकार के खिलाफ मुकदमा

ओएसजे/आईबी (एपी, एएफपी) १५ अप्रैल २०१६

दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने अमेरिकी सरकार पर मुकदमा किया. माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक जांच एजेंसियां आए दिन लोगों की निजी जानकारी मांग रही हैं.

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तस्वीर: Fotolia/Kobes

अमेरिका की संघीय अदालतें सीक्रेट सर्च वारंट देती हैं. इस वारंट के जरिये जांच एजेंसियां किसी व्यक्ति के ईमेल पर नजर रखती हैं, इंटरनेट पर सुरक्षित रखी गई उनकी जानकारियों को टटोलती हैं. 1789 के ऑल रिट्स एक्ट के तहत कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ऐसे निगरानी संबंधी अधिकार दिए जा सकते हैं. माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक इस कानून की आड़ में नागरिकों के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है.

अपनी ही सरकार पर मुकदमा करते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने कहा, "ग्राहकों के पास यह जानने का अधिकार है कि कब सरकार ने उनके ईमेल पढ़ने का वारंट लिया, और उन्हें यह बताना माइक्रोसॉफ्ट का अधिकार है."

मुकदमा वॉशिंगटन के पास सिएटल की अदालत में दायर किया गया है. कंपनी का मुख्यालय भी सिएटल में ही है. दायर वाद के मुताबिक यह कहना कि लोगों को इसकी भनक लगेगी तो जांच में बाधा आएगी इसीलिए कंपनी चुप रहे, यह संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है.

माइक्रोसॉफ्ट के चीफ लीगल अफसर ब्रैड स्मिथ ने अपने ब्लॉग में कहा, कुछ अनोखे मसलों को छोड़कर बाकी मामलों में लोगों और कंपनियों को यह जानने का हक है कि सरकार उनके ईमेल या रिकॉर्ड कब हासिल करना चाहती है.

बीते 18 महीनों में अमेरिका की संघीय अदालतों ने माइक्रोसॉफ्ट से डाटा हासिल करने के लिए करीब 2,600 आदेश दिए. स्मिथ ने इसे रोज का झंझट बताया, "अमेरिकी सरकार का आए दिन ऐसे आदेश देना सामान्य बात हो गई है. इन आदेशों में ईमेल सेवादाताओं से इस कानूनी मांग पर चुप्पी साधने को कहा जाता है. हमें लगता है कि बात हद से आगे निकल चुकी है और हम अदालत से इसका हल निकालने के लिए कह रहे हैं."

माइक्रोसॉफ्ट से पहले एप्पल और गूगल से भी अमेरिकी सरकार का ऐसा ही टकराव हो चुका है. ये सारी कंपनियां अमेरिकी हैं. बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच इंटरनेट कंपनियां बाजार में अपनी साख बचाए रखना चाहती है. अगर लोगों को यह लगा कि फलां कंपनी उसकी जानकारी सुरक्षित नहीं रख रही है, तो वे कहीं और चले जाएंगे. यही वजह है कि हाल ही में एप्पल ने भी आईफोन खोलने के लिए खास कोड बनाने की एफबीआई की मांग को खारिज किया.

पहले लोग अपनी जानकारी कंप्यूटर पर ही रखते थे, लेकिन इंटरनेट में स्टोरेज की क्षमता बढ़ने से अब ज्यादातर डाटा इंटरनेट कंपनियों के पास रहता है. इस ढंग से डाटा सेव रखने को क्लाउडिंग कहा जाता है. माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक लोग उम्मीद करते हैं कि क्लाउड में उनकी जानकारी गोपनीय और सुरक्षित रहेगी. लेकिन अदालती आदेश बार बार इस संवैधानिक अधिकार से खेल रहे हैं.

असल में यह सारा विवाद अमेरिकी जासूस एडवर्ड स्नोडन के खुलासों के बाद शुरू हुआ. स्नोडन ने बताया कि अमेरिकी एजेंसियां कितने बड़े पैमाने पर दुनिया भर के लोगों की जासूसी कर रही हैं. उनकी जासूसी का शिकार कई देशों के शीर्ष नेता भी हुए.