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365 दिन चलने वाली रामलीला खतरे में

फैसल फरीद
७ जुलाई २०१७

अयोध्या में साल के 365 दिन चलने वाली रामलीला खतरे में है. इसके लिए धन मुहैया कराने वाली उत्तर प्रदेश सरकार से भुगतान ना होने के कारण रामलीला का मंचन करने वाले परेशान हैं और फिलहाल लाखों की उधारी में इसे जारी रखे हैं.

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Indien Theateraufführung Ramleela in Ayodhya
तस्वीर: DW/F. Fareed

भारत में रामलीला मंचन की बहुत पुरानी परंपरा रही है. हिंदू धर्म में व्यापक रूप से माने जाने वाले भगवान राम के जीवन से जुड़े तमाम प्रसंगों का मंचन कलाकार आमतौर पर छोटे बड़े शहरों और कस्बों में दशहरे के अवसर पर करते आये हैं. समय के साथ समाज में आयी आधुनिकता के बावजूद पौराणिक प्रसंगों को दिखाने वाले ऐसे रामलीला मंचनों को लेकर लोगों का सांस्कृतिक और धार्मिक जुड़ाव बना हुआ है.

अयोध्या में एक विश्वप्रसिद्ध रामलीला का मंचन होता हैं, जिसकी खास बात ये है कि ये साल में किसी खास अवसर पर नहीं बल्कि साल के 365 दिन अनवरत मंचित होती है. उत्तर प्रदेश के अयोध्या को राम की नगरी कहा जाता है और इसीलिए वहां की रामलीला का अलग ही महत्व माना जाता है. पूरे साल चलने वाली ये भारत की ऐसी अकेली रामलीला है, जिसमें कोई छुट्टी या इतवार नहीं पड़ता. ये सतत क्रम तेरह सालों से चल रहा है. लेकिन ये विश्वप्रसिद्ध रामलीला अब इस मोड़ पर पहुंच गयी है कि यह किसी भी समय बंद हो सकती है. कारण है, पैसे की किल्लत.

Indien Theateraufführung Ramleela in Ayodhya
तस्वीर: DW/F. Fareed

दूसरे शहरों में होने वाली रामलीला को अक्सर स्थानीय रामलीला कमेटी आयोजित कराती है, लेकिन अयोध्या की इस रामलीला का जिम्मा उत्तर प्रदेश सरकार का है. इसका पूरा खर्च सरकार से आना होता है लेकिन पिछले दो महीनों से इन्हें कोई पैसा नहीं मिला है. नतीजा ये कि रामलीला उधारी में चल रही हैं. मंचन करने वाले कलाकारों का लगभग पांच लाख रूपया मेहनताना बकाया है. वहीं रामलीला के दौरान धार्मिक पूजा भी होती है, जिसमें फूल, धूपबत्ती, प्रसाद की आवश्यकता होती है. आजकल ये सब कुछ उधार पर दुकानों से लिया जा रहा है. जेनरेटर में तेल भी उधार पर लिया जा रहा है. इस तरह हर रोज के एक हजार रुपये के खर्च के हिसाब से साथ कई हजार की उधारी चढ़ चुकी है.

Indien Theateraufführung Ramleela in Ayodhya
तस्वीर: DW/F. Fareed

अयोध्या शोध संस्थान के सहायक प्रबंधक राम तीरथ कहते हैं, "देखिये हम लोगों ने सरकार से लिख कर मांग की है कि अनुदान स्वीकृत किया जाये लेकिन अभी तक कुछ नहीं आया. किसी तरह स्थानीय दुकानदारों से सामान उधार ले लेते हैं लेकिन कलाकार को पैसा देना जरूरी हैं, वो नहीं दे पा रहे हैं. कलाकार अपना पारिश्रमिक मांगते हैं और हमारे पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है. जल्द समाधान न निकला तो रामलीला मंचन बंद करना पड़ेगा." तीरथ के अनुसार एक दिन में रामलीला के कलाकारों को सात हजार रुपये दिए जाते हैं. मंचन में करीब बीस कलाकार होते हैं इसलिए एक कलाकार के हिस्से में केवल 350 रुपये आते हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें वो भी नहीं मिल पा रहा है. दुकानदारों की ही तरह यह कलाकार भी अपने भुगतान के लिए परेशान हैं.

Indien Theateraufführung Ramleela in Ayodhya
तस्वीर: DW/F. Fareed

इस रामलीला की शुरुआत 20 मई 2004 को हुई थी. तब से यह लगातार चलती रही और पैसा मिलता रहा. लेकिन 23 सितंबर 2015 को इसे एक बार रोकना पड़ा था क्योंकि सरकार की तरफ पैसा आने में देरी हो गई थी. उस अवरोध के कारण काफी बखेड़ा खड़ा हुआ था और राज्य की तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार पर निशाना साधा गया था. 3 मई 2017 को उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही रामलीला को फिर से शुरू किया गया और सरकार ने वादा किया कि पैसे की कोई कमी नहीं होगी. तब से हर दिन रामलीला का मंचन हो रहा हैं लेकिन आयोजकों का कहना है कि तबसे पैसा नहीं आया है. तीरथ बताते हैं कि यहां के कलाकारों के साथ संस्थान ने विदेशों में भी रामलीला का मंचन किया हैं और यह दल न्यूजीलैंड, फिजी, त्रिनिदाद और टोबेगो, थाईलैंड और सूरीनाम जैसे देशों में भी जा चुके हैं. लेकिन अब अपने ही प्रदेश में राम के जन्म स्थान अयोध्या में इस अनवरत चलने वाली रामलीला पर धन की कमी के कारण संकट के बादल छाये हुए हैं.