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अल कायदा का गद्दार

३१ मई २०१३

दुनिया भर में आतंकवाद का दूसरा नाम अल कायदा है. लेकिन संगठन के अंदर भी ऐसे लोग हैं, जो उसे धोखा देने की कोशिश करते हैं. कैसे निपटा जाता है उससे.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/EPA/INTELCENTER

उत्तर अमेरिका के अल कायदा के नेताओं ने अपने उस कर्मचारी को अनुशासित करने की बहुत कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पन्ना दर पन्ना उन्होंने जिक्र किया है कि किस तरह इस शख्स ने उनके फोन का जवाब नहीं दिया, अपनी रिपोर्ट नहीं भेजी, मीटिंग में नहीं पहुंचा या फिर वक्त वक्त पर आदेश मानने से इनकार कर दिया.

इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी बताया है कि किस तरह लंबे समय से वह कोई भी "शानदार" ऑपरेशन करने में नाकाम रहा है.

और इस कर्मचारी ने इसका जवाब भी बेहद पेशेवर अंदाज में दिया. उसने संगठन छोड़ दिया और अपनी अलग संस्था बना डाली. कुछ ही महीनों में उसने जबरदस्त ऑपरेशन किया, जिसमें 101 लोग मारे गए. इस दौरान अल्जीरिया में बीपी के गैस प्लांट में जबरदस्त अपहरण कांड भी था. इसके अलावा नाइजर में फ्रांसीसी प्रतिष्ठानों में बम विस्फोट भी शामिल था. अल कायदा के इस पूर्व कर्मचारी और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी का नाम मुख्तार बिलमुख्तार है.

Algerien Gasfeld Amenas Terror Geiseln Angriff
अल्जीरिया के गैस प्लांट में अपहरण कांडतस्वीर: Reuters

अलग तेवर वाला बिलमुख्तार

अल कायदा का यह पत्र मीडिया के पास है. इसमें जिक्र किया गया है कि किस तरह बिलमुख्तार सीधे टॉप कमांड के नेतृत्व में काम करना चाहता था. पत्र में पता चलता है कि किस तरह यह व्यक्ति तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ता गया. इसमें अल कायदा के काम काज के बारे में भी पता चलता है.

पेंटागन में अफ्रीकी आतंकविरोधी मामलों के जानकार रुडोल्फ अतल्ला का कहना है कि इस पत्र को देख कर पता लगता है कि अल्जीरिया और नाइजर में क्या कुछ हुआ. पत्र तीन अक्तूबर को लिखा गया. बिलमुख्तार ने इन जगहों पर आतंकवादी घटनाओं की जिम्मेदारी ली है. अतल्ला का कहना है, "वह सीधे अपने बॉस को संदेश दे रहा है कि वह एक जिहादी है और उसकी बॉस से अलग पहचान होनी चाहिए. वह अल कायदा को भी संदेश दे रहा है कि उत्तर में काम करने वाले लोग अक्षम हैं. आप मुझसे सीधे बात कर सकते हैं."

Soldaten Armee Mali
माली में शांति का प्रयासतस्वीर: picture-alliance/dpa

पेंटागन में एमबीएम

अल्जीरिया के उत्तरी हिस्से में पैदा हुआ बिलमुख्तार 40 की दहाई का है और पेंटागन के अंदर एमबीएम (नाम के पहले अक्षरों) से जाना जाता है. उसने 19 साल की उम्र में अफगानिस्तान का दौरा किया और अपनी जीवनी में लिखा है कि वहां अल कायदा की एक ट्रेनिंग के दौरान अपनी एक आंख खो बैठा. आखिर में दो दशक बाद उसे अल कायदा से अलग ही होना पड़ा.

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पिछले कुछ सालों में ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं, जिसके अनुसार बिलमुख्तार को अल कायदा इन मगरीब से अलग थलग कर दिया गया है. टिम्बकटू से हासिल इस पत्र के मुताबिक वह हाल तक अल कायदा का वफादार था लेकिन बाद में रिश्ते बेहद खराब होने के बाद वह अलग हो गया.

रिसता हुआ घाव

यह पत्र अल कायदा के शूरा काउंसिल के सदस्यों के दस्तखत के साथ है, जिसमें उन्होंने बिलमुख्तार के साथ रिश्तों को "रिसता हुआ घाव" बताया है, "तुम्हारे पत्र में गद्दारी, अपशब्द और गलत भाषा का प्रयोग हुआ. हमने अपनी तरफ से बहुत संयम बरता लेकिन यह घाव ठीक नहीं हो रहा है."

इसके बाद उन्होंने नुक्ता ब नुक्ता बिलमुख्तार के खिलाफ शिकायतें लिखी हैं. उन्होंने कनाडा के अपहृत राजनयिक रॉबर्ट फॉलर के लिए ली गई फिरौती पर भी सवाल उठाया है. पत्र में लिखा गया है कि सिर्फ सात लाख यूरो पर उसे छोड़ दिया गया, जबकि अल कायदा का आम "रेट" प्रति बंधक 30 लाख यूरो तक है और यूरोपीय सरकारें आराम से यह पैसा दे दिया करती हैं.

Mali Moschee Zerstörung
माली की पुरानी इमारतें भी क्षतिग्रस्ततस्वीर: Reuters

इस खतो कितावत से पता चलता है कि कभी गरीब समझा जाने वाला अल कायदा इन मगरीब कैसे लगातार पैसे जुटाता आ रहा है. समझा जाता है कि अपहरण और फिरौती से उसे 8.9 करोड़ डॉलर हासिल हुए हैं. अल कायदा संस्थापक ओसामा बिन लादेन ने भी इस तरीके का स्वागत किया था.

इस पत्र से यह भी पता चलता है कि फिरौती के पैसों से सीधे हथियार खरीदे जाते हैं. इसके बाद पश्चिमी ठिकानों पर हमले किए जाते हैं. अल कायदा ने बिलमुख्तार पर आरोप लगाया है कि वह इन नियमों का पालन नहीं कर रहा है.

बिना इजाजत यात्रा

किसी कंपनी के मैनेजरों जैसे तरीके अख्तियार करते हुए शूरा के सदस्यों ने लिखा है कि वह कैसे बिना इजाजत के हाल में लीबिया गया क्योंकि लीबिया का काम किसी और कमांडर को दिया गया था, "यहां के सदस्यों को सिर्फ तुम्हारे साथ ही परेशानी क्यों हो रही है. हर बार सिर्फ तुम्हारे ही साथ. क्या वे सब गलत हैं."

इसमें सिर्फ बिलमुख्तार और संस्था की दूरी का जिक्र नहीं, बल्कि अल कायदा के केंद्रीय कमान और स्थानीय कमान की दूरियों का भी जिक्र है. स्थानीय नेताओं का कहना है कि बिलमुख्तार उन्हें नजरअंदाज कर रहा है.

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बिलमुख्तार परंपरागत तरीकों से अलग रास्ता अपनाना चाहता था. उसने लिखा है कि अपहरण के मामलों से जिहादी "बोर" होने लगे हैं. उसने बिन लादेन और अल जवाहिरी की प्रशंसा में भी काफी कुछ लिखा है, जिसका स्थानीय अल कायदा ने जवाब दिया, "बहुत सुंदर शब्द.. क्या इसके बाद भी तुम उनके खिलाफ गद्दारी की योजना बना रहे हो."

कैसे बढ़ा बिलमुख्तार

लेकिन बिलमुख्तार करीब 10 साल से अलग होने की योजना बना रहा था. फ्रांस में टुलूस यूनिवर्सिटी के इस्लामी जानकार माथियू गुइदेरा के मुताबिक उस वक्त वह अल्जीरिया में सलाफियों के एक संगठन जीएसपीसी का मुखिया हुआ करता था. जब 2003 में इराक युद्ध शुरू हुआ, तो उसके जैसे युवा और वरिष्ठ सदस्यों में विवाद हो गया. युवा वैश्विक जिहाद का हिस्सा बनना चाहते थे, जबकि वरिष्ठ सदस्यों का पूरा जोर अल्जीरिया को एक इस्लामी राष्ट्र बनाने पर था. युवा वर्ग की जीत हुई लेकिन बिलमुख्तार को किनारे कर दिया गया और अब्दुल मलिक द्रोकदेल को वहां का मुखिया बना दिया गया.

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अल कायदा की माली में मौजूदगीतस्वीर: JOEL SAGET/AFP/Getty Images

जब जीएसपीसी ने औपचारिक तौर पर अल कायदा से जुड़ने के लिए चिट्ठी लिखी, तो बिलमुख्तार और द्रोकदेल दोनों ने बिन लादेन से खुद को मुखिया घोषित करने की मांग रखी. एक बार फिर से द्रोकदेल की जीत हुई.

गुइदेरा की किताब के अनुसार इसके बाद बिलमुख्तार दक्षिण में माली की तरफ बढ़ गया. वहां उसके लड़ाकों ने 2007 में चार फ्रांसीसी सैलानियों की हत्या कर दी. कई बार बिलमुख्तार को मरा हुआ घोषित किया गया लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद वह फिर सामने आ गया.

अल कायदा की चिट्ठी मिलने के कुछ ही दिनों बाद बिलमुख्तार ने एलान किया कि वह अल कायदा छोड़ रहा है और अपना ग्रुप बना रहा है.

एजेए/एमजे (एपी)

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