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आखिरकार ग्रीक राजधानी एथेंस को मिली पहली मस्जिद

१४ जून २०१९

ना मीनार है और ना कोई गुंबद. कोई सजावट भी नहीं, जो इस्लामिक प्रार्थना स्थलों पर होती है. बस चोकोर सा एक ढांचा है. लेकिन ग्रीक राजधानी एथेंस में रह रहे मुसलमानों के लिए यह मस्जिद है जो उनके बरसों के संघर्ष का फल है.

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Griechenland Erste Moschee in Athen
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Messinis

ग्रीक अधिकारियों का कहना है कि राजधानी एथेंस में पहली मस्जिद सितंबर में श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगी. एथेंस में यह 180 सालों में पहली मस्जिद है. इसका निर्माण इस साल सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है और इस पर साढ़े आठ लाख यूरो का खर्च आएगा. यह मस्जिद एक पूर्व औद्योगिक क्षेत्र में बनाई जा रही है.

हालांकि ग्रीस के दूसरे इलाकों में मस्जिदें हैं, लेकिन राजधानी एथेंस 1833 में जब ओटोमान साम्राज्य से मुक्त हुई, तब से वहां कोई औपचारिक मस्जिद नहीं थी. एथेंस में मस्जिद बनाने की बात सबसे पहले 1890 में शुरू हुई. इसके लिए संसद में बिल लाया जाना था, लेकिन ऐसे प्रयास लगातार नाकाम होते गए. इनमें से एक वजह तो 2004 में होने वाले ओलंपिक खेल भी थे. आखिरकार मस्जिद बनाने के बिल को अगस्त 2016 में संसद की मंजूरी मिली और एथेंस के एक पूर्व औद्योगिक इलाके में इसे बनाया जा रहा है.

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ग्रीस के शिक्षा मंत्री कोस्तास गावरोग्लुओ कहते हैं, "जल्द ही वहां इमाम पहली नमाज कराएंगे. हमें लगता है कि यह काम सितंबर तक संभव हो जाएगा." मस्जिद के निर्माण में कई चीजें बाधा बनीं. इसमें लाल फीताशाही से लेकर वित्तीय संकट, ऑर्थोडॉक्स ईसाईयों की बहुलता, देश में मजबूत हो रहे धुर दक्षिणपंथियों का विरोध और मस्जिद के निर्माण के लिए मंजूरी हासिल करने में देरी तक शामिल हैं. ऐसे में, मुसलमानों को अलग अलग जगहों पर अस्थायी ठिकानों पर नमाज अदा करनी पड़ती थी.

एथेंस में रहने वाले शिया समुदाय के प्रवक्ता आशीर हैदर कहते हैं, "यह किसी सपने के सच होने जैसा है." एथेंस में लगभग दो लाख मुसलमान रहते हैं जिनमें पाकिस्तान, सीरिया, अफगानिस्तान और बांग्लादेश समेत कई देशों से आए लोग शामिल हैं. वैसे ग्रीस की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी दो फीसदी है जिनमें से ज्यादातर लोग देश के उत्तरी हिस्से में रहते हैं. वहां उनकी अपनी मस्जिदें हैं.

मस्जिद बनाने का सबसे ज्यादा विरोध धुर दक्षिणपंथियों की तरफ से हो रहा था. जिस जगह अब मस्जिद बनाई जा रही है, उसके करीब ही एक दीवार पर लिखा है, "इस्लाम को भगाओ." एथेंस के पास मेगारा में रहने वाले मोहम्मद इरफान कहते हैं कि देखने से बिल्कुल नहीं लगता कि वह मस्जिद है. उनके मुताबिक, "यह कतई मस्जिद जैसी नहीं दिखती. लेकिन अहम बात यह है कि यह नमाज पढ़ने की जगह है."

गावरोग्लुओ ने बताया कि एथेंस की मस्जिद किसी की निजी संपत्ति नहीं, बल्कि यह एक सार्वजनिक स्थल होगी. उन्होंने कहा, "यह किसी एक की नहीं है, बल्कि यह हमारी सबकी है. इसका मालिक कोई व्यक्ति या समुदाय, या समाज या फिर कोई बाहरी देश नहीं है."

मस्जिद का निर्माण अब पूरा होने को है, जिससे मुस्लिम समुदाय ने राहत की सांस ली है. मस्जिद के इमाम जकी मोहम्मद कहते हैं, "शुक्र है अल्लाह का कि आखिरी हमारे पास अब मस्जिद है जहां हम नमाज पढ़ सकते हैं, जमा हो सकते हैं और अलग अलग विषयों पर बात कर सकते हैं."

एके/आईबी (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)

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