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आग से धधकता, जूझता रूस

४ अगस्त २०१०

रूस जंगलों में लगी भयावह आग से जूझ रहा है लेकिन आग की लपटें नए इलाकों को अपनी चपेट में ले रही हैं. आग के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित है एक शहर जहां सारोव परमाणु शोध संस्थान भी है.

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तस्वीर: AP

मंगलवार को 400 नए स्थानों पर आग लगी और आग की इन लपटों ने 40 लोगों को निगल लिया है. विदेशी, देशी सहायता पहुंच रही है लेकिन दावानल की विभीषिका के आगे अभी सब कुछ कम पड़ रहा है. आग से सबसे ज्यादा प्रभावित है निज्नी नोवगोरोद, यहीं पर परमाणु अनुसंधान के लिए बना एक केंद्र भी है. देश के परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख मंगलवार को इस शहर में आग बुझाने की कार्रवाई में मदद करने के लिए पहुंचे. अधिकारिक जानकारी के हिसाब से फिलहाल खतरे की कोई बात नहीं है. केंद्र में काम पहले की तरह जारी है.

Waldbrände in Russland Flash-Galerie
तस्वीर: AP

हालांकि केंद्र के प्रमुख ने कहा है कि संयंत्र के आसपास खुदाई की जाए और यहां पर्याप्त पानी की इकट्ठा किया जाए. अगर जरूरत पड़ी तो शहर के सभी लोग अपने निजी अग्निशमन यंत्र केंद्र को मुहैया करवाएं. उधर जंगलों में लगी इस भीषण आग के कारण जानने की कोशिश की जा रही है. प्रकृति के संरक्षण के लिए लड़ने वाले लोगों का मानना है कि पिछले सालों में जंगलों की आग से बचने के लिए आवश्यक सुविधाओं को एकदम कम कर दिया गया. इसीलिए एकदम इस तरह की आपदा सामने आई है. मॉस्को में डबल्यूडबल्यूएफ के निकोलाय श्मात्कोव कहते हैं, नब्बे के दशक तक जंगलों में लगने वाली आग को रोकने के उपाय सही थे. वन अधिकारी थे जो बराबर जंगलों पर नजर रखते थे. इन लोगों के कारण जंगल में लगी आग को शुरुआती दौर में ही खत्म कर दिया जाता था. लेकिन अब इन वन अधिकारियों की संख्या में तेज़ी से कमी की गई है.

लोगों में भारी असंतोष है उनका कहना है कि अधिकारियों ने आग बुझाने का काम बहुत धीरे शुरू किया.

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गांव के गांव खाकतस्वीर: AP

बहरहाल इस बीच रूस में यूक्रेन और अरब देशों से आग बुझाने के लिए सहायता ली है. यूक्रेन से दो हवाई जहाज भेजे गए हैं और अज़रबाइजान से दो हेलिकॉप्टर. रूस के आपात मामलों के मंत्री सेर्गई शियोगु ने कहा है कि स्थिति अब भी तनावपूर्ण है. अधिकारियों ने मंगलवार को जानकारी दी कि एक सैनिक ठिकाना भी आग में जल कर खाक हो गया. अधिकारियों का कहना है कि गर्म मौसम और बदलती हवाओं के कारण आग को काबू में लाना मुश्किल हो रहा है.

रूसी लोग जंगलों के पास, शहरों की सीमा पर हर शनिवार रविवार बार्बिक्यू करते हैं. माना जा रहा है कि गर्मी और सूखे मौसम में ये आग अच्छी तरह से बुझी नहीं और इसने जंगलों को अपने चपेट में ले लिया. डेढ़ लाख से ज्यादा लोग आग बुझाने के काम में लगे हुए हैं. एक लाख 70 हज़ार हैक्टेयर जमीन धू धू जल रही है. और रोज नए हिस्सों में आग लग रही है.

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पहुंची विदेशी सहायता भीतस्वीर: AP

एक देश जो कि कड़कड़ाती ठंड के लिए मशहूर है वो इस साल लू की चपेट में है और इस सालवहां गर्मी ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. इस सप्ताह भी मॉस्को में 38 डिग्री तापमान रहा. इस कारण खेती को भी भारी नुकसान हुआ है. सूखे के कारण किसानों को समय से पहले ही कटाई करनी पड़ रही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एम गोपालकृष्णन