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प्रेस की आजादी पर खतरे बढ़े

२० अप्रैल २०१६

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का कहना है कि दुनिया भर में पत्रकारों और स्वतंत्र मीडिया पर दबाव बढ़ रहा है. प्रेस आजादी पर संस्था की अंतरराष्ट्रीय सूची में जर्मनी चार स्थान नीचे चला गया है, जबकि भारत 133वें स्थान पर है.

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Medienfreiheit
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Lopez

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने मंगलवार को बर्लिन में कहा कि जर्मनी सूची में 12वें स्थान से खिसक कर 16वें स्थान पर चला गया है. संस्था ने इसकी वजह पत्रकारों पर बढ़ते हमलों और उन्हें दी जाने वाली धमकियों को बताया है. जर्मनी में पिछले साल पत्रकारों को दी गई धमकियों, हिंसा और मौत की धमकियों में तेजी आई. खासकर पेगीडा संगठन के इस्लाम और विदेशी विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पत्रकारों पर कम से कम 39 हिंसक हमले दर्ज किए गए.

पेरिस स्थित संगठन के महासचिव क्रिस्टॉफ डेलोआ ने कहा कि हालांकि पूरी दुनिया में सूचकांक में ह्रास देखा गया है लेकिन लैटिन अमेरिका की हालत सबसे खराब है. उन्होंने कहा कि बहुत सारी संस्थाएं खुली बहस से बचने के लिए अपने देशों पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं, "आज सत्ताओं के लिए नई तकनीकी के जरिए लोगों से सीधे संपर्क आसान होता जा रहा है, इसलिए स्वतंत्र सूचना का प्रतिनिधित्व करने वालों के खिलाफ हिंसा का अनुपात ज्यादा है." उन्होंने शिकायत की है कि दुनिया प्रोपेगैंडा के नए काल में प्रवेश कर रही है.

Angel Ramirez Geschäftsführer der NGO Congreso Transparente
तस्वीर: DW/D. Olmos

पत्रकार संस्था का कहना है कि दुनिया के सभी हिस्सों में मीडिया की आजादी का दायरा घट रहा है. मिस्र, रूस और तुर्की जैसे देशों में बढ़ती निरंकुश प्रवृतियों के अलावा लीबिया, बूरूंडी और यमन जैसे देशों में सशस्त्र संघर्ष इसकी वजह है. पोलैंड और हंगरी जैसे देशों में भी सरकारी और गैर सरकारी मीडिया पर नियंत्रण की कोशिशें प्रेस की आजादी पर नकारात्मक असर डाल रही हैं.

प्रेस स्वतंत्रता पर रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की नई सूची में फिनलैंड पहले नंबर पर है, जबकि नीदरलैंड्स और नॉर्वे दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं. 180 देशों की सूची में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर कोरिया और एरिट्रिया पिछले साल की ही तरह आखिरी तीन जगहों पर हैं. मीडिया संस्था के अनुसार सीरिया (177) में पत्रकारों को लक्षित और बर्बर हिंसा का सामना करना पड़ रहा है, जबकि मिस्र (159) में 20 से ज्यादा पत्रकार अपने काम की वजह से जेल में बंद हैं. जर्मनी में एक टीवी व्यंगकार के खिलाफ राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एरदोवान की शिकायत के कारण सुर्खियों में आया तुर्की प्रेस स्वतंत्रता सूची में 151वें स्थान पर है. चीन 176वें स्थान पर है, जबकि भारत तीन स्थान सुधर कर 133 वें स्थान पर पहुंचा है.

Türkei Can Dündar Prozess
तस्वीर: Reuters/O. Orsal

पिछले साल के मुकाबले नीचे खिसकने वाले देशों में पोलैंड शामिल है जिसकी नई कंजरवेटिव सरकार प्रेस की आजादी पर सख्त रवैया अपना रही है. जर्मनी का पड़ोसी पोलैंड 29वें से 47वें स्थान पर चला गया है. स्थिति बेहतर बनाने वाले देशों में ट्यूनीशिया शामिल है, जो 30 स्थान उछल कर 96वें स्थान पर चला गया है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की यह अंतरराषट्रीय सूची 180 देशों में पत्रकारों, ब्लॉगरों और मीडिया की आजादी की स्थिति को प्रतिबिंबित करती है. यह सूची पत्रकारिता की आजादी पर एक प्रश्नावली के जरिये तय की जाती है, जिसे मीडिया संस्था 20 भाषाओं में दुनिया भर में पत्रकारों, मीडिया विशेषज्ञों, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भेजकर पूछती है. सूची में स्थानों का फैसला मीडिया की आजादी, सेल्फ सेंसरशिप, कानून का राज्य, पारदर्शिता और आजादी के हनन जैसे मानकों के आधार पर किया जाता है.

एमजे/आईबी (डीपीए, एएफपी)

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