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आज इराक, कल जॉर्डन

२६ जून २०१४

सीरिया और इराक के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में लेने के बाद आतंकवादी संगठन "इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया" जॉर्डन सीमा तक पहुंच गया है. राजधानी अम्मान से हाई अलर्ट का सायरन बजा दिया है.

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Bildergalerie ISIS
तस्वीर: picture-alliance/abaca

इराकी सेना से लूटा गया एक टैंक इराक-जॉर्डन सीमा पर खड़ा है. उसके ऊपर इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईसिस) का काला-सफेद झंडा लगा हुआ है. रेगिस्तान वाली सीमा पर इराकी सेना की चौकियां भी आईसिस के नियंत्रण में हैं. आम तौर पर दोनों देशों के बीच होने वाले कारोबार के दौरान बॉर्डर पर तैनात कस्टम अधिकारी लेखा जोखा करते थे. लेकिन अब सीमा से इराक सरकार को कोई सूचना नहीं मिल रही है. सुन्नी आतंकवादी संगठन आईसिस इलाके को अपने प्रभाव में ले चुका है.

दहलीज पर आईसिस की दस्तक से जॉर्डन में बेचैनी दिखने लगी है. देश के गृह मंत्रालय ने एलान किया है कि उनका देश "चरमपंथियों से घिर" चुका है. इराक सीमा पर तैनात सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है. जॉर्डन के राजा अब्दुल्लाह ने इलाके की स्थिति पर बर्लिन में चांसलर अंगेला मैर्केल से मुलाकात की. मैर्केल ने इलाके को अस्थिर बताते हुए समस्या के राजनीतिक समाधान और इराक में एकता सरकार की मांग की है.

आईसिस से निपटने के लिए इराकी फौज करने की मदद करने अमेरिका के 300 सैन्य अधिकारी इराक में हैं. लेकिन जिस तेजी से आईसिस जॉर्डन सीमा तक पहुंचा है, उससे वॉशिंगटन को भी चिंता हो रही है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने आईसिस को "पूरे इलाके के लिए एक खतरा" करार दिया है.

बेबस होक घर छोड़ते लोग
इराक में आईसिसतस्वीर: picture-alliance/abaca

अपना इलाका फैलाता आईसिस

जर्मन शहर हैम्बर्ग में जर्मन इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल एंड एरिया स्ट्डीज (जीआईजीए) के मध्य पूर्व एक्सपर्ट आंद्रे बांक को लगता है कि आईसिस मध्य पूर्व के मौजूदा राजनीतिक ढांचे को ध्वस्त कर अपना विशाल इलाका बनाना चाहता है. डीडब्ल्यू से बातचीत में बांक ने कहा, "इसका मतलब सिर्फ सीरिया, इराकी हिस्से, लेबनान और फलीस्तीन का बड़ा हिस्सा ही नहीं बल्कि जॉर्डन का भी बड़ा इलाका है."

आईसिस ने पश्चिमी जगत के भी कान खड़े कर दिये हैं. आतंकवादी संगठन ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें उसके लिए लड़ते ब्रिटिश और ऑस्ट्रेलियाई नागरिक संदेश दे रहे हैं. जर्मन मूल के कुछ युवा भी आईसिस के लड़ाके बन चुके हैं. जर्मनी, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में इस वक्त यह बहस चल रही है कि कैसे इन चरमपंथियों को यूरोप में घुसने से रोका जाए. डर है कि चरमपंथी देश लौटकर मुस्लिम युवाओं को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे.

वीडियो में ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के आतंकवादी कह रहे हैं, "हमारे लिए सीमाओं का कोई मतलब नहीं है." जल्द ही लेबनान और जॉर्डन में घुसने के संकेत देते हुए उन्होंने कहा, "जहां हमारे नेता भेजेंगे, हम वहां जाएंगे."

कितना मजबूत है जॉर्डन

Flüchtlinge im Irak
तस्वीर: picture-alliance/dpa

हालांकि बांक मानते है कि जॉर्डन में घुसपैठ करना आईसिस के लिए आसान नहीं होगा, "इराक में सेना का मनोबल टूटा हुआ था, लिहाजा उन्हें वहां आसानी हुई. लेकिन जॉर्डन का सुरक्षा ढांचा पूरे इलाके के सबसे मजबूत ढांचों में से एक है."

अम्मान में अटलांटिक काउंसिल के सुरक्षा विशेषज्ञ रामजी मारदिनी को लगता है कि खतरा बहुत ज्यादा है. उन्हें शक है कि चरमपंथी जॉर्डन में भी आतंकवादी ढांचा तैयार कर चुके हैं. बीते शुक्रवार को हुए एक प्रदर्शन का हवाला देते हुए वो कहते हैं कि दक्षिणी जॉर्डन के शहर मान में आईसिस के 200 समर्थक खुलेआम सड़कों पर उतरे और उन्होंने शहर को "जॉर्डन का फलूजा" घोषित कर दिया. फलूजा सुन्नी बहुल वाला इराकी शहर है और आईसिस के नियंत्रण में है.

जॉर्डन सरकार के अधिकारी और दूसरे सुरक्षा विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि जॉर्डन में आईसिस नींव तैयार कर चुका है. हालांकि वहां की ज्यादातर जनता चरमपंथियों के खिलाफ है. राजा अब्दुल्लाह द्वितीय भी मजबूत स्थिति में हैं. उन्हें पश्चिमी देशों और इस्राएल के अलावा खाड़ी की राजशाहियों को समर्थन है. लेकिन 2011 से शुरू हुए सीरिया संघर्ष के बाद से जॉर्डन शरणार्थी समस्या से जूझ रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अब तक छह लाख शरणार्थी जॉर्डन आ चुके हैं. देश की अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही है और बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है. पहले से पैठ बना चुके चरमपंथियों के लिए माहौल आदर्श बनता जा रहा है.

रिपोर्ट: नील्स नॉयमन/ओएसजे

संपादन: महेश झा