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आतंक के साये में जर्मनी का कार्निवाल

वोल्फगांग डिक/आईबी१६ फ़रवरी २०१५

जर्मनी का कार्निवाल सिर्फ मौज मस्ती का ही वक्त नहीं होता है. यह नेताओं और राजनीति पर चुटकी लेना का एक अवसर भी होता है. लेकिन इस बार मजाक भी संभल कर किया जा रहा है.

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Deutschland Motivwagen im Mainzer Karneval
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F.v. Erichsen

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा एक डरी हुई सी बत्तख के रूप में नजर आते हैं, तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भालू बने तेल के नल खोलते दिखते हैं. वहीं जर्मनी के रक्षा मंत्री बेकार पड़े हथियारों के ढेर पर सवार नजर आते हैं. जर्मनी के कोलोन शहर में कार्निवाल की परेड में इस साल ऐसी कुछ झांकियां देखी जा रही हैं. कोलोन, ड्यूसलडॉर्फ और माइंत्स शहर झांकियों के लिहाज से मुख्य आकर्षण रहते हैं. लाखों की तादाद में कई देशों से लोग यहां पहुंचते हैं. इस बार तीस लाख लोग झांकियां देखने जमा हुए हैं.

कोलोन में देश की सबसे बड़ी कार्निवाल परेड होती है. इसके अध्यक्ष क्रिस्टोफ कुकेलकॉर्न कहते हैं, "परेड देखने आए लोगों की तरफ हमारी खास जिम्मेदारी रहती है. हमारे लिए जरूरी है कि वे बिना किसी भी चिंता के कार्निवाल का मजा उठा सकें." कुकेलकॉर्न की टीम ने सुरक्षा कारणों से एक झांकी को परेड में आने की अनुमति नहीं दी. उन्हें डर था कि इस्लामी कट्टरपंथी इसे हमले की एक वजह बना सकते हैं. इस झांकी में किसी नेता पर व्यंग्य नहीं कसा गया था, बल्कि इस्लामी कट्टरपंथ और आतंकवाद को दर्शाया गया था. फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो पर आधारित इस झांकी में आतकंवादी की बंदूक की नोक में पेंसिल घुसेड़ी हुई दिखाई गई है.

Kölner Karneval Wagens zu Charlie Hebdo
झांकी के इस आइडिया को कोलोन परेड में जाने की अनुमति नहीं मिली.तस्वीर: picture-alliance/dpa

क्या है मजाक की हद?

झांकी को मना किए जाने पर देश भर से प्रतिक्रियाएं आईं. राजनेता हों या धार्मिक नेता, नीतियां बनाने वाले या आम जनता, जयादातर का यह कहना है कि अभिव्यक्ति की आजादी कार्निवाल का अहम अंग है और इस पर रोक लगाने का मतलब आतंकवादियों की जीत है. देश में मौजूद अधिकतर कार्निवाल संघ इस बात से सहमत दिखे. पर साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आजादी की भी कोई सीमा होनी चाहिए और सुरक्षा की कीमत पर अभिव्यक्ति की आजादी नहीं दी जा सकती. इसीलिए इस्लामी कट्टरपंथ और आतंकवाद से जुड़ी झांकियों को जगह नहीं दी जा सकती. यह दलील अब भी विवादों में घिरी है.

हालांकि कुछ अपवाद भी हैं. जर्मन शहर मेंडेन में शार्ली एब्दो पर आधारित झांकी निकाली गयी. बीस रंग बिरंगी पेंसिलें मीडिया की आजादी का संदेश देती और पेरिस के हमलों की आलोचना करती नजर आईं. जबकि इसके विपरीत ब्राउनश्वाइग शहर में आतंकी हमले के डर से परेड पर ही रोक लगानी पड़ गयी.

Karnevalswagen von Jacques Tilly
2010 में याक टिल्ली की एक झांकी.तस्वीर: Jacques Tilly

अमेरिका की चेतावनी

वहीं अपने व्यंग्य के लिए मशहूर ड्यूसलडॉर्फ में परेड से पहले तक झांकियों को गुप्त रखा जाता है. झांकियां बनाने वाले मुख्य कलाकार याक टिल्ली ने परेड से पहले डॉयचे वेले से बातचीत में इस बात का आश्वासन दिलाया था कि परेड में किसी विवादास्पद झांकी को जगह नहीं दी गयी है, "हम मुहम्मद की झांकी नहीं बना रहे, हम किसी भी धर्म को आहत नहीं करना चाहते." पहले के सालों में टिल्ली कई झांकियां बना चुके हैं जिनमें आतंकवादियों को दिखाया गया है. कभी खून से लतपत ओसामा बिन लादेन, तो कभी सलाफियों को उन्होंने बखूबी अपनी झांकियों में दिखाया है. हालांकि इस बार वे मजाक भी थोड़ा संभल कर रहे हैं.

इस बीच अमेरिका ने अपने देशवासियों के लिए चेतावनी जारी की है कि वे सोमवार को जर्मनी की यात्रा ना करें और भीड़ भाड़ वाले इलाकों से बचें. हालांकि इस चेतावनी की बड़ी वजह सोमवार को होने वाली पेगीडा की रैली भी है. हर सोमवार होने वाली इस इस्लाम विरोधी रैली को इस बार रद्द कर दिया गया है. लेकिन आयोजकों ने पेगीडा समर्थकों से अपील की है कि कार्निवाल के मौके पर आतंकवादी या सलाफी की वेशभूषा में परेड देखने पहुंचें. इसे देखते हुए ड्यूसलडॉर्फ और कोलोन में सुरक्षा पुख्ता करते हुए बड़ी संख्या में पुलिस को तैनात किया गया है.