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आतंक पर यूएन में अहम बैठक

४ जनवरी २०१३

संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा अध्यक्ष पाकिस्तान की पहल पर जनवरी में आतंकवाद पर अहम बैठक हो रही है. पाकिस्तान का कहना है कि इस दिशा में अब तक की सारी नीतियां फेल हो गई हैं.

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तस्वीर: dapd

जनवरी की 15 तारीख को होने वाली अहम बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ और विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर भी हिस्सा लेंगी. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मसूद खान ने काउंसिल के महीने भर के काम का लेखा जोखा भी पेश किया. पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना है और इस महीने के लिए इसका अध्यक्ष है.

खान ने कहा, "आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सफलता पूरी नहीं हो पाई है, यह अभी भी आंशिक है और इस बात का अभी भी खतरा है कि इससे सभ्य समाज तितर बितर हो सकता है."

क्या है सुरक्षा परिषद

संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है और दुनिया भर के 193 देश इसके सदस्य हैं. लेकिन सुरक्षा परिषद इसका एक बेहद अहम हिस्सा है, जिसमें 15 सदस्य देश होते हैं. पांच स्थायी सदस्यों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन) के अलावा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं. हर साल पांच में नए सदस्य देश इसमें शामिल होते हैं. इस साल अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, लक्जमबर्ग, रवांडा और दक्षिण कोरिया को इसमें शामिल किया गया है.

Pakistan Kriegsherr Mullah Nazir
मुल्ला नजीर के मारे जाने का दावातस्वीर: STRDEL/AFP/Getty Images

इन्होंने भारत, कोलंबिया, जर्मनी, पुर्तगाल और दक्षिण अफ्रीका की जगह ली है. पाकिस्तान पिछले साल सुरक्षा परिषद में शामिल हुआ है और वह इस जनवरी के लिए इसका अध्यक्ष है. खान ने कहा, "अपने अध्यक्ष काल में पाकिस्तान परिषद के सदस्यों के बीच के मतभेद को खत्म कराने की कोशिश करेगा. हमारी अध्यक्षता प्रभावी होगी."

पांचों स्थायी सदस्यों को किसी भी प्रस्ताव के खिलाफ वीटो करने का अधिकार है, जबकि अस्थायी सदस्यों के सीमित अधिकार हैं.

आतंकवाद पर कार्रवाई

उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर काबू पाने के लिए सैनिक कार्रवाई के अलावा प्रभावित इलाकों में इसके जड़ तक पहुंचना होगा. खान ने बताया कि 15 जनवरी की बैठक में उन हिस्सों पर खास तौर से चर्चा होगी, जिन्हें अब तक छुआ ही नहीं गया है. जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिकी ड्रोन हमले से आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है, उन्होंने इसका जवाब देने से इनकार कर दिया. खान ने कहा कि उन्हें इस बात की भी औपचारिक जानकारी नहीं है कि ऐसे एक ड्रोन हमले में तालिबान के प्रमुख कमांडर कहे जा रहे मौलवी नजीर की मौत हो गई है. नजीर दक्षिणी वजीरिस्तान में सक्रिय थे.

उधर, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है और कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यह एक अहम कामयाबी है. पेंटागन प्रवक्ता जॉर्ज लिटिल ने कहा, "अगर रिपोर्टें सही हैं, तो यह एक बड़ा झटका (तालिबान के लिए) है. यह सिर्फ अमेरिका के लिए सहायक नहीं होगा, बल्कि पाकिस्तान के लिए भी अच्छा होगा."

Afghanistan Lokale Polizei
अफगानिस्तान में नाटो सेनातस्वीर: SHAH MARAI/AFP/Getty Images

अमेरिका का दावा रहा है कि नजीर के लड़ाके अफगानिस्तान जाकर अमेरिकी और नाटो के दूसरे सैनिकों पर हमले करते थे. उनका संपर्क अल कायदा और अफगानिस्तान के तालिबान से भी बताया जाता है. पाकिस्तान की सरकार ने बुधवार को दावा किया है कि एक अमेरिकी ड्रोन हमले में नजीर की मौत हो गई.

पाकिस्तान की सरकार के लिए अल कायदा और तालिबान के लड़ाकों से निपटना मुश्किल हो रहा है. तालिबान के खिलाफ पाकिस्तान ने 2009 में बेहद कड़ी कार्रवाई की थी लेकिन कबाइली इलाकों में उसके लड़ाके एक बार फिर से सिर उठाने लगे हैं.

एजेए/आईबी (एएफपी, एपी, डीपीए)

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