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आप्रवासियों की हत्या से सहमा हनाउ

हेलेना काशेल
२१ फ़रवरी २०२०

हनाउ में एक बंदूकधारी के आप्रवासी मूल के 9 लोगों की गोली मार कर हत्या करने के एक दिन बाद शहर नाराजगी और भय से भरा हुआ है. खुले विचारों वाला शहर अब बंद दरवाजों और कैमरों से सुरक्षित होना चाहता है.

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Hanau Gedenken deutschlandweit / Potsdam
तस्वीर: Imago Images/M. Müller

सेंट्रल हनाउ में एक दुकान के सामने खड़ी मेलिसा कायनाक विचारों में खोई हुई हैं. सड़क के उस पार मिडनाइट शीशा बार है जिसे फिलहाल पुलिस ने सील कर दिया है. दूसरे कोने पर लोगों ने मोमबत्तियां जला रखी हैं और फूलों के गुलदस्ते रख दिए हैं. धीरे धीरे खाली सड़क पत्रकारों और राहगीरों से भर गई. इस इलाके में एक दिन पहले एक संदिग्ध दक्षिणपंथी चरमपंथी ने कई लोगों को गोली मार दी. तुर्क मूल की सामाजिक कार्यकर्ता मेलिसा कायनाक घटना के तुरंत बाद पहली बार इस जगह आई थीं. वह अपने भाई की तलाश में थीं जो कभी कभी यहां आया करता था. कायनाक ने बताया, "उसका फोन नहीं लग रहा था और मुझे चिंता हो रही थी, इसलिए मैं खुद ही यहां चली आई."

जर्मनी को कुछ करना होगा

कायनाक ने बताया कि उन्होंने वहां सदमे की हालत में खड़ी एक लड़की को संभाला और चश्मदीदों के साथ प्रार्थना की, उस दौरान यहां कई पुलिस की गाड़ियां और एंबुलेंस मौजूद थे. हमलावर ने बुधवार की शाम यहां 9 लोगों की हत्या कर दी. पहले उसने मिडनाइट शीशा बार को निशाना बनाया, फिर हनाउ के एक दूसरे इलाके में एक और शीशा बार को. छह लोग घायल हुए हैं. मरने वाले सभी 9 लोग आप्रवासी मूल के हैं.

संदिग्ध हमलावर 43 साल का जर्मन नागरिक था. पुलिस ने उसके आपर्टमेंट में उसे और उसकी मां को मरा हुआ पाया. मां को भी गोली लगी थी. जर्मनी के अटॉर्नी जनरल के मुताबिक संदिग्ध ने एक वीडियो संदेश और एक "घोषणापत्र" छोड़ा है जिनसे "दुनिया के बारे में गहरे नस्लभेदी विचार" जाहिर होते हैं.

Nach Schießerei in Hanau | Shisha-Bar "Midnight"
तस्वीर: DW/H. Kaschel

कायनाक घबराई हुई हैं. उन्होंने कहा, "यह हमला मुस्लिम विरोधी, नस्लभेदी और विदेशियों के खिलाफ था. बेकसूर लोग आज मर गए हैं और मैं इसे नहीं समझ पा रही हूं." खाली वक्त में किशोरों के साथ काम करने वाली कायनाक कहती हैं कि निश्चित रूप से वे अब ज्यादा डरी हुई हैं, "मैं चाहती हूं कि आखिरकार जर्मनी में कुछ हो. पहले हाले में हुआ था और अब यह. मैं चाहती हूं कि हम एक दूसरे से बात करें और युवाओं और बच्चों  के साथ नस्लवाद पर बात करें, चाहे यह यहूदी विरोधी हो, रंगभेदी, धर्म, संस्कृति या मूल के आधार पर फर्क करने वाला. हमें साथ आ कर स्कूलों, यूनिवर्सिटियों और काम की जगहों पर इसके बारे में चर्चा करनी चाहिए."

"हम कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं"

हर गुजरते मिनट के साथ शीशा बार के इलाके में भीड़ बढ़ती जा रही है. मेहमेत तानरीवर्दी भी यहां आए हैं. जर्मन कुर्द समुदाय के डेपुटी चेयरमैन तानरीवर्दी अपने साथ गुलाब के फूलों का गुलदस्ता लेकर आए हैं. वह धीरे धीरे हत्या वाली जगह की तरफ बढ़ रहे हैं और धीमी आवाज में पत्रकारों से बात करते हैं. हमले के पीड़ितों में कई कुर्द लोग हैं.

तानरीवर्दी ने कहा कि हनाउ में करीब 5000 कुर्द रहते हैं और जो यहां हुआ वह भयानक है, "हम अवाक हैं. हमने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह के खुले विचारों वाले शहर के किसी कैफे में ऐसी कोई घटना होगी. हमें उम्मीद है कि इस मामले की तह तक पहुंचा जाएगा."

Nach Schießerei in Hanau | Mehmet Tanriverdi
मेहमेत तानरीवर्दी तस्वीर: DW/H. Kaschel

तारनीवर्दी का कहना है कि कुर्द समुदाय को हाल के वर्षों में कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ा है लेकिन कभी भी उनके आम लोगों को निशाना नहीं बनायआ गया. वह नहीं मानते कि हमलावर वास्तव में कुर्द लोगों को निशाना बनाना चाहता था. वह मानते हैं कि विदेशी लोगों के प्रति नापसंदगी हर शहर में है, इस तरह की चीजें कहीं भी हो सकती हैं,  खासतौर से अक्टूबर में हुए हाले के हमले के बाद. तब दो लोगों की अचानक गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.

तारनीवर्दी ने कहा, "हम कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं," हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को सार्वजनिक जीवन से दूर नहीं जाना चाहिए, "हमें डरना नहीं चाहिए, हमें दक्षिणपंथी चरमपंथ के खिलाफ लड़ना चाहिए, सड़कों पर उतरना चाहिए, इसके खिलाफ खड़े होना चाहिए. मुझे यकीन है कि आज की रात जर्मनी के सभी शहरों में सड़कों पर लोग निकलेंगे जो बहुत अच्छा है."

अब कैमरा टीमों, फोटोग्राफरों और तमाशबीनों की एक बड़ी भीड़ जमा हो गई है. जर्मनी के गृहमंत्री होर्स्ट सीहोफर भी यहां पहुंचे हैं. पत्रकार अच्छी जगह पाने के लिए धक्कामुक्की कर रहे हैं. इसी बीच एक युवा महिला चीख कर कहती है, "इन सबसे मरे हुए लोग वापस नहीं आएंगे." टीवी की टीमों ने उसकी तरफ बहुत ध्यान नहीं दिया. वह दरवाजे के पास झुक कर एक मोमबत्ती जला देती है.

"नस्लभेद जहर है"

सीहोफर संघीय न्याय मंत्री क्रिस्टीन लामब्रेष्ट और राज्य के मुख्यमंत्री फोल्कर बुफियर के बीच अपनी जगह ले लेते हैं. मिडनाइट शीशा बार के सामने के पेड़ के पास मौजूद छोटी से हरी पट्टी पर नेताओं ने फूल चढ़ाए. सीहोफर ने कहा, "हम यहां अपनी मान्यता दिखाने आए हैं. आज मैंने आदेश दिया है कि जर्मनी की सभी सरकारी इमारतों पर झंडे आधे झुके रहेंगे."

Hanau | Solidaritätsbekundungen nach Schießerei in Harnau | Horst Seehofer
तस्वीर: Getty Images/L. Schulze

सीहोफर ने कहा कि वे वह सब कुछ करेंगे जिससे पता चल सके कि ऐसी भयानक घटना क्यों हुई और इसके नतीजों का आकलन करेंगे. शाम को उन्होंने राज्य के गृहमंत्री से सुरक्षा सुनिश्चित करने पर चर्चा करने की भी बात कही. खासतौर से सार्वजनिक मौकों और संवेदनशील जगहों पर. उन्होंने चांसलर अंगेला मैर्केल के शब्दों को दोहराया, "नस्लभेद जहर है." इसके साथ ही उन्होंने कहा, "कानून और आजादी के शासन के दुश्मनों के खिलाफ खड़े होना" जरूरी है.

निगरानी वाले कैमरे और बंद दरवाजे

आएसे टेक और मेहमत तोपान कबाब की एक दुकान के पीछे से इस नजारे को देख रहे हैं. 19 साल की छात्रा और 27 साल के टाइल मजदूर की किस्मत अच्छी थी. वे मिडनाइट शीशा बार में अकसर जाते थे. बुधवार की शाम टेक ने घर पर रहने का फैसला किया और टोपान मंगलवार को ही वहां आए थे.

टोपान ने कहा, "बीती रात मैं घर पर प्लेस्टेशन खेल रहा था तभी मुझे एक दोस्त के जरिए व्हाट्सएप पर संदेश मिला कि किसी को गोली मारी गई है. मेरे लिए यह बहुत हैरान करने वाला था. मैं एक दिन पहले ही वहां गया था."

अल्बानियाई मूल की जर्मन नागरिक टेक को अब इस हनाउ में डर लग रहा है. उन्होंने कहा, "मैं अब इस पर ध्यान दे रही हूं कि कहां चल रही हूं. आप देख सकते हैं कि मैं एक विदेशी हूं, मेरे बाल काले हैं, आंखें काली हैं. मैं एक विदेशी की तरह बात करती हूं. लेकिन इसमें मैं क्या कर सकते हूं?"

Nach Schießerei in Hanau | Journalisten
तस्वीर: DW/H. Kaschel

दोनों मानते हैं कि हाल के वर्षों में जर्मनी में विदेशियों को लेकर नापसंदगी बढ़ गई है. टेक ने कहा, "मुझे लगता है कि आज यह अपने चरम पर है. यह बहुत बुरी स्थिति में है. उदाहरण के लिए बस में हमें कभी कभी इस तरह के बयान सुनाई देते हैं, वापस अपने देश जाओ."

बुधवार की रात जो हुआ उसके बाद उन्हें बार में जाने से डर लग रहा है. टेक ने कहा, "मेरे ख्याल से शीशा बार में कैमरे होने चाहिए और दरवाजे हमेशा बंद रखे जाने चाहिए."

सुरक्षा उपायों के अलावा, 19 साल की इस छात्रा को देश में सामाजिक बदलाव की भी उम्मीद है. इस देश में विदेशियों को लेकर नापसंदगी के कारण हत्या के शहरों में एक और नाम जुड़ गया है, हनाउ.

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