1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

आयरन डोम के भरोसे इस्राएल

२० नवम्बर २०१२

मध्य पूर्व में ताजा संघर्ष के दौरान इस्राएल के आयरन डोम की खूब चर्चा हो रही है. यह रॉकेट भेदी उपकरण है, जो सीमा पार से चलाए गए रॉकेटों को बीच में ही खत्म कर देता है. इसे हाल ही में विकसित किया गया है.

https://p.dw.com/p/16mjx
तस्वीर: Reuters

रॉकेटभेदी इस तकनीक में दुश्मन की तरफ से हमले के फौरन बाद इस बात की गणना शुरू हो जाती है कि हमला कितना खतरनाक है और रॉकेट शहर के किस हिस्से में गिरने वाला है. इस उपकरण ने अब तक 340 रॉकेटों को रास्ते में ही भेद दिया है और इसकी कामयाबी का प्रतिशत 90 है.

पूरे इस्राएल के पांच हिस्सों में ये उपकरण लगाए गए हैं. इन रॉकेटों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि छोटी दूरी से चले रॉकेटों को निशाना बनाया जा सके. चार से 70 किलोमीटर की दूरी से चलाए गए रॉकेटों को यह बहुत आसानी से पकड़ सकता है. दूसरी तरफ से रॉकेट दगने के बाद हरकत में आने वाला उपकरण 20 से 45 सेकेंड के अंदर काम कर देता है. सबसे पहले इस बात की पहचान की जाती है कि हमलावर रॉकेट कहां गिरने वाला है. अगर यह पानी या सुनसान जगह पर गिरने वाला होता है, तो उस पर कार्रवाई नहीं की जाती. लेकिन अगर खतरा आबादी वाले इलाके को हो, तो फौरन उसे काटने का इंतजाम कर दिया जाता है.

इस्राएल में लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां फलीस्तीन को लेकर एक राय रखती हैं. इन दिनों विपक्ष में खड़ी कदीमा पार्टी के और पूर्व रक्षा मंत्री शॉन मोफा का कहना है, "हमें गजा में हमास और इस्लामी जिहादियों के खिलाफ प्रतिरक्षा हासिल करने की जरूरत है. मुझे लगता है कि सेना ने अब तक जो हासिल किया, वह शानदार है. अगर लंबे समय तक शांति की गारंटी हो तो हमें संघर्षविराम करना चाहिए. नहीं तो हमें जमीनी हमले के बारे में सोचना चाहिए."

हमास आम तौर पर 20 किलोमीटर तक मार करने वाले देसी रॉकेट चलाता है. हालांकि हाल के दिनों में ईरान में बने फज्र 5 रॉकेटों का भी इस्तेमाल हुआ, जिनकी मार 80 किलोमीटर दूर तेल अवीव तक है. इनमें से कुछ का निशाना चूक गया, जबकि आयरन डोम ने बाकियों को नष्ट कर दिया.

Raketenabwehrsystem in Israel
तस्वीर: dapd

मुश्किल समय की होती है. आम तौर पर हमास के रॉकेट कम दूरी के होते हैं. यानी बहुत कम समय में वे निशाने तक पहुंच जाते हैं. ऐसे में आयरन डोम के लिए कार्रवाई करने का समय भी बहुत कम होता है. दूसरी मुश्किल खर्च की होती है. हमास के एक रॉकेट की कीमत मुश्किल से 1000 डॉलर (लगभग 50,000) रुपये होती है, जबकि इसे काटने वाले मिसाइल पर 40,000 डॉलर (20 लाख रुपये) तक खर्च आता है.

लेबनान के साथ 2006 में हुए युद्ध के दौरान इस्राएल को न सिर्फ 40 से ज्यादा लोगों की जान खोनी पड़ी थी, बल्कि हिजबुल्लाल के चलाए हुए लगभग 4000 की संख्या में छोटे बड़े रॉकेट उसकी सरजमीं पर गिरे. इसके बाद इस्राएल के करीब ढाई लाख लोगों को घर बार छोड़ कर हटना पड़ा. दक्षिण में हमास की तरफ से हुए हमलों में भी लगभग 4000 रॉकेट दागे गए.

इन परेशानियों से निपटने के लिए ही इस्राएल ने 2007 में आयरन डोम सुरक्षा तकनीक तैयार करने का फैसला किया. इस्राएल की रफाएल एडवांस डिफेंस सिस्टम ने रक्षा मंत्रालय के साथ मिल कर लगभग 20 करोड़ डॉलर की लागत से यह उपकरण तैयार किया.

इस्राएल ने 2011 के शुरू में पहला सिस्टम तैनात किया और इसके बाद से इसने बहुत अच्छा काम किया है. इस्राएलियों की सुरक्षा में अब आयरन डोम का बहुत बड़ा रोल हो चुका है.

रिपोर्टः क्लेमेंस वेरेनकोटे (एआरडी)/एजेए

संपादनः आभा मोंढे

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें