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आरबीआई ने चेतावनी के साथ दी थी नोटबंदी को मंजूरी

९ नवम्बर २०१८

नोटबंदी के दो वर्ष पूरा होने पर सरकार इसे सफल बता रही है तो तो विपक्ष ने इसे अर्थव्‍यवस्‍था को बड़ा चोट पहुंचाने वाला बताया है. रिजर्व बैंक ने नोटबंदी से पहले ब्लैकमनी और जाली नोटों वाली दलील खारिज कर दी थी.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar

8 नवंबर, 2016 सरकार के लिए "ऐतिहासिक दिन” है और विपक्ष के लिए "मनहूस दिन” क्योंकि इसी दिन नोटबंदी की घोषणा कर 1000 और 500 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था. अब दो साल बाद कुछ नए तथ्य सामने आए हैं, जिससे ऐसा लगता है कि नोटबंदी को हरी झंडी देने वाला रिज़र्व बैंक सरकारी दावों को लाल झंडी दिखा रहा है.

चेतावनी के साथ मंजूरी

मोदी सरकार के नोटबंदी के निर्णय को मंजूरी देने के ठीक पहले केंद्रीय रिजर्व बैंक ने आनन-फानन में बैठक की थी. अब उस बैठक के तथ्य सामने आए हैं. इस बैठक में केंद्रीय बैंक के डायरेक्टरों ने नोटबंदी के निर्णय को सरकार का साहसिक कदम तो बताया लेकिन केंद्रीय बैंक ने सरकार को आगाह भी किया था. नोटबंदी के जरिए 'कालेधन' और 'नकली नोट' पर लगाम कसने के सरकारी दावे से रिजर्व बैंक ने असहमति जताते हुए आगाह किया था कि इस कदम से उक्त वित्त वर्ष की जीडीपी पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

सरकार से उलट केंद्रीय बैंक का मानना था कि नोटबंदी से काला धन बाहर नहीं आएगा. उसके अनुसार काला धन सोना और रियल एस्टेट में है, और सोना और रियल एस्टेट पर नोटबंदी का अधिक असर नहीं होगा. रिजर्व बैंक ने 400 करोड़ रुपये के नकली नोट को भी बड़ी समस्या नहीं माना था.

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तस्वीर: DW/J.Webermann

सरकारी दावों पर उठते सवाल

नोटबंदी को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपाते हुए कह रही है कि मुद्रा की जब्‍ती इसका उद्देश्‍य था ही नहीं. वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि एक औपचारिक अर्थव्‍यवस्‍था को अपनाना और करदाताओं से रिटर्न फाइल करवाना इसके बड़े लक्ष्‍यों में से एक था, जो पूरा हुआ है. उनके अनुसार, "भारत को नकद से डिजिटल लेनदेन में ले जाने के लिए सिस्टम को हिलाने की आवश्यकता थी. उच्‍च टैक्‍स राजस्‍व और टैक्‍स बेस के बढ़ने से इसका फायदा दिखा है.”

सरकार ने प्रारंभिक तौर पर नोटबंदी के पांच मुख्य उद्देश्य बताए थे जिनमें काले धन को बाहर निकालना, नकली नोट को चलन से हटाना, आतंकवाद और नक्सलियों का वित्त पोषण रोकना, कर आधार और रोजगार का विस्तार, भुगतान के डिजिटलीकरण को बढ़ावा शामिल हैं. विपक्ष का आरोप है कि इनमें से कोई लक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ. कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा के अनुसार "लगभग 4.3 करोड़ लोगों ने नोटबंदी के दौरान अपनी नौकरियों खो दी. इससे छोटे और मझौले उद्यमों का 43 प्रतिशत प्रभावित हुआ. उन 50 दिनों के दौरान 140 से ज्यादा लोग मारे गए.” नोटबंदी को मंजूरी के ठीक पहले केंद्रीय रिजर्व बैंक ने भी इसके लिए काला धन और नकली नोट के तर्क को उचित नहीं माना था.

न भूलेगी वो रात

8 नवंबर, 2016 सरकार के लिए भले "ऐतिहासिक दिन” है और विपक्ष के लिए "मनहूस दिन” पर ज्योति खटवानी और उन जैसे बहुत से लोगों के लिए यह एक ऐसी रात थी जिसे भुला पाना मुश्किल है. कोटा में कोचिंग कर रही अपनी बेटी से मिलने गई ज्योति के पास तब पर्याप्त कैश था. लेकिन उस रात जैसे ही 500 और 1000 रूपये के नोटों को चलन से बाहर किया गया, उनके पास जरूरी काम के लिए भी कैश नहीं था. उन दिनों को याद करते हुए ज्योति कहतीं हैं, "अधिकतर समय 100 और 50 रूपये के नोट हासिल करने में ही बीत जाता था.”

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तस्वीर: Reuters/J. Prakash

इसके विपरीत नोटबंदी को याद करते हुए अरुणा ताई की खुशी, आंखों से झलकती है. नोटबंदी के दौरान उन्होंने अपनी हैसियत के अनुसार लोगों की मदद की. यही उनकी ख़ुशी का कारण है. पेशे से सब्जी विक्रेता अरुणा ताई कहती हैं, "कुछ दिनों तक बिक्री में काफी गिरावट आ गयी थी. नगदी की किल्लत के कारण लोग कम सब्जी खरीदते थे. फिर मैंने बहुत से लोगों की मदद उनको उधार में सब्जी देकर की.” वे बताती हैं कि खुद उनकी मदद बड़े विक्रेताओं ने उधार पर माल देकर की.

नोटबंदी के दौरान जनता के एक बड़े वर्ग को परेशानी झेलनी पड़ी. बैंकों और एटीएम के सामने लंबी लंबी कतार और इंतजार का दर्द लोग भूले नहीं हैं. लेकिन, इस परेशानी को लेकर सरकार के खिलाफ गुस्सा बहुत ज्यादा नहीं है. लगभग 5 हजार के पुराने नोट न बदलवा पाने वाली सरिता शर्मा को इसका दुख तो है लेकिन सरकार से कोई शिकायत नहीं. वे कहती हैं, "देश के भले के लिए थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ी, देश के लिए इतना तो करना ही चाहिए.”

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