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आरोपियों के वकील पर दुनिया की नजर

१३ जनवरी २०१३

गंदे से कमरे की एक पूरी दीवार पर फाइलों और कानूनी किताबों की कतार है और इनके बीच एक बाप बेटे अपने जीवन के सबसे बड़े मुकदमे की तैयारी कर रहे हैं. दिल्ली सामूहिक बलात्कार के मुख्य आरोपी की पैरवी इन्हीं को करनी है.

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तस्वीर: Reuters

दिल्ली की एक नई छोटी सी कानूनी एजेंसी का एक स्थानीय बैंक के ऊपर बना दफ्तर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में है. जिस बस में सामूहिक बलात्कार हुआ उसके ड्राइवर राम सिंह की पैरवी की जिम्मेदारी इसी एजेंसी को मिली है. राम सिंह पर आरोपियों के उस गैंग का नेतृत्व करने का आरोप है जिसने 23 साल की छात्रा के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया और मारने पीटने के बाद बस से बाहर फेंक दिया. बाद में इलाज के दौरान पीड़ित लड़की की मौत हो गई.

कौन है वकील

पूरा देश और बाहर दुनिया टकटकी बांध कर इस घटना और उसके बाद हो रही गतिविधियों को देख रही है. स्थानीय वकीलों के संघ ने लोगों के गुस्से को देखते हुए इस मुकदमे के आरोपियों की पैरवी न करने का फैसला किया है. कानून के छात्र 24 साल के विभोर आनंद ने इसे दूसरी तरह से देखा और इसे एक मौका मान कर अपने पिता से इस केस को अपने हाथ में लेने पर रजामंद किया. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में विभोर ने कहा, "इस केस की पैरवी करने का विचार मेरा था." उनका कहना है कि आरोपियों की बात कहने वाला कोई होना चाहिए, नहीं तो यह भयानक होगा.

बेटे की बात से सहमत होने के बाद 57 साल के वीके आनंद कोर्ट गए और सुनवाई से पहले की कार्यवाही में शामिल हुए. पूरी तरह से भरी अदालत में जब उन्होंने खड़े हो कर मुख्य आरोपी का बचाव करने का एलान किया तो हॉल में बवाल मच गया. वहा मौजूद लोग चीखने चिल्लाने लगे और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की. एक महिला वकील ने तो गुस्सा कर अदालत में ही उन्हें धक्का दे दिया. वीके शर्मा ने बताया, "वे लोग मुझे अदालत में ही नहीं रहने देना चाहते थे, उन्होंने मेरे लिए समस्या खड़ी कर दी लेकिन आखिरकार मैंने कहा कि यह मुख्य आरोपी का अधिकार है कि उसे बचाव मिले."

आरोपियों और उन्हें बचाने वालों के लिए लोगों के मन में गुस्सा होने के बावजूद बाद में वीके आनंद को इस मामले के लिए मुकाबले का भी सामना करना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े वकील एमएल शर्मा भी सामने आए हैं और राम सिंह का केस लड़ने की इच्छा जाहिर की है. शर्मा को राम सिंह का भाई मुकेश पहले ही अपने लिए रख चुका है. मुकेश भी इस मामले में आरोपी है. एक और वकील दो दूसरे आरोपियों का मुकदमा लड़ रहा है लेकिन पांचवे आरोपी का वकील कौन है या कोई है भी या नहीं अभी पता नहीं चल सका है. सारे आरोपी दोस्त हैं जो पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक 16 दिसंबर की रात मस्ती करने निकले थे और उन्हें किसी महिला की तलाश थी. इन पांचों आरोपियों पर पुलिस ने हत्या, हत्या की कोशिश, सामूहिक बलात्कार, अपहरण, अपराधी साजिश, डकैती और अप्राकृतिक सेक्स अपराध के आरोप लगाए हैं.

Indien Vergewaltigung Proteste
तस्वीर: Reuters

सबको न्याय मिले

वीके आनंद का कहना है कि अपराध जघन्य है लेकिन आरोपियों को यह हक तो मिलना ही चाहिए कि उन पर कोर्ट की कार्रवाई उचित तरीके से हो. वीके शर्मा ने कहा, "बिल्कुल उसी तरह जैसे पीड़ित को न्याय मिलता है उसी तरह आरोपियों को भी न्याय मिलना चाहिए. आप किसी को सिर्फ इसलिए फांसी पर नहीं लटका सकते क्योंकि लोग उसे फांसी पर चढ़ाना चाहते हैं."

बाहर से देखें तो ऐसा लगता है कि पिता और पुत्र दोनों को मीडिया में मिल रही सुर्खियां भा रही हैं. मीडिया से बातचीत के दौरान दोनों एक दूसरे के वाक्यों को पूरा करते नजर आए और दोनों का सुर एक ही था. वीके आनंद ने बताया कि वह पिछले तीन दशक से अपराध और नागरिक मामलों के लिए बचाव पक्ष के वकील की भूमिका निभा रहे हैं. इसके अलावा वह अपने बेटे के साथ मिल कर एक समाजसेवी संस्था भी चलाते हैं जो 24 घंटे लोगों को कानूनी सलाह देती है. आनंद का कहना है कि वह अपने बचाव में पुलिस जांच की गलतियों और गवाहों के बयानों में फर्क को आधार बनाएंगे. आनंद ने कहा, "जांच शुरू होने के बाद से ही आरोपियों को कानूनी सहायता मिलनी चाहिए थी, अगर आरोपी खुद वकील नहीं ढूंढ सके तो यह कोर्ट का दायित्व है कि उन्हें वकील दिलाए, यहीं पर उनसे गलती हुई, इन लोगों को कोई कानूनी सहायता नहीं मिली."

चुनौती देने में माहिर

उधर मुकेश सिंह के बचाव का जिम्मा संभालने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल शर्मा काफी मुखर माने जाते हैं, लेकिन उन्हें भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. शर्मा के साथ ही धक्का मुक्की हुई और उन्हें चुप कराने की कोशिश की गई. यहां तक कहा गया कि वह सुर्खियों में आने के लिए इन आरोपियों की पैरवी कर रहे हैं. हालांकि शर्मा इन आरोपों से आहत नहीं हैं और अपने इरादे पर अटल हैं. उन्होंने अपने मुवक्किलों के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार की शिकायत भी की है. सुप्रीम कोर्ट में शर्मा अकसर जुड़ी जनहित याचिकाओं के सिलसिले में नजर आते हैं. सरकार और अधिकारियों को चुनौती देने के लिए वे विख्यात रहे हैं. अपनी याचिकाओं के जरिए शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी चुनौती दी है. उनपर कोर्ट का वक्त बर्बाद करने के लिए जुर्माने की सजा भी मिल चुकी है.

एनआर/आईबी (रॉयटर्स)

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