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आसान नहीं शरणार्थी समस्या सुलझाना

८ मार्च २०१६

शरणार्थी समस्या के समाधान में तुर्की की भूमिका बढ़ी. उसके नए प्रस्तावों और मांगों पर विचार करने के लिए यूरोपीय नेताओं ने और समय मांगा है.

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Türkisch Premierminister Ahmet Davutoglu
तस्वीर: Getty Images/D. Mouhtaropoulos

शिखर भेंट के बाद शिखर भेंट. यूरोपीय नेताओं को शरणार्थी संकट के चक्रव्यूह से निकलने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा. सारी उम्मीदें तुर्की पर टिकी हैं और उसने कुछ नए प्रस्ताव दिए हैं और नई मांगें की हैं. उन्हें मानने या न मानने पर विचार करने के लिए यूरोपीय देशों को और समय चाहिए. अगला शिखर सम्मेलन 17 और 18 मार्च को है और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि अंतिम समझौते तक पहुंचने के लिए बहुत काम करना है.

ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के 28 सदस्य देशों के नेताओं और तुर्की के प्रधानमंत्री दावुतोग्लू की भेंट के बाद स्थिति साफ होने के बदले और उलझ गई. समझौते के केंद्र में तुर्की को अरबों की मदद और उसके द्वारा शरणार्थियों को वापस लेना है. तुर्की ने अपना खुद का प्रस्ताव देकर यूरोपीय नेता को सकते में डाल दिया. इसके अनुसार यूरोपीय संघ अवैध रूप से ग्रीस आने वाले शरणार्थियों को वापस तुर्की भेज सकता है. इसके बदले यूरोपीय संघ को उतनी ही संख्या में तुर्की से वैध रूप से शरणार्थियों को लेना होगा. इसके अलावा तुर्की ने वित्तीय सहायता को दोगुना कर 6 अरब यूरो करने की मांग की है.

उग्र दक्षिणपंथियों को बढ़त

जर्मनी के प्रांतीय चुनावों में चांसलर मैर्केल द्वारा शरणार्थी संकट से निबटने के लिए की जा रही कोशिशें विवादों के घेरे में है. चांसलर की शरणार्थी नीति के कारण देश में अति दक्षिणपंथी पार्टियों के लिए समर्थन बढ़ा है और पिछले हफ्ते हेस्से प्रांत में हुए चुनावों में विदेशी विरोधी नई पार्टी एएफडी को 13 प्रतिशत मत मिले हैं. तीन प्रांतों में हो रहे चुनावों से पहले चांसलर भटके मतदाताओं को फिर से लोकतांत्रिक पार्टियों के धड़े में लाने की कोशिश कर रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि तुर्की से समझौता कर शरणार्थियों की आमद को रोका जा सकता है. यूरोपीय संघ के अध्यक्ष डोनाल्ड टुस्क ने कहा है कि आप्रवासियो के अनियमित आगमन के दिन बीत गए, "हमें कोई संदेह नहीं कि हम अंतिम सफलता हासिल करेंगे."

तुर्की के प्रस्तावों के बाद यह साफ नहीं है कि उसके द्वारा वैध रूप से भेजे जाने वाले शरणार्थी किन देशों में भेजे जाएंगे. 6 अरब यूरो की मदद की मांग पर भी यूरोपीय देशों ने कोई संकेत नहीं दिए हैं. शिखरभेंट के बाद चांसलर मैर्केल ने कहा, "बहुत से इस बात पर एकमत थे कि ये एक नया मोड़ है." जर्मनी के उपचांसलर जिगमार गाब्रिएल को समझौते से उम्मीद है कि इससे मानव व्यापार करने वालों पर रोक लग सकेगी. इसके विपरीत ग्रीस के प्रधानमंत्री अलेक्सि सिप्रास ने भारी उम्मीद ना रखने की चेतावनी देते हुए कहा है कि अभी बहुत से कदम जरूरी हैं. शरणार्थी समस्या के समाधान में तुर्की की केंद्रीय भूमिका पर जर्मन विपक्ष भी संदेह कर रहा है. वामपंथी पार्टी के प्रमुख बैर्न्ड रीसिंगर ने यूरोपीय संघ पर तुर्की में प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों के खिलाफ हिंसा को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.

संयुक्त राष्ट्र की आलोचना

संयुक्त राष्ट्र ने भी यूरोपीय संघ और तुर्की के समझौते की योजना की आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था के विंसेंट कोचेताल ने कहा है कि शरणार्थियों को बिना किसी सुरक्षा के एक देश से दूसरे देश लाना यूरोपीय और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रतिकूल है. उन्होंने कहा कि ईयू और तुर्की की पहल को स्वीकार नहीं किया जा सकता. शरणार्थी संस्था का कहना है कि शरणार्थियों को व्यक्तिगत आधार पर उनकी परिस्थितियों की जांच के बाद ही वापस भेजा जाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र बाल सहायता संस्था यूनीसेफ ने भी बच्चों को वापस भेजे जाने के खिलाफ चेतावनी दी है.

मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी ईयू-तुर्की शिखर सम्मेलन में हुई पहल की आलोचना की है. एमनेस्टी ने कहा है कि ग्रीस ने शरणार्थियों को वापस भेजने की योजना संकट के लिए अदूरदर्शी और अमानवीय रुख है. अवैध रूप से ग्रीस आए हर सीरियाई शरणार्थी को तुर्की वापस भेजने के बदले एक सीरियाई शरणार्थी को लेना कानूनी और नैतिक कमजोरी दिखाता है. इसका मतलब यह होगा कि हर वैध शरणार्थी के लिए एक शरणार्थी को खतरनाक रास्ते से ग्रीस पहुंचने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगानी होगी. यूरोपीय संघ चाहता है कि तुर्की से समुद्र के रास्ते ग्रीस आने वाले शरणार्थियों को तुर्की रोके या वापस ले.