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इंग्लैंड की जीत टीम प्रयासों की जीत

१७ मई २०१०

वेस्टइंडीज़ में हुए टी20विश्वकप में इंग्लैंड की जीत ने एक बार फिर साबित किया है कि बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण में कसे हुए प्रदर्शन से ही जीत संभव है. इंग्लैंड ने चैंपियनशिप में बेहतरीन खेल दिखाया.

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तस्वीर: AP

तमाशा 20 समाप्त हुआ. भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमियों को राहत मिलेगी कि आखिरकार इंग्लैंड की टीम ने ऑस्ट्रेलिया के विजय अभियान को रोक दिया और ऑस्ट्रेलिया की टीम को बौना साबित कर दिया. इंग्लैंड की जीत टीम प्रयासों की जीत थी. क्रिकेट विश्वकपों के 35 साल के इतिहास में इंग्लैंड बड़ी जीत से वंचित रहा है, इस बार उसने अपनी योग्यता शुरू से ही साबित की.

T 20 Cricket World Cup 2010
तस्वीर: AP

दक्षिण अफ़्रीका में जन्मे क्रेग कीज़वैटर को इस टूर्नामेंट की खोज कहा जा सकता है. क्रेग कीज़वैटर और माइकल लुम्ब की ओपनिंग बल्लेबाज़ी ने इंग्लैंड को जीत की राह दिखाई जबकि आईपीएल में खेलने वाले केविन पीटरसन ने अपनी टीम के प्रदर्शन को व्यापकता दी. जीपी स्वान और साइडबॉटम ने गेंदबाज़ी में अच्छा प्रदर्शन किया जबकि फाइनल में सीधे थ्रो से डेविड वार्नर का विकेट लेकर लुम्ब ने साबित कर दिया कि जीत के लिए क्षेत्ररक्षण कितना महत्वपूर्ण है.

इस साल के टी20 विश्वकप ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जीतने के लिए खेल की तीनों विधाओं में अच्छा प्रदर्शन ज़रूरी है. तीन घंटे के तमाशे वाले मैचों में महेंद्र सिंह धोनी की भारतीय टीम ने 2007 में यही किया था. इस बार फिर धोनी के धुरंधर विफल रहे लेकिन पॉल कॉलिंगवुड की टीम ने यह कारनामा दिखाया.

T 20 Cricket World Cup 2010
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कुल मिलाकर वेस्ट इंडीज़ में हुआ क्रिकेट का यह तमाशा प्रदर्शन और मनोरंजन की दृष्टि से सफल रहा. खेलों में रोमांच रहा, अंतिम समय तक कौन जीतेगा का अहसास रहा, छोटे छोटे अंतर से जीतें हुईं और अंतिम बॉल तक जीत या हार का इंतज़ार रहा. किसने सोचा होगा कि इंगलैंड और ऑस्ट्रेलिया फाइनल तक पहुंचेंगे, किसने सोचा होगा कि वेस्टइंडीज़ भारत को पटखनी देगा और किसने सोचा होगा कि पाकिस्तान जीती हुई बाज़ी इस तरह गंवा देगा.

भारत के लिए एक बार फिर मन टटोलने का मौक़ा है. क्या अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में जीत के राष्ट्रीय सम्मान और खेलों की लोकप्रियता से कमाई करने की लालसा के बीच सामंजस्य बिठाया जा सकता है. क्या यह अजीब सा संयोग नहीं है कि विश्वकप से ठीक पहले आईपीएल के दो-दो आयोजनों के बाद के बाद भारतीय टीम बुरी तरह विफल रही है. क्रिकेट इस बीच मनोरंजन व्यवसाय बन चुका है. उसे बेलगाम छोड़ने के बदले लोकतांत्रिक सांचे में कसने की ज़रूरत है.

रिपोर्ट: महेश झा

संपादन: एस गौड़