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इटली का संकट और मोंटी का इस्तीफा

२२ दिसम्बर २०१२

बैर्लुस्कोनी के विवादों से कराहते इटली में कभी संकटमोचक बन कर आए मारियो मोंटी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री से इस्तीफा दे दिया है. आगामी फरवरी में चुनाव है और अभी यह तय नहीं कि मोंटी इसमें अपना दावा ठोंकेगे या नहीं.

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तस्वीर: Reuters

मारियो मोंटी ने इस्तीफा देने के पहले साल 2013 के लिए बजट को संसद की मंजूरी मिलने का इंतजार किया. दोपहर में संसद की मंजूरी मिल जाने के बाद उन्होंने कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता की और फिर उसके बाद राष्ट्रपति जॉर्जियो नापोलितानो को अपना इस्तीफा सौंप दिया. राष्ट्रपति नापोलितानो ने कहा है कि वह संसद को भंग करने से पहले राजनेताओं से सलाह मशविरा करेंगे. इसी हफ्ते की शुरुआत में राष्ट्रपति ने कहा था कि चुनाव के 24 फरवरी को होने के आसार हैं.

नवंबर 2011 में प्रधानमंत्री सिल्वियो बैर्लुस्कोनी के विवादों में घिरने और देश में आर्थिक संकट बढ़ने के बाद मारियो मोंटी ने सत्ता की कमान संभाली थी. मोंटी ने कहा है कि 13 महीनों का शासन मुश्किल लेकिन दिलचस्प रहा है. मोंटी ने मजाक करते हुए कहा कि यह माया कैलेंडर का दोष नहीं है कि उनकी सत्ता 21 दिसंबर को खत्म हो रही है. माया कैलेंडर के मुताबिक दुनिया 21 दिसंबर को खत्म होने वाली थी. अभी यह साफ नहीं है कि मोंटी चुनाव लड़ेंगे या नहीं.

EU Gipfel in Brüssel Silvio Berlusconi
तस्वीर: dapd

मारियो मोंटी की योजना

मोंटी ने एक अर्थशास्त्री के रूप में किसी राजनीतिक दल में निष्ठा जताए बगैर देश की कमान संभाली थी. अब कहा जा रहा है कि वह मध्यमार्गी गठबंधन का नेतृत्व कर सकते हैं. इस गठबंधन में फेरारी के बॉस लूका कॉर्डेरो डी मोन्टेजेमोलो, बैर्लुस्कोनी गुट के असंतुष्ट और क्रिस्चियन डेमोक्रैट शामिल हैं. मोंटी को पहले ही संसद का स्थायी सदस्य चुना जा चुका है. ऐसे में उन्हें संसद में जगह पाने के लिए चुनाव नहीं लड़ना है, लेकिन वह प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में चुनाव में शामिल हो सकते हैं. उम्मीद की जा रही है कि 69 साल के मारियो मोंटी रविवार को प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी योजना के बारे में बताएंगे.

बैर्लुस्कोनी की पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य फैब्रिजियो किशिटो नें मोंटी से मध्य दक्षिणपंथी पीपल ऑफ फ्रीडम पार्टी से नाता जोड़ने को कहा है जिससे की वामपंथी पार्टियों के खिलाफ पड़ने वाले वोटों के बंटवारे को रोका जा सके. हालांकि मोंटी इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे इसकी उम्मीद बहुत कम दिखती है.

EU Gipfel in Brüssel Deutschland Angela Merkel Pressekonferenz
तस्वीर: dapd

मंदी का दौर

इटली फिलहाल गंभीर मंदी के दौर से गुजर रहा है और युवाओं के बेरोजगारी की दर रिकॉर्ड 36.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है. बैर्लुस्कोनी की पार्टी पीडीएल देश की खराब हालत के लिए जर्मनी को दोषी ठहरा रही है. उनका कहना है कि कठिन आर्थिक नीतियों को यूरोजोन के कमजोर सदस्यों पर लागू किया जा रहा है. पीडीएल ने मोंटी पर यह भी आरोप लगाया है के जर्मनी का विरोध करने में मोंटी बेहद कमजोर साबित हुए हैं. पार्टी नेता किशिटो ने मध्य वामपंथी डेमोक्रैटिक पार्टी पर भी जर्मनी के खिलाफ खड़ा होने में नाकाम रहने का आरोप लगया है. डेमोक्रैटिक पार्टी ने बड़ी मुश्किल से पीडीएल और मध्यमार्गी यूडीसी के साथ गठजोड़ किया था जिसके दम पर मोंटी को प्रधानमंत्री की कुर्सी मिली.

क्या हैं उम्मीदें?

हाल में हुए सर्वे के मुताबिक पीडी के नेतृत्व वाली गठबंधन को 40 फीसदी वोट मिलने के आसार हैं जबकि बैर्लुस्कोनी वाले पीडीएल गुट को 15 फीसदी से भी कम ही वोट मिलेगा. यूरोप विरोधी नॉर्दर्न लीग नाम के एक गठबंधन को 25 फीसदी वोट मिलने की बात इसी सर्वे में कही गई है. मोंटी के संभावित गठबंधन को 10 फीसदी वोट मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन अगर पूर्व प्रधानमंत्री सचमुच उनके साथ आ गए तो उनके लिए संभावनाएं काफी बेहतर हो सकती हैं. चुनाव में चौथी सबसे बड़ी ताकत कॉमेडियन बेप्पे ग्रीलो का प्रोटेस्ट फाइव स्टार मूवमेंट है जिसे 16.5 फीसदी वोट मिलने की बात कही जा रही है.

पीडी चुनाव में सबसे आगे जरूर नजर आ रही है लेकिन मुमकिन है कि उसे बहुमत हासिल न हो, खासतौर से बैर्लुस्कोनी के नॉर्दर्न लीग के साथ हाथ मिलाने की स्थिति में. पीडी नेता पीयर लिगी बेर्सानी ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो अपनी सरकार को मजबूत बनाने के लिए वह मध्यमार्गियों के साथ हाथ मिला लेंगे.

ऐसी स्थिति में मोंटी गठबंधन सरकार में आर्थिक मामलों की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. संभावना यह भी है कि मोंटी राष्ट्रपति नापालितानो की जगह ले लें जिनका कार्यकाल कुछ ही महीनों में खत्म होने वाला है.

एनआर/आईबी (डीपीए)

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