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इतिहास में आजः 1 दिसंबर

३० नवम्बर २०१३

दिसंबर की शुरुआत के साथ ही शुरू हो रहा है त्योहारों का मौसम. जर्मनी सहित यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में आज से एडवेंट कैलेंडर भी खुलने लगेंगे, जिनमें बच्चों के पसंदीदा तोहफे होते हैं.

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तस्वीर: lagom/Fotolia

क्रिसमस से पहले दिसंबर का पूरा महीना धूम धाम का होता है. क्रिसमस बाजार लगते हैं, जहां सर्दी में हल्की गुनगुनी ग्लूवाइन का मजा लिया जा सकता है. और साथ ही एडवेंट कैलेंडर भी खुलने लगते हैं. खास तौर पर बच्चों को ये कैलेंडर बहुत पसंद हैं, जिनमें एक से 24 नंबर तक के छोटे छोटे डिब्बे होते हैं. एक दिसंबर से 24 दिसंबर तक रोज एक डिब्बा खोलना होता है. आम तौर पर इनमें टॉफियां होती हैं, लेकिन आज कल दूसरे उपहारों का भी चलन है.

हर रोज एक डिब्बे को खोलना बेहद रोमांचकारी होता है. बच्चों को पता नहीं होता कि अगले दिन के डिब्बे से क्या तोहफा निकलने वाला है. उनके लिए लगातार चार हफ्ते तक तोहफों का मौका साल में सिर्फ एक बार आता है. कहते हैं कि इसका रिवाज जर्मनी में शुरू हुआ और 1851 में पहली बार हाथ से बना एडवेंट कैलेंडर दुनिया के सामने आया. हालांकि अब तो इसे मशीनों से भी तैयार किया जाता है.

क्रिसमस के पहले के चार रविवारों को एडवेंटों में बांटा गया है. इसी दिन चार मोमबत्तियां भी लगाई जाती हैं और हर रविवार को एक मोमबत्ती जला दी जाती है. इस तरह क्रिसमस से ठीक पहले चौथे रविवार को चारों मोमबत्तियां जल उठती हैं. एडवेंट का मतलब "किसी का आना" होता है और ईसा मसीह का जन्म 24 और 25 दिसंबर की रात में हुआ था.