इतिहास में आजः 3 फरवरी
१ फ़रवरी २०१४3 फरवरी को उस समय डॉयचे लुफ्थांसा इन्कॉर्पोरेटड के कर्मचारियों को हवाई जहाज से बर्लिन से अर्जेंटीना की राजधानी बुएनोस आयरेस पहुंचाना था. इसके लिए तैयारी आसान नहीं थी. जर्मनी उस वक्त चाहता था कि इस नई सर्विस के जरिए दक्षिण अमेरिका में जर्मनी नए बाजारों की खोज कर सके.
3 फरवरी 1934 को बर्लिन से पहले हाइंकेल हे नाम के विमान से 70 किलो चिट्ठियां और पार्सल श्टुटगार्ट लाए गए. फिर वहां से उन्हें फ्रांसीसी शहर मार्से से होते हुए स्पेन के सेविया पहुंचाया गया.
सेविया में युंकर्स यू 2 नाम के विमान ने पार्सल उठाकर अफ्रीका में उस वक्त ब्रिटिश उपनिवेश गांबिया पहुंचाया. फिर इन्हें गांबिया के तट पर एक जहाज में डाला गया जो दक्षिण अमेरिका जा रहा था. इस जहाज में एक विमान के टेक ऑफ करने की सुविधा थी. गांबिया से निकलने के बाद विमान को गुलेल की तरह जहाज से टेक ऑफ कराया गया. ब्राजील के नाटाल पहुंचकर वहां एक पानी में तैरने वाले हवाई जहाज ने पार्सल संभाले और उन्हें ब्राजीली शहर रियो दे जनेरो और बुएनोस आयरेस तक पहुंचाया.
इस पूरी प्रक्रिया में छह दिन लगे. इसकी तैयारी भी काफी मुश्किल थी. अधिकारियों ने यात्रा के अलग अलग पड़ावों की योजना बनाई और रास्ते में आने वाले देशों के साथ समझौते किए ताकि वहां जर्मन जहाज लैंड कर सकें. एयरमेल के पहले साल में कंपनी ने 5,000 किलो से ज्यादा सामान पहुंचाया, लेकिन इसमें 47 विमानों को काम पर लगाना पड़ा. आजकल एयरमेल में 48 घंटों से ज्यादा समय नहीं लगता.