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अपराध

इतिहास में आज: 13 जून

१२ जून २०१४

13 जून 1997 को नई दिल्ली के उपहार सिनेमा घर में आग लगने के कारण 59 बेगुनाहों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. चंद रुपये की खातिर सिनेमाघर मालिकों ने दर्शकों की सुरक्षा से समझौता किया था. जिस कारण इतना दर्दनाक हादसा हुआ.

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तस्वीर: DIBYANGSHU SARKAR/AFP/Getty Images

दिल्ली के उपहार सिनेमाघर में 13 जून को 1997 को बॉर्डर फिल्म दिखाई जा रही थी. फिल्म उसी दिन रिलीज हुई थी और हाउसफुल थी. मैटिनी शो के दौरान सिनेमाघर के बेसमेंट में बिजली के ट्रांसफॉर्मर में आग लग गई. धीरे धीरे आग पूरे सिनेमाघर में फैल गई. फिल्म का मजा ले रहे दर्शक आग की लपटों में घिर चुके थे. सिनमाघर में मौजूद दर्शकों को समझ में नहीं आया कि कैसे जान बचाई जाए.

जब तक आग बुझाई जाती और फायरब्रिगेड को बुलाया जाता तब बहुत देर हो चुकी थी. कई लोगों की मौत तो ऊपरी मंजिल से नीचे कूद जाने की वजह हुई. इस हादसे में 59 लोगों की मौत हुई और 100 के करीब दर्शक जख्मी हुए. 1997 से लेकर अब तक पीड़ित परिवार इंसाफ की लंबी लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई और उसने 15 नवंबर 1997 को सुशील अंसल और गोपाल अंसल समेत 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की गई.

करीब दस साल चली अदालती कार्रवाई के बाद अदालत ने सुशील और गोपाल अंसल समेत 12 आरोपियों को दोषी करार दिया. सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई गई. इस फैसले के खिलाफ अंसल भाई दिल्ली हाईकोर्ट चले गए. याचिका पर फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दी और छह अन्य दोषियों की सजा को बरकरार रखा.

उपहार कांड पीड़ितों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 5 मार्च 2014 को सुप्रीम ने अंसल बंधुओं को दोषी ठहराते हुए कहा कि सिनेमा जानेवालों की सुरक्षा के बजाय उनकी चिंता धन कमाने के बारे में ज्यादा थी.