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इतिहास में आज: 16 दिसंबर

ओंकार सिंह जनौटी१५ दिसम्बर २०१४

16 दिसंबर, भारत में इस तारीख को बांग्लादेश के जन्म के रूप में याद किया जाता रहा. लेकिन इसी दिन 2012 में ऐसी घटना हुई, जिसने जनमानस को हिला दिया.

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तस्वीर: Reuters

दिल्ली में 2012 में आज ही दिन 23 साल की एक छात्रा से छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया. बलात्कारियों ने झकझोर देने वाली दरिंदगी दिखाई. वारदात के बाद छात्रा को नग्न हालत में दिल्ली की सड़क पर फेंक दिया. इस बर्बर घटना ने दिल्ली, भारत और पूरी दुनिया के लोगों को झकझोर दिया.

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दिल्ली की छवि, भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बेहद खराब है. निर्भया कांड ने इसे फिर साबित कर दिया. वारदात के बाद दिल्ली समेत देश भर में प्रदर्शन होने लगे. बलात्कार को स्थानीय अपराध समझने वाली सरकारें और पुलिस को ऐसे आक्रोश का अंदाजा नहीं था. देश भर में उबाल देख सरकार ने पीड़ित लड़की को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा, जहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई.

निर्भया आज स्मृतियों में है. देश अब 16 दिसंबर को निर्भया कांड के रूप में याद करता है. दो साल पहले जहां आक्रोश था, आखों में आंसू थे और हाथों में मोमबत्तियां थीं, वहीं आज दिल में टीस और जबान पर सवाल बाकी हैं. आए दिन अखबारों में छपते बलात्कार के मामलों को लेकर शर्म है. महिलाओं के सम्मान की बात हो तो शर्म से सिर झुकाने की नौबत आ जाती है.

निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कानून कड़े किए गए. लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कमी आती नहीं दिख रही है. विकास, रोजगार, चुनाव और धर्म परिवर्तन के बीच इस बात कोई बात नहीं कर रहा है कि भारत में भारतीयता क्यों मर रही है.