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इतिहास में आज: 28 मई

२७ मई २०१४

स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाने वाले प्रोटीन कैसे जानलेवा बन जाते हैं, 1942 में आज ही के दिन पैदा हुए अमेरिकी वैज्ञानिक स्टैनली बेन प्रुसिनर ने यह ऐतिहासिक खोज दुनिया के सामने रखी.

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तस्वीर: BERTRAND LANGLOIS/AFP/Getty Images

अमेरिकी न्यूरोलॉजिस्ट स्टैनली बेन प्रूसिनर ने विषाणु संक्रमण के बारे में नया सिद्धांत 1997 में पेश किया. उन्होंने साबित किया कि कैसे खास किस्म के संक्रमण पनपते हैं. पहले माना जाता था कि ये सूक्ष्म विषाणु की वजह से होता है.

प्रुसिनर के मुताबिक कई संक्रमण विषाणु नहीं बल्कि उनसे भी छोटे साधारण प्रोटीन से पनपते हैं. कई परतों वाले इन प्रोटीनों को प्रायोन नाम दिया गया. शरीर में मौजूद ऐसे प्रोटीन में आनुवांशिक गुणों को आगे ले जाने की क्षमता भी होती है. बीमारियां भी इसी तरह आगे बढ़ती हैं.

अमेरिकी वैज्ञानिक ने साबित कर दिया कि गायों में मैड काऊ यानी खुरपका बीमारी प्रायोन की वजह से होती है. इसकी शिकार गायों के तंत्रिका तंत्र खराब हो जाते हैं. धीरे धीरे वो न चल फिर पाती हैं और मौत के मुंह में चली जाती हैं. इंसान को इसी तरह इस प्रोटीन से घातक दिमागी बीमारी क्रॉयट्जफेल्ड याकोब डिजीज (सीजेडडी) होती है. बीमारी दिमाग के ऊतकों में छेद कर देती है. इसका इलाज अब तक नहीं मिल सका है.

खोज के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले प्रुसिनर अब भी प्रायोन पर शोध कर रहे हैं. अब तक की रिसर्च से पता चला है कि आकार में टेढ़े मेढ़े प्रायोन अपने संपर्क में आने स्वस्थ प्रोटीन को भी प्रायोन में बदल देते हैं. इस एक सूक्ष्म अंश से बीमारी पनपनते हुए घातक हो जाती है.

प्रुसिनर जानना चाहते हैं कि अल्जाइमर और दूसरी घातक दिमागी बीमारियों पर भी रिसर्च कर रहे हैं. प्रायोन का पता लगा चुका है, अब इसकी काट ढूंढी जा रही है. मुश्किल यह है कि प्रायोन या प्रोटीन को तोड़ा नहीं जा सकता.