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इतिहास में आज: 5 जनवरी

समरा फातिमा४ जनवरी २०१४

किसी काम के लिए न्यूनतम वेतन तय करने के सवाल से कई कंपनियां और कई सरकारें जूझ रही हैं. अमेरिकी कंपनी फोर्ड ने आज से करीब सौ साल पहले ही यह सीमा निर्धारित कर दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया.

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तस्वीर: Topical Press Agency/Getty Images

कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड ने 5 जनवरी 1914 को एलान किया कि कर्मचारियों का एक दिन का भत्ता पांच डॉलर होगा. उस जमाने में कंपनी में काम करने वालों को दिन के औसतन ढाई डॉलर से भी कम मिला करते थे. यानि नए नियमों के अनुसार दी जा रही राशि पहले के मुकाबले दुगनी थी. साथ ही दिन में काम करने की सीमा भी नौ घंटे से घटाकर आठ घंटे प्रतिदिन कर दी गई.

यह नियम क्योंकि कम तनख्वाह पा रहे कर्मचारियों के लिए ही लागू हुआ था इसलिए इससे उनके जीवन स्तर पर काफी बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ा. इस फैसले के पीछे हेनरी फोर्ड का खास मकसद था कर्मचारियों की हालत सुधारना. दुनिया भर के मीडिया में इस बात की खूब चर्चा हुई.

अमेरिकी शहर डेटरॉयट में काम करने के इच्छुक लोगों की भीड़ बढ़ने लगी. फोर्ड के रेजगार कार्यालय के बाहर लोगों की लाइन लग गई. कई दूसरी कंपनियों को भी मुकाबले में कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने पड़े, ऐसा न करने पर उन्हें डर था कि वे अपने कर्मचारी खो बैठेंगे.

समय सीमा आठ घंटे हो जाने की वजह से दो के बजाय फैक्टरी में तीन शिफ्टों में काम होने लगा जिससे कंपनी की उत्पादकता को भी फायदा मिला. हेनरी का मानना था कि क्योंकि कंपनी कारें ज्यादा संख्या में बना सकती हैं तो कर्मचारियों की तनख्वाह भी इतनी होनी चाहिए कि वे अपने लिए कार खरीद सकें. वेतन बढ़ने से अमेरिका में मध्यमवर्ग का जन्म हुआ और इसके साथ ही हेनरी फोर्ड ने औद्योगिक व्यवस्था की सूरत हमेशा के लिए बदल दी.