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'इबोला वायरस का खतरा कहीं अधिक'

१६ अगस्त २०१४

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि पश्चिम अफ्रीका में फैले इबोला वायरस को कम करके आंका जा रहा है. उसका कहना है कि बीमारी को नियंत्रित करने के लिए विशेष उपायों की जरूरत है.

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तस्वीर: picture alliance/AP Photo

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इबोला के शिकार लोगों की संख्या 1,069 हो गई है. अमेरिकी सरकार ने सियेरा लियोन से अपने राजनयिकों के परिवारों को देश छोड़ने का आदेश दिया है. गिनी और लाइबेरिया की ही तरह सियेरा लियोन में इबोला का कहर बरपा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा है कि वह इस खतरनाक वायरस से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में तालमेल बैठा रहा है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इबोला के दर्ज मामले और मृत्यु के आंकड़ों से प्रकोप की भयावहता को कम करके आंका जा रहा है.

संगठन ने चेतावनी दी, "प्रकोप अगले कुछ महीनों तक जारी रह सकता है. संगठन अगले कुछ महीनों तक इस महामारी से निपटने के लिए योजना चलाता रहेगा."

इबोला वायरस के बारे में पहली बार 1976 में पता चला था. तब से मध्य और पूर्वी अफ्रीका में बीस बार यह महामारी फैली है. हालांकि पश्चिम अफ्रीका में महामारी फैलने का यह पहला मौका है.

गिनी में मार्च में पहली बार इस बीमारी के फैलने के बाद सियेरा लियोन और नाइजीरिया चपेट में आए. महामारी पर काबू नहीं पाए जाने की हालत में ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या अधिकारी इससे निपटने के लिए उचित कदम उठा पा रहे हैं. इबोला वायरस का अब तक इलाज नहीं मिल पाया है और ना ही इसका कोई टीका उपलब्ध है.

इबोला एक संक्रामक रोग है, इसीलिए इबोला के मरीज को सबसे अलग रखा जाता है. लेकिन यह सांस के जरिए नहीं फैल सकता, इसका संक्रमण तभी होता है यदि कोई व्यक्ति मरीज से सीधे संपर्क में आए. यह संपर्क लार, पसीने, खून और वीर्य के जरिए हो सकता है.

वायरस इंसान में प्रवेश करने के बाद शरीर को कमजोर करने लगता है. पीड़ित को बुखार, सिर दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है. बहुत तेज बुखार के बाद रक्तस्राव और खून की उल्टियां होने लगती हैं. इस वायरस की चपेट में आने के बाद बचना मुश्किल है क्योंकि इसकी अब तक सही दवा उपलब्ध नहीं है.

लाइबेरिया की सरकार ने इससे पहले कहा था जेडमैप नाम की दवा दो डॉक्टरों की दी जाएगी. लेकिन यह अब तक साफ नहीं है कि दवा और किस मरीज को दी जाएगी. दवा बनाने वाली कंपनी मैप फार्मासूटिकल का कहना है कि यह दवा बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में महीनों लग जाएंगे.

महामारी के फैलने के बाद इबोला की दवा और नैतिकता को लेकर दुनिया भर में बहस छिड़ गई है. बहस इस बात पर हो रही है कि बिना टेस्ट की हुई दवा मरीज को देना, कितना नैतिक है और किसे यह दवा मिलनी चाहिए. अभी तक दो अमेरिकियों और एक स्पेनी नागरिक को दवा मिली है लेकिन यह अब तक साफ नहीं है कि दवा ने क्या असर दिखाया. दवा मिलने के कुछ ही दिनों बाद स्पेनी नागरिक की मौत हो गई थी. इस वायरस के 50 फीसदी पीड़ितों की मौत हो चुकी है.

रिपोर्ट: एए (एफपी, एपी)

संपादन: ओएसजे