इराक पर दुनिया की चिंता
१३ जून २०१४ईरान में शिया मुसलमानों की बहुलता है और इराक में भी फिलहाल सत्ता शिया नुमाइंदों के हाथ है. हाल में मोसूल और तिकरीट जैसे शहरों पर कब्जा कर चुके इस्लामी स्टेट इन इराक एंड लेवेंट (आईएसआईएल) के लड़ाके राजधानी इराक की तरफ बढ़ रहे हैं. ईरान के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ऐसे माहौल में वह इराक की मलिकी सरकार का संघर्ष में समर्थन करते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने रिपोर्ट दी है कि ईरान सरकार में अंदरूनी तौर पर इस मामले पर गहन चर्चा हुई है. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या इस मुद्दे पर किसी और पार्टी से भी बातचीत हुई है.
अधिकारियों की राय है कि इराक में गहरा रहे संकट के बीच ईरान अपने हथियारों और सलाहकारों को भेज सकता है. हालांकि वह अपने सैनिकों को भेजने के मूड में नहीं दिखता. शिया समुदाय से संबंध रखने वाले इराकी प्रधानमंत्री नूरी अल मालिकी को ईरान अपना सहयोगी मानता है. आईएसआईएल ने इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसूल पर भी कब्जा कर लिया है.
ईरानी अधिकारी ने अपना नाम सार्वजनिक न करने की गुजारिश के साथ कहा, "मध्यपूर्व में इस घुसपैठ को खत्म करने के लिए हम अमेरिका के साथ मिल कर काम कर सकते हैं. हम लोग इराक, सीरिया और कई दूसरे देशों में काफी प्रभावशाली हैं."
ईरान का दावा है कि कई साल से अमेरिका उसे हाशिए पर रखता आया है, जबकि इलाके में उसका अच्छा खासा प्रभाव है. पिछले साल हसन रूहानी के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका के साथ ईरान के रिश्तों में खासा बदलाव आया है. दोनों देशों ने मिल जुल कर बातचीत से परमाणु मसले को हल करने की बात कही है.
गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि वह इराक की स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए हवाई हमले की संभावना से इनकार नहीं कर सकते हैं. इराक से सैनिकों को हटाने के बाद यह पहला मौका होगा, जब अमेरिका वहां किसी तरह की सैनिक कार्रवाई करेगा.
इस बीच रूहानी ने भी वहां की स्थिति की निंदा की है, "आज हमारे क्षेत्र में, दुर्भाग्य से हम हिंसा, हत्याएं, आतंकवाद और विस्थापन देख रहे हैं. ईरान आतंक और दहशत को बर्दाश्त नहीं करेगा. हम इसके खिलाफ संघर्ष करेंगे."
ईरान के बयानों के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा, "निश्चित तौर पर हमने कई मामलों में उनके सकारात्मक रवैये के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया है. लेकिन इस मसले पर मेरे पास अभी कहने को कुछ नहीं है."
ईरान को इस बात का डर है कि इराक का युद्ध उनके देश में भी फैल सकता है. विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद जारीफ ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अपील की है कि वह प्रधानमंत्री मालिकी का "आतंकवाद के खिलाफ युद्ध" में समर्थन करें. ब्रिगेडियर जनरल मुहम्मद हेजाजी ने कहा है कि वह इराक को सैनिक साजोसामान और सलाहकार देने को तैयार हैं. तासनिम समाचार एजेंसी के मुताबिक, "मुझे नहीं लगता कि ईरानी सेना की तैनाती की कोई जरूरत है."
ईरान के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आईएसआईएल इराक के अलावा सीरिया में भी खतरा है. सीरिया को ईरान अपना सहयोगी बताता है, "हम लोग सतर्क हैं और तेहरान में कई उच्च स्तर की मीटिंग हो रही हैं."
एजेए/एमजे (रॉयटर्स)