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इशरत जहां कांड की सीबीआई जांच नहीं

१२ अगस्त २०१०

गुजरात हाई कोर्ट ने इशरत जहां हत्याकांड की सीबीआई जांच से इनकार कर दिया. अब इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त एसआईटी करेगी. छह साल पहले 19 साल की इशरत गुजरात सुरक्षाकर्मियों के हाथों मारी गई थी.

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इशरत जहां मौत पर विवादतस्वीर: AP

सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन की अगुवाई में अब स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) इशरत जहां हत्याकांड मामले की आगे जांच करेगी. इस कांड में इशरत के अलावा तीन और लोग मारे गए थे.

गुजरात हाई कोर्ट में जस्टिस जयंत पटेल और अभिलाषा कुमारी की खंडपीठ ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिल पा रहे हैं कि हत्या किसी साजिश के तहत की गई और इसलिए मारी गई लड़की की मां ने जो सीबीआई जांच की मांग की है, उसे नहीं माना जा सकता है. हालांकि अदालत ने कहा कि पहले जिन पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जांच की है, वह भी सही नहीं लग रही है. बहरहाल, इसकी आगे जांच होनी चाहिए.

कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि वह दो हफ्तों के अंदर आदेश जारी करे ताकि मामले को एसआईटी के हवाले किया जा सके. अपना काम शुरू करने के तीन महीने के अंदर एसआईटी को रिपोर्ट सौंपनी होगी.

मुंबई की 19 साल की छात्रा इशरत जहां की पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में मौत हो गई थी. 15 जून, 2004 को हुई इस घटना में जावेद गुलाम शेख उर्फ प्रणेश कुमार पिल्लै, अमजद अली उर्फ राजकुमार अकबर अली राणा और जीशान जौहर उर्फ अब्दुल गनी भी मारे गए थे. गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जस्टिस एसपी तमंग की रिपोर्ट भी काबिले गौर है.

जस्टिस तमंग ने सात सितंबर, 2009 को कहा था कि मुठभेड़ फर्जी थी और पुलिस अधिकारियों के अपने निजी फायदे के लिए सोच समझ कर साजिश के तहत की गई थी. इशरत की मां शमीना कौसर ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी. इस मामले में मारे गए जावेद गुलाम शेख उर्फ प्रणेश कुमार पिल्लै के पिता गोपीनाथ पिल्लै ने भी सीबीआई जांच की मांग की थी.

मुठभेड़ के बाद गुजरात पुलिस ने दावा किया कि इशरत जहां और उसके साथी लश्कर ए तैयबा के सदस्य थे और वे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के इरादे से निकले थे. पुलिस का कहना है कि केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के बाद ही उन पर निशाना साधा गया था.

केंद्र सरकार ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी है, जिसमें कहा गया है कि जावेद गुलाम शेख लगातार लश्कर के संपर्क में बना हुआ था और वे भारत के अलग अलग हिस्सों में आतंकवादी हमले की योजना बना रहे थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा