ईको फ्रेंडली बनेंगे एम्स
६ जून २०१४स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) के सभी अस्पतालों में साफ सफाई और कूड़े के प्रबंधन का खास इंतजाम करने का एलान किया है. हर्षवर्धन खुद भी डॉक्टर हैं. ग्रीन हॉस्पिटल बनाने की योजना का एलान करते हुए उन्होंने कहा, "पर्यावरण हमारी सेहत पर असर डालता है और करीब 24 फीसदी बीमारियां पर्यावरण के कारण ही होती हैं."
हर्षवर्धन ने पर्यावरण को लेकर सरकार का नजरिया भी साफ करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के मुद्दे पर कई मंत्रालयों को साथ मिलकर काम करना होगा. बड़ी आबादी को हवा और पानी के प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना होगा. अगर इन दोनों चीजों का ख्याल रखा जाए तो जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियों भी से बचा जा सकता है.
योजना के तहत सभी एम्स अस्पतालों में मेडिकल कचरे की रिसाइक्लिंग की जाएगी. जहरीले कचरे के लिए खास इंतजाम किए जाएंगे, ताकि वो पर्यावरण को दूषित न करे. भारत में अस्पतालों से निकलने वाली गंदगी बड़ी समस्या बनी हुई है. आम तौर पर दवाओं और रसायनों से भरा पानी अस्पताल के शौचालयों या नालियों से होता हुआ आखिरकार नदियों में आ जाता है. इसमें घातक विषाणु भी होते हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय दिल्ली के अस्पतालों में साफ सफाई को लेकर हफ्ते भर का अभियान चलाएगा. हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य को सामाजिक आंदोलन बनाने का भी आह्वान किया, "स्वास्थ्य को मजबूत सामाजिक आंदोलन बनाना चाहिए. हमें हर किसी की सेहत के लिए मजबूत सकारात्मक नजरिया बनाना होगा. करीब 80 फीसदी बीमारियां और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जागरुकता के सहारे बचा जा सकता है."
दिल्ली से चुनाव जीतकर संसद में आए हर्षवर्धन ने देश में ज्यादा सरकारी अस्पताल बनाने के भी संकेत दिए हैं. भारत में फिलहाल सात एम्स अस्पताल हैं. दिल्ली, भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना और ऋषिकेश में चल रहे इन अस्पतालों में रोगियों का तांता लगा रहता है. दिल्ली में तो हालत इतनी खराब है कि सुबह चार बजे लाइन में लगकर पर्चा बनाना पड़ता है. टेस्ट कराने के लिए भी महीनों या फिर एक दो साल बाद की तारीख मिलती है.
ओएसजे/एमजी (पीटीआई)